(Source: Matrize)
राहुल गांधी के दौरे ने गहलोत और पायलट की दूरियां और बढ़ा दी हैं
राहुल गांधी की यात्रा ख़त्म होते ही सचिन पायलट ने 17 फ़रवरी को किसान पंचायत करने का फ़ैसला कर लिया. वो भी राजधानी जयपुर में. पायलट के समर्थक इस पंचायत में बड़ी भीड़ जुटाने का दावा कर रहे हैं.
नई दिल्ली: अशोक गहलोत और सचिन पायलट में फिर से तलवारें खिंच गई हैं. राहुल गांधी के राजस्थान दौरे ने दोनों की दूरियां और बढ़ा दी हैं. राहुल के किसान पंचायत में गहलोत समर्थकों ने पायलट को मंच पर चढ़ने तक नहीं दिया. आग में घी का काम किया है यूपी के एक कांग्रेस नेता के बयान ने. प्रियंका गांधी के करीबी प्रमोद कृष्णम ने कहा कि गहलोत अब वसुंधरा से लड़े पर वे तो पायलट से लड़ रहे हैं. उन्होंने गहलोत को दिल बड़ा करने की भी सलाह दी है. अपने अपमान से तिलमिलाए पायलट ने अब 17 फ़रवरी को जयपुर में एक बड़ी किसान पंचायत करने का एलान कर दिया है.
किसान आंदोलन के समर्थन में राहुल गांधी ने राजस्थान का दो दिनों का दौरा किया. वादा और इरादा तो एकजुट होकर बीजेपी के ख़िलाफ़ इसी बहाने माहौल बनाने का था. लेकिन लगता है कि मामला सेल्फ़ गोल जैसा हो गया है. राहुल के दौरे ने अशोक गहलोत और सचिन पायलट के आपसी झगड़े को और बढ़ा दिया है. दोनों ने एक दूसरे को निपटाने की मुहिम फिर शुरू कर दी है. बदले हुए हालात में सीएम गहलोत का गुट बहुत मज़बूत है. वो हर हाल में पायलट गुट पर भारी पड़ रहा है. गहलोत के ख़िलाफ़ बग़ावत के बाद से ही पायलट हाशिए पर चले गए हैं. रही सही कसर राहुल गांधी के दौरे ने पूरी कर दी है. राहुल ने राजस्थान में 4 किसान पंचायत किए. चार में से दो पंचायत में पायलट को बोलने तक का मौक़ा नहीं दिया गया.
रुपनगढ की जनसभा में तो सचिन पायलट को मंच से नीचे उतार दिया गया. इसके बाद तो उनके समर्थकों ने हंगामा कर दिया. कांग्रेस महासचिव अजय मकान से लेकर स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा तक ने सबको शांत कराने की कोशिशें की. लेकिन बात नहीं बनी. राजस्थान के एक मंत्री ने बताया कि दो ट्रैक्टरों को मिला कर मंच बनाया गया था. मंच पर जगह कम थी. पार्टी के महासचिव के सी वेणुगोपाल तक को नीचे बैठना पड़ा. जबकि पायलट आज की तारीख़ में बस एक विधायक भर हैं. लेकिन उनके समर्थक राहुल गांधी के सामने भी बवाल करते रहे. पायलट समर्थक एक कांग्रेस नेता ने बताया कि रूपनगढ उनके पुराने संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है. लेकिन वहां भी गहलोत समर्थकों ने जान बूझ कर पायलट का अपमान किया. राहुल गांधी की यात्रा में सचिन पायलट और अशोक गहलोत साथ-साथ रहे, लेकिन कड़वाहट साफ़ साफ़ नज़र आई. एक बार तो राहुल गांधी के क़ाफ़िले में पायलट की गाड़ी को न शामिल करने पर भी उनके समर्थकों ने हंगामा कर दिया.
राहुल गांधी की यात्रा ख़त्म होते ही सचिन पायलट ने 17 फ़रवरी को किसान पंचायत करने का फ़ैसला कर लिया. वो भी राजधानी जयपुर में. पायलट के समर्थक इस पंचायत में बड़ी भीड़ जुटाने का दावा कर रहे हैं. इस पंचायत को गहलोत के ख़िलाफ़ पायलट का शक्ति प्रदर्शन समझा जा रहा है. इससे पहले भी वे दौसा और अजमेर में किसान सभा कर चुके हैं.
पिछले साल तक सचिन पायलट राजस्थान में डिप्टी सीएम थे. वे प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी थे. वे राहुल और प्रियंका गांधी के सबसे करीबी समझे जाते थे. लेकिन गहलोत के ख़िलाफ़ बग़ावत के बाद पायलट से सब कुछ छीन गया. उनके किसी भी समर्थक को न तो सरकार में जगह मिली और न ही पार्टी में. उस दौरान अलोक गहलोत ने पायलट को जींस पहनने वाला और अंग्रेज़ी बोलने वाला बेवक़ूफ़ नेता तक कह दिया था. प्रियंका के बीच बचाव के बाद पायलट कांग्रेस में बने तो रहे. लेकिन अब उनकी हालत बिना सेना के सेनापति जैसी हो गई है.
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