नई दिल्ली: केरल की धरती पर उत्तर भारत बनाम दक्षिण भारत का बयान देना राहुल गांधी की सोची-समझी चुनावी रणनीति का हिस्सा है या फिर अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है? बांटो व राज करो की बरसों पुरानी नीति वाला यह बयान कांग्रेस को सत्ता में लाने की बैसाखी बनेगा या फिर रही-सही लुटिया डुबोने वाला साबित होगा? ऐसे सवाल कांग्रेस मुख्यालय से लेकर राजनीतिक गलियारों में पूछे जा रहे हैं.


अगले कुछ महीने में केरल,तमिलनाडु और पुडुचेरी समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और ऐसे वक्त पर उनके इस बयान को यह कहकर दरकिनार नहीं किया जा सकता कि उनकी जुबान फिसल गई हो.


राहुल के नज़दीकी नेता मानते हैं कि उन्होंने दक्षिण भारतीयों की तारीफ करके चुनावी फायदा लेने का एक रिस्क भरा दांव खेला है. राहुल जानते हैं कि फिलहाल उत्तर भारत के किसी राज्य में चुनाव सिर पर नहीं हैं और ऐसे में उनकी इस बात को वहां के लोग जरा भी पसंद करते हैं, तो वह पार्टी के लिए फायदेमंद साबित होगा अन्यथा पार्टी जहां है, वहां से उसे और ज्यादा नुकसान नहीं होने  वाला.


हालांकि कांग्रेस उनके इस बयान का बचाव करते हुए उल्टे भाजपा पर हमलावर हुई है और उसने उत्तर व दक्षिण को बांटने का आरोप भगवा पार्टी पर जड़ दिया है. लेकिन कांग्रेस में सुझबूझ रखने वाले नेताओं के एक वर्ग के साथ ही राजनीतिक विश्लेषक भी राहुल के इस बयान को अपरिपक्व व बचकाना मानते हैं. उनकी सोच है कि राहुल की इस बात से दक्षिणी राज्यों के चुनाव में कोई फायदा हो या न हो लेकिन उत्तर भारत के राज्यों के आगामी चुनाव में कांग्रेस को इसका नुकसान अवश्य उठाना पड़ सकता है.


भाजपा नेताओं ने इसे उत्तर भारतीयों का अपमान बताया है और आने वाले चुनाव में पार्टी जोरशोर से इस मुद्दे को उछालेगी. तब कांग्रेस की हालत वही होगी कि न निगलते बनेगा और न ही उगलते.


गौरतलब है कि अगले साल पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात और हिमाचल प्रदेश समेत सात राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. इनमें से पंजाब को छोड़कर कहीं भी कांग्रेस सत्ता में नहीं है. इसलिए भाजपा नेतृत्व के लिये राहुल गांधी का यह बयान किसी रामबाण से कम नहीं साबित होने वाला है.


उल्लेखनीय है कि तिरुवनंतपुरम में एक सभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, ‘‘पहले 15 वर्षों के लिए मैं उत्तर (भारत) से एक सांसद था. मुझे एक अलग प्रकार की राजनीति की आदत हो गई थी. केरल आने पर मुझे अलग तरह का अनुभव हुआ क्योंकि मैंने अचानक पाया कि लोग मुद्दों में रुचि रखते हैं और न केवल सतही तौर पर बल्कि मुद्दों की तह तक जाते हैं."


पिछले लोकसभा चुनाव में अमेठी से राहुल गांधी को हराने वाली केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने उन्हें ‘‘एहसान फरामोश'' बताया और कहा कि इस तरह के व्यक्ति के बारे में लोकप्रिय कहावत है ‘‘थोथा चना बाजे घना.''


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