हर साल बनेंगे 80 हजार पहिये, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने तैयार किया भारत के एक्सपोर्टर बनने का खाका
Indian Railways: रेल मंत्री ने कहा कि आज यह टेंडर जारी किया गया है. हम 1960 से ही यूरोपीय देशों से पहियों का आयात करते रहे हैं. अब हमने इनकी मैन्युफैक्चरिंग और निर्यात करने का फैसला किया है.
Indian Railways News: रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Railway Minister Ashwini Vaishnav) ने शुक्रवार को कहा कि रेलवे ने पहिया कारखाना लगाने के लिए टेंडर जारी किया है, जहां हर साल कम-से-कम 80,000 पहियों की मैन्युफैक्चरिंग की जाएगी. साथ ही रेल पहियों (Rail Wheels) का निर्यातक बनने के लिए खाका तैयार किया गया है. वैष्णव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि रेलवे ने पहली बार रेल पहिया संयंत्र लगाने के लिए निजी कंपनियों को आमंत्रित किया है.
इस 'मेक इन इंडिया' संयंत्र में तेज रफ्तार वाली ट्रेनों और यात्री कोचों के लिए पहिये बनाए जाएंगे. हर साल यहां बनने वाले 80,000 पहियों की 600 करोड़ रुपये मूल्य में सुनिश्चित खरीद की जाएगी. उन्होंने कहा कि यह पहला मौका है, जब रेलवे ने पहिये के विनिर्माण के लिए निजी क्षेत्र को आमंत्रित करने वाला टेंडर जारी किया है.
हर साल 2 लाख पहियों की जरूरत
बता दें कि भारतीय रेल (Indian Railways) को हर साल दो लाख पहियों की जरूरत है. इस योजना के मुताबिक, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL), जहां एक लाख पहिये बनाएगी. वहीं बाकी एक लाख पहिये इस नए 'मेक इन इंडिया' संयंत्र में बनाए जाएंगे. वैष्णव ने यहां मीडिया को बताया कि यह टेंडर इसी शर्त पर दी जाएगी कि इस संयंत्र में बनने वाले रेल पहियों का निर्यात भी किया जाएगा और यह निर्यात यूरोपीय बाजार को किया जाएगा. टेंडर में यह प्रावधान भी किया गया है कि संयंत्र को 18 महीनों के भीतर स्थापित कर लिया जाएगा. फिलहाल रेलवे बड़े पैमाने पर यूक्रेन, जर्मनी और चेक गणराज्य से पहिये आयात करता है, लेकिन यूक्रेन पर रूस के हमले की वजह से पहियों की खरीद अटक गई है और रेलवे को विकल्प तलाशने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
एक पहिये के आयात पर लागत
रेल मंत्री ने कहा कि आज यह टेंडर जारी किया गया है. हम 1960 से ही यूरोपीय देशों से पहियों का आयात करते रहे हैं. अब हमने इनकी मैन्युफैक्चरिंग और निर्यात करने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि यह फैसला पूरे तकनीकी विश्लेषण और इसके लिए जरूरी कच्चे माल की देश में उपलब्धता जैसे बिंदुओं पर चर्चा के बाद लिया गया है. रेल अधिकारियों ने अनुमान जताया कि घरेलू स्तर पर रेल पहिये बनने से रेलवे को काफी बचत होने की उम्मीद है, क्योंकि उसे एक पहिये के आयात पर 70,000 रुपये का भुगतान करना होता है.
चीन को मिला था ठेका
वैष्णव ने कहा कि भारत ने माल ढुलाई के लिये बनाये गये गलियारा और बुलेट ट्रेन के लिए उच्च क्षमता वाली पटरियों (रेल) का आयात किया था. लेकिन अब देश में ही इन्हें बनाने के लिए एक समझौता होने वाला है. उन्होंने कहा कि इस मेक इन इंडिया समझौते के तहत देश के भीतर ही उच्च क्षमता वाली पटरियां बनाई जाएंगी. रेलवे ने मई में वंदे भारत ट्रेनों के लिए 39,000 पहियों की आपूर्ति का 170 करोड़ रुपये का ठेका चीन की एक कंपनी को दिया था.
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