रेलवे ने रद्द किया चीनी कंपनी का सिग्नलिंग ठेका, अब वर्ल्ड बैंक से भी करेगा शिकायत
इस कंपनी ने चार साल के बाद भी सिर्फ बीस फीसदी काम ही पूरा किया है. ये बहुत खराब परफॉर्मेंस के तहत आता है. इस कंपनी के काम करने के तरीके से रेलवे संतुष्ट नहीं है.
नई दिल्ली: ‘बीजिंग नेशनल रेलवे रिसर्च एंड डिज़ाइन इंस्टिट्यूट ऑफ़ सिग्नल एंड कम्यूनिकेशन ग्रुप कॉर्पोरेशन लिमिटेड’ नाम की चाइनीज़ कम्पनी को सूचनाएं छिपाने, गुणवत्ता और वक़्त पर काम पूरा न करने की वजह से भारतीय रेलवे अपने सिग्नलिंग के काम से बाहर करेगी.
किस तरह का कॉन्ट्रैक्ट है?
जून 2016 में रेलवे के ईस्टर्न डेडिकेटेड फ़्रेट कॉरिडोर की सिग्नलिंग और टेलीकम्यूनिकेशन व्यवस्था का 471 करोड़ रुपये का काम इस चाइनीज़ कम्पनी को दिया गया था. इसके तहत इस कम्पनी को उत्तर प्रदेश के कानपुर से दीन दयाल उपाध्याय (मुग़लसराय ) सेक्शन की 417 किलोमीटर रेल लाईन पर सिग्नलिंग का काम करना था.
मुख्य विवाद क्या है?
इस कम्पनी से जब भारतीय रेलवे ने सुरक्षा कारणों से इंटरलिंकिंग के लिए सिग्नलिंग से जुड़े सॉफ़्टवेयर का सिग्नल कोड मांगा तो चाइनीज़ कम्पनी ने देने से इंकार कर दिया. इस कम्पनी के काम करने के तरीक़े और सूचनाओं को साझा न करने के कारण रेलवे इससे संतुष्ट नहीं है. इसके अलावा चाइनीज़ कम्पनी 4 साल में सिर्फ़ 20 फीसदी काम ही कर पाई है जो कि बहुत ख़राब परफ़ॉर्मेंस के अंतर्गत आता है.
वर्ल्ड बैंक से जुड़ा है मामला
दरअसल इस प्रोजेक्ट की फ़ंडिंग वर्ल्ड बैंक ने की है. वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में ही ये कॉन्ट्रैक्ट चाइनीज़ कम्पनी को दिया गया है. इसलिए रेलवे अब वर्ल्ड बैंक को एक पत्र लिख कर कम्पनी के नॉन परफ़ॉरमेंस और ख़राब गुणवत्ता के कारण इसका कांट्रैक्ट रद्द करने की मांग करेगी.
किसी भी हाल में कांट्रैक्ट को बहाल नहीं किया जाएगा
रेलवे का कहना है कि अगर वर्ल्ड बैंक इस चाइनीज़ कम्पनी का ठेका रद्द नहीं करता है तो रेलवे इस कम्पनी का कॉन्ट्रैक्ट ख़ुद ही रद्द कर देगी. ऐसे में समस्या सिर्फ़ फ़ंडिंग की आएगी. रेलवे ने ये तय किया है कि ऐसे हालात में रेलवे ख़ुद इस प्रॉजेक्ट की फ़ंडिंग करेगी और किसी भारतीय कम्पनी को वरीयता में रखेगी. डीएफ़सीसीआईएल ने ये ठेका रद्द करने का फ़ैसला लिया है.
क्या हैं अन्य आपत्तियां?
महत्वपूर्ण सूचनाएं साझा न करने के अलावा चाइनीज़ कम्पनी के सम्बंधित अधिकारी साईट पर मौजूद नहीं रहते, लोकल सम्बंधित संस्थाओं से कम्पनी ने कोई सम्पर्क नहीं किया जिससे फ़िज़िकल वर्क सम्भव नहीं हो सका. ज़रूरी सामानों को भी इकट्ठा नहीं किया गया. कम्पनी के हर स्तर के अधिकारियों के साथ लगातार मीटिंग करने के बाद भी कार्य में कोई प्रगति नहीं हो सकी.
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