ट्रेन परिचालन को लेकर पंजाब सरकार और रेलवे के बीच ठनी, जानें क्या है पूरा मामला?
रेलवे का कहना है कि रेलवे पूरे देश में ट्रेन अपनी सुरक्षा और ट्रेन मैनेजमेंट को देखते हुए चलाती है. इसमें वो राज्य सरकारों से निर्देश नहीं लेती.
नई दिल्ली: पंजाब में 37 दिनों से रेल का चक्का जाम है. तीन दिनों से रोज़ पंजाब सरकार रेलवे को आश्वासन दे रही है कि सभी स्थानों से रेल ट्रैक आंदोलनकारियों से ख़ाली करा लिया जाएगा. लेकिन आज भी पंजाब में रेल परिचालन शुरू नहीं हो सका है. इस पूरे मामले में रेलवे बोर्ड लगातार कह रहा है कि जब तक पूरे पंजाब में सभी रूटों पर, सभी तरह की ट्रेनों को चलाने के लिए पंजाब सरकार सुरक्षा का भरोसा नहीं देती तब तक कोई भी ट्रेन नहीं चलाई जाएगी.
पंजाब सरकार का नया प्रस्ताव
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने आज बताया कि पंजाब सरकार पहले सभी स्थानों पर रेल ट्रैक को ख़ाली कराने की बात कर रही थी लेकिन अब पंजाब सरकार ने रेलवे से कहा है कि वो सिर्फ़ गुड्स ट्रेनें ही चलाए. यात्री ट्रेनों को चलाने के लिए अभी सुरक्षित स्थितियां नहीं हैं. लेकिन इस पर रेलवे का स्टैंड साफ़ है कि जब तक गुड्स ट्रेनों के साथ यात्री ट्रेनों को भी चलाने के लिए पूर्ण सुरक्षा का आश्वासन नहीं दिया जाता तब तक कोई भी ट्रेन चलना रेलवे के लिए सम्भव नहीं है.
रेलवे का तर्क
रेलवे का कहना है कि रेलवे पूरे देश में ट्रेन अपनी सुरक्षा और ट्रेन मैनेजमेंट को देखते हुए चलाती है जिसमें वो राज्य सरकारों से निर्देश नहीं लेती. अगर ऐसा होगा तो अलग-अलग राज्यों ने अनेकों निर्देश मिलने लगेंगे जिससे रेल परिचालन में बेहद मुश्किलें आने लगेंगी. कोई रेलवे को ये नहीं बता सकता कि किस रूट पर कौन सी ट्रेन कब चलाई जाय. ये बातें रेलवे अपनी टेक्निकल स्थितियों और ज़रूरतों के अनुसार ही तय करती है.
पंजाब में पिछला अनुभव
रेलवे का ये भी कहना है कि अपवाद के रूप हमने पंजाब सरकार के आग्रह को मानते हुए 22 सितम्बर से 24 सितम्बर के बीच और 24 अक्टूबर से 29 अक्टूबर के बीच में गुड्स ट्रेनों का परिचालन शुरू भी किया था लेकिन इन ट्रेनों को जगह-जगह आंदोलनकारियों के विरोध का सामना करना पड़ा. कुछ स्थानों पर ट्रेन के कारण आंदोलनकारियों की जान को ख़तरा भी हो गया था. ऐसे में सेलेक्टिव तरह से ट्रेन चलाने से आंदोलनकारियों, यात्रियों, लोको पायलट और ट्रेन में लदे सामान की सुरक्षा को भी जानबूझकर ख़तरे में डालना होगा.
अवरोध की ताज़ा स्थिति
रेलवे बोर्ड के सीईओ ने बताया कि इस वक़्त भी पंजाब में 1 स्थान पर आंदोलनकारी रेलवे ट्रैक पर बैठे हुए हैं और 22 अन्य स्थानों पर किसान आंदोलनकारी रेल पटरी से कुछ ही दूरी पर इकट्ठा हैं और स्टेशन मास्टरों से कह रहे हैं कि अगर यात्री ट्रेनें आईं तो हम रेल ट्रैक जाम कर देंगे. राज्यसरकार ने भी कल रात रेलवे को पत्र लिख कर कहा है कि सिर्फ़ गुड्स ट्रेनें ही चलाइए.
पंजाब में एसेंशिएल सेवाओं की कमी
पंजाब राज्य में चल रहे किसान आंदोलन ने, विशेष रूप से रेल संपत्ति को लक्षित करके, पिछले एक महीने से राज्य में यात्री और माल गाड़ी सेवाओं को बुरी तरह प्रभावित किया है. परिणामस्वरूप, राज्य को अब कोयले, उर्वरक, सीमेंट, पेट्रोलियम पदार्थों, कंटेनर और स्टील की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है, जिससे थर्मल पावर प्लांट और अन्य उद्योगों के कामकाज पर प्रतिकूल असर पड़ा है.
अब तक रेलवे को 1200 करोड़ का नुक़सान
पंजाब में 1 अक्टूबर से ही ट्रेनों का चक्का जाम है. इसकी वजह से पिछले 36 दिनों में रेलवे को 1200 करोड़ रूपए से अधिक का नुक़सान हो चुका है. 2200 से ज़्यादा गुड्स ट्रेनें रद्द की जा चुकी हैं जबकि 1300 से ज़्यादा यात्री ट्रेनों को कैंसिल करना पड़ा है. रोज़ाना 70 यात्री ट्रेनों को निरस्त किया जा रहा है.
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