लोकसभा चुनाव के बाद राहुल गांधी की ‘युवा ब्रिगेड’ बिखरती चली गई
पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी शिकस्त और राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से इस्तीफे के बाद वह ‘युवा ब्रिगेड’ बिखरती चली गई जो कभी पार्टी का भविष्य मानी जाती थी.
नई दिल्ली: पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी शिकस्त और राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से इस्तीफे के बाद वह ‘युवा ब्रिगेड’ बिखरती चली गई जो कभी पार्टी का भविष्य मानी जाती थी. इसी कड़ी में नया नाम सचिन पायलट का जुड़ा है जो अब कांग्रेस से जुदा होने के मुहाने पर खड़े हैं.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ खुलकर बगावत कर चुके पायलट को मंगलवार को उप मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया. इसके बाद यह लगभग तय माना जा रहा है कि अब कांग्रेस और पायलट के संबंधों का पटाक्षेप हो जाएगा.
पायलट से जुड़े इस घटनाक्रम से महज कुछ महीने पहले ही कांग्रेस के एक और बड़े युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस को अलविदा कह बीजेपी का दाम थाम लिया. नतीजा यह हुआ कि मध्य प्रदेश में 15 साल के बाद बनी कांग्रेस की सरकार 15 महीनों में ही चली गई.
पार्टी से अलग होने वाले युवा नेता अपने राजनीतिक फायदे को ध्यान में रखकर कदम उठा रहे
बहुत सारे जानकार, युवा नेताओं के एक-एक करके कांग्रेस से अलग होने को वरिष्ठ नेताओं के साथ उनके टकराव और राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से हटने के बाद खुद को असहज पाने को मानते हैं. हालांकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि पार्टी से अलग होने वाले युवा नेता अपने राजनीतिक फायदे को ध्यान में रखकर ऐसे कदम उठा रहे हैं.
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘वैचारिक प्रतिबद्धता की परीक्षा मुश्किल घड़ी में होती है. आज जो नेता कांग्रेस से अलग हो रहे हैं उन्हें पार्टी ने बहुत कुछ दिया. अब वो अपने फायदे के लिए पार्टी के हित को नुकसान पहुंचाकर ऐसे कदम उठा रहे हैं.’’
सचिन पायलट मेरे मित्र हैं- प्रसाद
वैसे, युवा नेताओं के कांग्रेस से अलग होने के बाद पार्टी के कई अन्य युवा नेता दबी हुई जुबान में ही सही, लेकिन अपनी भावनाएं प्रकट कर देते हैं. पायलट को प्रमुख पदों से हटाए जाने के बाद भी ऐसा ही हुआ. जितिन प्रसाद और प्रिया दत्त जैसे युवा नेताओं ने इस पर न सिर्फ दुख जताया, बल्कि कांग्रेस के लिए किए उनके कार्यों की सराहना भी की.
प्रसाद ने कहा, ‘‘सचिन पायलट मेरे मित्र हैं. इस तथ्य को कोई नकार नहीं सकता कि इतने वर्षों में उन्होंने पार्टी के लिए समर्पण भाव से काम किया है. उम्मीद करता हूं कि हालात संभाले जा सकते हैं. दुखद है कि बात यहां तक पहुंची.’’ पायलट और सिंधिया कभी राहुल गांधी के सबसे करीबियों में गिने जाते थे. सिंधिया के कांग्रेस से अलग होने के बाद राहुल गांधी ने कहा था कि सिंधिया उन चंद लोगों में से एक थे जो कभी भी उनके घर आ सकते थे.
सचिन पायलट का कांग्रेस छोड़ना पार्टी के लिए नुकसान
इन दोनों युवा नेताओं से पहले झारखंड में अजय कुमार, हरियाणा में अशोक तंवर और त्रिपुरा में प्रद्युत देव बर्मन जैसे युवा नेताओं ने कांग्रेस को अलविदा कह दिया था. पायलट से जुड़े घटनाक्रम को लेकर कांग्रेस के कई युवा नेताओं ने निराश जताई और कहा कि वे इसे पार्टी के लिए नुकसानदेह मानते हैं.
कांग्रेस के एक युवा नेता ने कहा, ‘‘ये चीजें पार्टी को नुकसान देने वाली हैं, पार्टी को इस पर गंभीरता से सोचना चाहिए और जरूरी कदम उठाने चाहिए.
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