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रेलवे ने बनाया ड्रोन निगरानी बेड़ा, नौ जवानों का काम करेगा एक ड्रोन, 26 ‘निंजा ड्रोन’ बेड़े में शामिल
रेलवे की सम्पत्तियों की निगरानी करते समय इसकी वजह से कई चोर भी पकड़े जा चुके हैं. इस ड्रोन से लाईव फ़ुटेज हमें मिलती रहती है जिससे प्रभावी निर्णय लेना आसान हो जाता है.
![रेलवे ने बनाया ड्रोन निगरानी बेड़ा, नौ जवानों का काम करेगा एक ड्रोन, 26 ‘निंजा ड्रोन’ बेड़े में शामिल Railways built drone monitoring fleet, a drone to serve nine jawans, included in 26 ninja drone fleet ANN रेलवे ने बनाया ड्रोन निगरानी बेड़ा, नौ जवानों का काम करेगा एक ड्रोन, 26 ‘निंजा ड्रोन’ बेड़े में शामिल](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2020/01/28055126/drone.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
रेलवे ने अपनी सम्पत्तियों की निगरानी और यात्रियों की सुरक्षा के लिए हाई क्वालिटी ड्रोन निंजा का इस्तेमाल शुरू किया है. ऐसे 26 ड्रोन रेलवे अलग अलग ज़ोन में इस्तेमाल कर रहा है. फ़िलहाल सेंट्रल रेलवे और साउथ सेंट्रल रेलवे में भी इसका बड़े पैमाने पर लाभ मिल रहा है.
एक ड्रोन करता है क़रीब नौ जवानों के बराबर निगरानी का काम
एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए आरपीएफ डीजी अरुण कुमार ने बताया कि कुम्भ या त्योहारों में यात्री सुरक्षा के लिए भी ड्रोन बेहद काम के हैं. एक ड्रोन नौ जवानों की जगह निगरानी के लिए तैनात किया जा सकता. रेलवे की सम्पत्तियों की निगरानी करते समय इसकी वजह से कई चोर भी पकड़े जा चुके हैं. इस ड्रोन से लाईव फ़ुटेज हमें मिलती रहती है जिससे प्रभावी निर्णय लेना आसान हो जाता है.
सस्ता और अधिक सक्षम है ड्रोन से निगरानी का काम
ड्रोन का इस्तेमाल रेलवे अपने उन रेलवे यार्ड में निगरानी करने के लिए कर रहा है जहां लम्बी दूरी तक फैलाव है. वहाँ अधिक मैन पावर की आवश्यकता पड़ती है. लेकिन ड्रोन से एरियल व्यू मिलने के कारण ये अधिक सक्षम है.
निंजा ड्रोन का रेलवे में हो रहा है इस्तेमाल
निंजा दरअसल एक ख़ास तरह के ड्रोन का नाम है जिसमें लाईव स्ट्रीमिंग के ज़रिए रियल टाईम में इसमें लगे कैमरों से ली जा रही तस्वीरों को स्क्रीन पर देखा जा सकता है. इसीलिए इससे निगरानी करना अधिक प्रभावकारी है. रेलवे इससे अपने ट्रैक सेक्शन, यार्ड, वर्कशॉप और अन्य रेलवे सम्पत्तियों की निगरानी कर रही है.
रेलवे ने ड्रोन उड़ाने के लिए बनाई है अलग सेल
इन सभी ड्रोन के लिए रेलवे ने डीजीसीए से परमिशन ली है. आरपीएफ़ ने एक आधुनिकीकरण सेल बनाई है जिसमें स्थित विशेष सदस्यों को ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग और लाइसेंस दिया गया है. ये ड्रोन दो किलोमीटर की दूरी तक अपने कैमरों से निगरानी कर सकते हैं. एक बार में ये ड्रोन 25 तक हवा में रह सकते हैं. दो किलो वजन वाले ये ड्रोन दिन की रोशनी में 1280x720 पिक्सल तक की एचडी इमेजेज़ ले सकते हैं.
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