नई दिल्ली: पंजाब में फ़्रेट ट्रेनें चलाने को तैयार रेलवे बोर्ड के एक उच्च अधिकारी ने एबीपी न्यूज़ से ख़ास बातचीत में कहा कि पंजाब में हो रहे किसान आंदोलन के कारण वहां यात्री ट्रेनों के साथ फ़्रेट ट्रेनें भी नहीं चल रहीं, जिससे विभिन्न स्तरों पर यात्रियों का, देश का और निजी तौर पर रेलवे का भारी नुक़सान हो रहा है. इस दौरान किसान समिति के आश्वासन पर एक महीने की रोक के बाद 22 अक्टूबर को फ़्रेट ट्रेन सेवा शुरू की गई थी, लेकिन सुरक्षा को देखते हुए चार दिन बाद यानी आज से इन्हें फिर से रोक दिया गया है.


पंजाब सरकार को देना होगा ट्रेन सुरक्षा की गारंटी
रेलवे का कहना है कि पिछले चार दिनों में फ़्रेट ट्रेनों को चलाने के दौरान ये देखा गया कि किसान समिति के वादे से उलट पंजाब के विभिन्न स्थानों पर जगह- जगह दस-बीस की संख्या में आंदोलनकारी किसान पटरियों पर बैठे थे. जिन्हें हटा कर आगे बढ़ना एक मुश्किल प्रक्रिया तो है ही, किसी अनहोनी को बुलावा देना भी है. ऐसे में पंजाब से चलने वाली और पंजाब को जाने वाली फ़्रेट ट्रेनों को फिर से रोक दिया गया है. अब जब तक पंजाब सरकार ट्रेनों की सुरक्षा की गारंटी नहीं देती तब तक फ़्रेट ट्रेनें चलाना भी रेलवे के लिए सम्भव नहीं हो पाएगा.


पंजाब के इन इलाक़ों में हैं दिक्कतें
ख़ासतौर पर अमृतसर में किसान पटरियों पर अब भी बैठे हुए हैं. तलवंडी साबू और नाबा पॉवर प्लांट के बाहर भी कि किसान आंदोलन कर रहे हैं. मोगा में एफ़सीआई गोदाम के बाहर भी किसान आंदोलनरत हैं. बता दें कि फ़्रेट ट्रेनों के लिए अनाज भी इन्हीं गोदामों से आता है और फ़्रेट ट्रेन से उतारा जाने वाला कोयला भी इन्हीं पॉवर प्लांटों में जाता है. ऐसे में आंदोलन के कारण फ़्रेट ट्रेनों का मक़सद पूरा नहीं हो पा रहा. पेट्रोलियम और कंटेनर रेल रेक के लिए भी इन इलाक़ों में ख़तरा बना हुआ है.


रेलवे ड्राइवरों को भय बना रहता है
रेलवे का कहना है कि पंजाब में कोयले या अनाज से भरी मालगाड़ियों, कंटेनर से लदी रेल रेकों, पार्सल ट्रेनों और पेट्रोलियम सम्बंधी फ़्रेट ट्रेनों के ड्राइवरों में किसी भी वक़्त कोई अनहोनी हो जाने का भय बना रहता है. ऐसे में पंजाब सरकार की ये ज़िम्मेदारी है कि वो रेल सुरक्षा की गारंटी दे.


रेलवे को हुआ बुरा अनुभव
22-23 अक्टूबर को पटरियों पर से धरना हटने और स्थानीय पुलिस के आश्वासन के बाद रेलवे ने फ़्रेट ट्रेनों को शुरू कर दिया था. और मेंटेनेंस डिपो के लिए ख़ाली रेकों को भेजना भी शुरू कर दिया था. लेकिन इन दोनों ही तरह की फ़्रेट ट्रेनों को 23 अक्टूबर को पंजाब के अलग अलग स्थानों पर आंदोलनकारियों ने रोक लिया. इसके बाद ही फ़्रेट ट्रेनों के गार्ड और ड्राईवरों ने शांति होने तक ट्रेन चलाने में असमर्थता ज़ाहिर की थी. इन्हें डर था कि इन इलाक़ों में ट्रेनों के चलने से अचानक आने वाले इन आंदोलनकारियों के साथ कोई रेल दुर्घटना हो सकती है.


रेलवे की मांग: गार्ड और ड्राईवरों के हवाले से
रेलवे ने अपने इन गार्ड और ड्राईवरों के हवाले से पंजाब सरकार से मांग की है कि वो यात्री ट्रेनों और फ़्रेट ट्रेनों की सुरक्षा की गारंटी दे और सुरक्षा के पर्याप्त इंतज़ाम करे. रेलवे की मांग है कि पंजाब सरकार बिना किसी शर्त के ट्रेनों की सहज आवाजाही का इंतज़ाम करे. किसानों ने 5 नवम्बर को रेल रोको का आहवाहन भी किया है, जिसके कारण सुरक्षा को लेकर चिंता और बढ़ गई है.


950 गुड्स ट्रेनें और 50 यात्री ट्रेनें हैं प्रभावित
रेलवे ने बताया कि पंजाब में किसान आंदोलन के कारण उसकी 200 फ़्रेट ट्रेनें फंसी हुई हैं, जिन्हें वापस नहीं लाया जा पा रहा. इनमें से 100 ट्रेनें कोयले की और 50 ट्रेनें फ़र्टिलाईज़र की हैं. क़रीब 20 ख़ाली रेल रेक नाबा और तलवंडी में फंसी हैं, जिन्हें वापस नहीं लाया जा पा रहा.


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