नई दिल्ली: सोनिया गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद का उत्तरदायित्व अपने पुत्र राहुल गांधी को सौंपते हुए कहा कि पार्टी अपने को दुरूस्त करेगी तथा देश में सांप्रदायिक ताकतों को रोकने के लिए कोई भी बलिदान देने को तैयार रहेगी. उन्होंने आज पार्टी मुख्यालय में राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष पद का प्रमाणपत्र सौंपे जाने के अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए अपने परिवार के बलिदान, अपने संघर्षों और पार्टी के समक्ष चुनौतियों के बारे में भावनात्मक अंदाज में अपनी बातें रखीं. उन्होंने पार्टी नेताओं को हिन्दी में संबोधित करते हुये कहा कि उनके पुत्र राहुल पर हुए तमाम हमलों ने उन्हें निडर बना दिया है. उन्होंने उम्मीद जतायी कि युवा नेतृत्व पार्टी में नये साहस का संचार करेगा.
यह एक नैतिक लड़ाई है
सोनिया ने देश के राजनीतिक हालात की चर्चा करते हुए कहा, ‘‘हम सब जानते हैं कि किस तरह देश के बुनियादी उसूलों पर रोज-रोज हमले हो रहे हैं. हमारी मिली-जुली संस्कृति पर वार हो रहा है. हर तरह से संदेह, भय का माहौल बनाया जा रहा है.’’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस को अपने अंतर्मन में झांक कर आगे बढना होगा. ‘‘अगर हम अपने उसूलों पर खुद खरे नहीं उतरेंगे तो हम आम जनता के हितों की रक्षा नहीं कर पायेंगे.’’ उन्होंने कहा कि यह एक नैतिक लड़ाई है और ‘‘ इसमें जीत हासिल करने के लिए हमें अपने आपको को भी दुरूस्त करना पड़ेगा और किसी भी प्रकार के त्याग एवं बलिदान के लिए तैयार रहना होगा. ’’ राहुल की चर्चा करते हुए सोनिया के कहा कि उनकी तारीफ करना उचित नहीं होगा. ‘‘मगर मैं इतना जरूर कहूंगी कि बचपन से ही उसने हिंसा और नुकसान का अपार दुख झेला, लेकिन राजनीति में आने पर उसने एक ऐसे भयंकर व्यक्तिगत हमले का सामना किया, जिसने उसको और भी निडर और मजबूत दिल का इंसान बनाया है. मुझे उसकी सहनशीलता एवं दृढ़ता पर गर्व है. मुझे पूरा विश्वास है कि राहुल पार्टी का नेतृत्व सच्चे दिल, धैर्य और पूर्ण समर्थन के साथ करेंगे.’’ सोनिया ने इस अवसर पर अपनी सास एवं पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी याद किया. उन्होंने कहा, ‘‘इंदिराजी ने मुझे बेटी की तरह अपनाया. उनसे मैंने भारत की संस्कृति के बारे में सीखा. उन उसूलों के बारे में सीखा जिन पर इस देश की नींव पड़ी है.’’ सोनिया ने कहा, ‘‘मुझे भरोसा है कि वह ( राहुल ) साहस एवं प्रतिबद्धता के साथ पार्टी का नेतृत्व करेंगे.’’ पार्टी का करीब 19 वर्ष तक नेतृत्व कर चुकीं 71 वर्षीय सोनिया ने कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में उन्हें पार्टी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं से मिले सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया.
आज हमारे संवैधानिक मूल्यों पर हमला हो रहा है
उन्होंने इंदिरा की हत्या के बाद अपने पति राजीव गांधी के समक्ष चुनौतियों का सामना करते हुए कहा, ‘‘उन दिनों मैं राजनीति को अलग नजरिये से देखती थी. मैं अपने आपको, अपने पति को और बच्चों को इससे दूर रखना चाहती थी. मगर मेरे पति के कंधों पर एक बड़ी जिम्मेदारी थी, (उन्होंने) उसे अपना कर्तव्य मानकर प्रधानमंत्री पद स्वीकार किया.’’ सोनिया ने 2014 के आम चुनाव में कांग्रेस को मिली हार का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘आज हमारे संवैधानिक मूल्यों पर हमला हो रहा है. इसके साथ साथ हमारी पार्टी कई चुनाव हार चुकी है. लेकिन हमारे कार्यकर्ताओं में बेमिसाल साहस जीवित है. हम डरने वालों में से नहीं हैं, हम झुकने वाले नहीं हैं. हमारा संघर्ष इस देश की रूह के लिए संघर्ष है. हम इससे पीछे नहीं हटेंगे.’’