नई दिल्ली: देश में प्राइवेट रेलगाड़ियों का परिचालन अप्रैल 2023 तक शुरू हो सकता है. रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव ने गुरुवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि इन रूट पर यात्रा किराया इन मार्गों के हवाई यात्रा किराये के अनुरूप प्रतिस्पर्धी होगा.


रेल डिब्बों की टेक्नोलॉजी में बदलाव आएगा- वीके यादव


एक ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि पैसेंजर ट्रेनों के परिचालन में निजी कंपनियों के उतरने से रेलगाड़ियों को तेज गति से चलाने और रेल डिब्बों की टेक्नोलॉजी में नया बदलाव आएगा. उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी के बेहतर होने से रेलगाड़ी के जिन कोच को अभी हर 4000 किलोमीटर यात्रा के बाद रख रखाव की जरूरत होती है तब यह सीमा करीब 40000 किलोमीटर हो जाएगी. इससे उनका महीने में एक या दो बार ही रखरखाव करना होगा.


प्राइवेट कंपनियों से मांगे गए हैं आवेदन


वीके यादव की ओर से यह बयान रेलवे के यात्री परिचालन में निजी कंपनियों को प्रवेश देने की आधिकारिक घोषणा के एक दिन बाद आयी हैं. सरकार ने 151 आधुनिक रेलगाड़ियों के माध्यम से 109 रूट पर निजी कंपनियों द्वारा यात्री रेलगाड़ी चलाने की अनुमति देने के लिए आवेदन मांगे हैं.


भारतीय रेलवे नेटवर्क को निजी हाथों में सौंपने को लेकर आशंका से जुड़े एक सवाल के जवाब में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने कहा कि निजी क्षेत्र द्वारा किया जाने वाला यात्री रेलगाड़ी परिचालन भारतीय रेलवे के कुल यात्री रेलगाड़ी परिचालन का मात्र पांच फीसदी होगा. भारतीय रेल अभी करीब 2800 मेल या एक्सप्रेस रेलगाड़ियों का परिचालन करती है.


ट्रेनों की खरीद प्राइवेट कंपनियां करेंगी- वीके यादव


वीके यादव ने कहा, ‘‘ट्रेनों की खरीद निजी कंपनियां करेंगी. उनके रखरखाव का जिम्मा भी उन्हीं का होगा. देश में निजी ट्रेनों का परिचालन अप्रैल 2023 तक शुरू होने की उम्मीद है. रेलगाड़ी के सभी डिब्बों की खरीद ‘मेक इन इंडिया’ नीति के तहत की जाएगी. निजी क्षेत्र की रेलगाड़ियों के यात्रा किराये की प्रतिस्पर्धा उन्हीं मार्गों पर चलने वाली बस सेवा और हवाई सेवा से होगी.’’


इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यात्री रेलगाड़ी परिचालन मे निजी कंपनियों को लाने का एक मकसद यह भी है कि इन्हें मांग के आधार पर उपलब्ध कराया जाएगा जिससे ट्रेनों में ‘वेटिंग लिस्ट’ में कमी होगी. उन्होंने कहा कि कंपनियों को रेलवे की बुनियादी सुविधाओं, बिजली, स्टेशन और रेलमार्ग इत्यादि के उपयोग का शुल्क भी देना होगा. इतना ही नहीं कंपनियों को प्रतिस्पर्धी बोलियां लगाकर भारतीय रेलवे के साथ राजस्व भी साझा करना होगा.


प्राइवेट कंपनियों को रखना होगा इस बात का ध्यान


निजी कंपनियों को टाइमटेबल के हिसाब से रेलगाड़ी परिचालन में 95 प्रतिशत समयबद्धता का पालन सुनिश्चित करना होगा. उन्हें प्रति एक लाख किलोमीटर की यात्रा में एक बार से अधिक बार असफल नहीं होने के रिकॉर्ड के साथ चलना होगा.


वीके यादव ने कहा, ‘‘यदि निजी कंपनियां यात्री रेलगाड़ी परिचालन से जुड़े किसी भी प्रदर्शन मानक को पूरा करने में असफल रहती हैं तो उन पर जुर्माना लगाया जाएगा. हर रेलगाड़ी इंजन में एक बिजली मीटर भी होगा और कंपनियों को उनके द्वारा इस्तेमाल बिजली का वास्तविक भुगतान करना होगा. यह उन्हें अपना बिजली खर्च कम रखने को प्रोत्साहित करेगा.’’


रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने कहा कि इससे यात्रियों को कम लागत पर बेहतर रेलगाड़ियां और प्रौद्योगिकी मिल सकेगी. भारतीय रेल बसकी 95 प्रतिशत रेलगाड़ियों का परिचालन जारी रखेगी.


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