राहुल ने मोदी से की 33% महिला आरक्षण की मांग, लेकिन CWC में मात्र 15% महिलाओं को जगह
नई CWC में महिलाओं की संख्या को लेकर सवाल उठ रहे हैं. CWC के 23 सदस्यों में सोनिया गांधी समेत केवल 3 महिलाओं को जगह मिली है. दो अन्य हैं अम्बिका सोनी और नया नाम कुमारी शैलजा. शीला दीक्षित, आशा कुमारी, रजनी पाटिल स्थाई आमंत्रित सदस्य बनाई गई हैं.
नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी की सबसे बड़ी इकाई कांग्रेस कार्य समिति यानी कांग्रेस वर्किंग कमिटी (CWC) का गठन कर लिया. मंगलवार देर शाम जारी हुई सूची में CWC के 23 सदस्य, 18 स्थाई आमंत्रित सदस्य और 10 विशेष आमंत्रित सदस्य बनाए गए हैं. सूची के सामने आते ही सबसे ज्यादा चर्चा हुई दिग्विजय सिंह सिंह, जनार्दन द्विवेदी जैसे दिग्गजों का पत्ता कटने को लेकर. वहीं ये भी महत्वपूर्ण बात रही कि CWC की बैठक में अब कांग्रेस के तमाम संगठनों के प्रमुख सहित कई युवा चेहरे नजर भी आएंगे. लेकिन इसके साथ ही राहुल की नई टीम यानी कांग्रेस की नई कार्यसमिति को लेकर कई सवाल भी उठाए जा रहे हैं.
1. महिलाओं की मामूली भागीदारी! नई CWC में महिलाओं की संख्या को लेकर सवाल उठ रहे हैं. CWC के 23 सदस्यों में सोनिया गांधी समेत केवल 3 महिलाओं को जगह मिली है. दो अन्य हैं अम्बिका सोनी और नया नाम कुमारी शैलजा. शीला दीक्षित, आशा कुमारी, रजनी पाटिल स्थाई आमंत्रित सदस्य बनाई गई हैं. आमंत्रित सदस्यों को जोड़ लें तो भी महिलाओं की संख्या 51 में से केवल 7 ही है. यानी 15 प्रतिशत से भी कम. जाहिर है लोग इसको लेकर सवाल उठा रहे हैं. ये सवाल अहम इसलिए भी है क्योंकि CWC के एलान से ठीक एक दिन पहले राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को चिट्ठी लिख कर संसद के मानसून सत्र में महिला आरक्षण बिल लाने की मांग की थी ताकि संसद और विधानसभाओं में 33 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो सकें.
2. हरियाणा से चार, तो चार राज्यों से एक भी नहीं! नई CWC में पश्चिम बंगाल, बिहार, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना से कोई नाम नहीं है. हालांकि इसकी बड़ी वजह ये है कि इन राज्यों में कोई बड़ा चेहरा है भी नहीं. लेकिन राजनीतिक तौर पर ये राज्य खास तौर पर बंगाल काफी अहम हैं. यहां कांग्रेस फिर से पैर जमाने की कोशिश कर रही है. ऐसे में CWC में इन राज्यों की अनुपस्थिति ध्यान खींचते हैं. ऐसा इसलिए भी क्योंकि हरियाणा जैसे छोटे राज्य से CWC के 51 में 4 नेता हैं. इसमें कुलदीप बिश्नोई जैसे नेता का नाम भी विशेष आमंत्रित सदस्य में है जो कुछ साल पहले तक अपनी अलग पार्टी बना कर चुनाव लड़ चुके हैं. शैलजा और रणदीप सुरजेवाला का नाम की उम्मीद थी लेकिन इनके अलावा विश्नोई ही नहीं दीपेंदर हुड्डा को भी विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया है. हालांकि चुनावी राज्यों को साधने के लिए मध्यप्रदेश से सिंधिया के साथ अरुण यादव, छतीसगढ से मोतीलाल वोरा के साथ ताम्रध्वज साहू और राजस्थान से गहलोत, जितेंद्र सिंह के साथ रघुवीर मीना को जगह दी गई है. राहुल, सोनिया को मिला कर सबसे ज्यादा यूपी से 6 नाम हैं.
कांग्रेस वर्किंग कमिटी से दिग्विजय सिंह समेत कई बुजुर्गों की छुट्टी, युवा नेताओं को मिली जगह
3. इन नामों के ना होने से हैरान हुए लोग! कांग्रेस की सरकार केवल पंजाब और पुडुचेरी में बची है. लेकिन इन दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों यानी कैप्टन अमरिंदर सिंह और नारायण सामी का नाम CWC में नहीं होना लोगों को हैरान कर गया. हालांकि कैप्टन पहले भी CWC में नहीं थे. इसके अलावा कपिल सिब्बल, जयराम रमेश, सलमान खुर्शीद, शशि थरूर आदि नेताओं का नाम लिस्ट में नहीं था जिनको लेकर लोगों को उम्मीद थी. 83 साल के असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई 23 सदस्यीय CWC में हैं तो वहीं पार्टी के बंगाल प्रभारी गौरव गोगोई को स्थाई आमंत्रित सदस्य बनाया गया है. पीडीपी से कांग्रेस में आए तारिक हामिद कर्रा को स्थाई आमंत्रित सदस्य बनाया गया है.
4. इतनी देरी क्यों? ये सवाल नई CWC पर नहीं CWC की लिस्ट आने में हो रही देरी के कारण काफी पहले से उठ रहा था. दरअसल पिछली कांग्रेस वर्किंग कमिटी को मार्च में अधिवेशन से पहले भंग कर दिया गया था. अधिवेशन में पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को CWC चुनने के लिए अधिकृत किया गया. तब से राहुल गांधी को CWC गठन करने में चार महीने लग गए. हालांकि इस दौरान उन्होंने कई फेरबदल किए. जिन नेताओं का पत्ता नई CWC में कटा है मसलन दिग्विजय सिंह, जनार्दन द्विवेदी, सुशील कुमार शिंदे आदि उनको इस दौरान पहले ही एक-एक करके किनारे कर दिया गया था. जिनको एंट्री मिली उनका कद भी इसी दौरान बढ़ा. फिर भी CWC बनाने में हुई देरी को लेकर लोग पूछ रहे थे कि राहुल को निर्णय लेने में देरी क्यों हो रही है?
इन सवालों के बावजूद नई CWC के नामों को देखर यही लगता है कि इसको लेकर राहुल गांधी को काफी माथापच्ची करनी पड़ी है. उन्होंने अपनी तरफ से बुजुर्ग और युवा नेतृत्व में संतुलन बिठाने की कोशिश की है. साथ ही अच्छे प्रदर्शन करने वालों को इनाम दिया है तो ढीले नेताओं को चलता किया है. कुल मिला कर इस नई टीम की परीक्षा आने वाले विधानसभा चुनावों और 2019 लोकसभा चुनाव में होनी है. सवाल है कि क्या ये टीम राहुल गांधी को 2019 में प्रधानमंत्री बना पाएगी?
राहुल से कानून मंत्री का सवाल-क्यों न महिला आरक्षण के साथ-साथ ट्रिपल तलाक-हलाला के खिलाफ पास हो बिल?