देशभर में लॉकडाउन के कारण कई हफ्तों से फंसे प्रवासी मजदूरों को उनके घर ले जाने के लिए हाल ही में केंद्र सरकार ने विशेष ट्रेन चलाने का ऐलान किया था. इस बीच इन ट्रेनों में जाने वाले प्रवासियों से रेलवे की ओर से किराया वसूलने की बात सामने आने के बाद से राजनीतिक हंगामा मचा हुआ है. अब रेल मंत्रालय ने इस पर सफाई पेश करते हुए कहा है कि उसने प्रवासियों को टिकट नहीं बेचे.


न्यूज एजेंसी एएनआई ने सोमवार 4 मई को रेल मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से बताया कि राज्यों से सिर्फ मानक किराया लिया जा रहा है. जानकारी के मुताबिक, "रेलवे इस श्रेणी के लिए राज्य सरकारों से सिर्फ मानक किराया वसूल रहा है, जो रेलवे की दरों का सिर्फ 15 फीसदी है. रेलवे प्रवासियों को टिकट नहीं बेच रही है और सिर्फ उन्हीं को ट्रेन में सवार होने दिया जा रहा है, जिनके नाम राज्यों की ओर से दी गई सूची में हैं."



श्रमिकों, पर्यटकों, छात्रों के लिए चलाई जा रही ट्रेन
रेलवे ने साथ ही बताया कि उसने प्रवासियों को उनके मूल स्थान तक ले जाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई हैं, जिनमें सोशल डिस्टैंसिंग का पालन किया जा रहा है. इस बारे में मंत्रालय के सूत्रों ने बताया, "भारतीय रेलवे श्रमिक स्पेशल ट्रेन चला रही है, जिनमें सोशल डिस्टैंसिंग बनाए रखने के लिए हर कोच में कई बर्थ खाली रखी जा रही हैं. ये ट्रेनें निर्धारित स्थानों से खाली ही वापस लौट रही हैं. साथ ही रेलवे की ओर से प्रवासियों को इसमें मुफ्त भोजन और पानी की बोतल भी दी जा रही है."

सूत्रों के मुताबिक रेलवे ने अभी तक अलग-अलग स्थानों में फंसे प्रवासी मजदूरों, श्रद्धालुओं और पर्यटकों को वापस उनके घरों तक पहुंचाने के लिए 34 श्रमिक ट्रेन चलाई हैं. देशभर में लॉकडाउन के 17 मई तक बढ़ने के कारण बस, ट्रेन और हवाई उड़ान पर रोक भी बढ़ाई गई है.

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