राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने हाल ही में महाराष्ट्र और कर्नाटक के 44 ठिकानों पर छापेमारी की थी. इस छापेमारी के दौरान NIA ने प्रतिबंधित आतंकी संगठन आईएसआईएस से जुड़े 15 लोगों को भी गिरफ्तार किया है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय जांच एजेंसियां ​​अब उत्तरी रेलवे में काम करने वाले एक सरकारी कर्मचारी की तलाश कर रही हैं, जिसने कथित तौर पर IS को फंड देने के लिए जाली मेडिकल बिल बनाए. 


दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने अक्टूबर में ISIS से जुड़े तीन लोगों शाहनवाज आलम, मोहम्मद रिजवान अशरफ और मोहम्मद अरशद वारसी को गिरफ्तार किया था. गृह मंत्रालय ने नबंवर में इस मामले की जांच NIA को सौंपी. NIA ने 9 दिसंबर को ISIS के मॉड्यूल का खुलासा किया. एक खुफिया अधिकारी के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में बताया गया कि NIA ने तीनों आरोपियों की बैंक डिटेल की जांच की थी. इस दौरान जांच एजेंसी को एक सोर्स मिला, जिससे तीनों के खातों में नियमित पैसा आ रहा था. 


कई जांच एजेंसियां कर रहीं तलाश


पूछताछ के दौरान आरोपियों ने बताया कि एक व्यक्ति नोएडा में रहता था, वह उत्तर रेलवे के वित्तीय विभाग में क्लर्क के रूप में काम करता था. वह लगातार इन तीनों के संपर्क में था. जांच में पता चला कि इन तीनों कथित तौर पर उसे कट्टरपंथी बनाया. रेलवे का ये क्लर्क अब फरार है, कई एजेंसियां उसकी तलाश में जुटी हैं. हालांकि, उस व्यक्ति को गिरफ्तार करने के बाद मॉडस ऑपरेंडी सामने आ पाएगी. एक सूत्र ने बताया कि रेलवे क्लर्क ने कई जाली मेडिकल बिल लगाए थे, इनमें कथित तौर पर आईएसआईएस के लोगों के अकाउंट नंबर डाले गए थे, इनमें ही पैसा जमा किया गया. 
 
सूत्र ने बताया, उत्तर रेलवे को इस बारे में जानकारी दे दी गई है. इस मामले में दिल्ली पुलिस के साथ पार्लियामेंट स्ट्रीट पुलिस स्टेशन में भी शिकायत दर्ज कराई गई, जिसमें आंतरिक धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है और क्लर्क के खिलाफ एफआईआर की मांग की गई है. हालांकि, इस शिकायत में ISIS आतंकवादियों के साथ उसकी लिंक का कोई जिक्र नहीं किया गया है. 


सभी गिरफ्तार आरोपी ठाणे के 


NIA ने इस मामले में जिन 15 लोगों को गिरफ्तार किया है, वे सभी महाराष्ट्र के ठाणे जिले के हैं. NIA ने दावा किया है कि इस पूरे मॉड्यूल का लीडर साकिब नाचन (63 साल) है. नाचन ने ही इन लोगों को आतंकी मॉड्यूल में शामिल कराया. NIA का दावा है कि मॉड्यूल देश भर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की योजना बना रहा था. 
 
“जांच से पता चला है कि आरोपी पडघा-बोरीवली से काम कर रहे थे, जहां उन्होंने पूरे भारत में आतंक फैलाने और हिंसा को अंजाम देने की साजिश रची थी. एनआईए ने एक बयान में कहा, हिंसक जिहाद, खिलाफत, आईएसआईएस के रास्ते पर चलते हुए आरोपियों का मकसद देश की शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ना और भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना था. 
 
साकिब नाचन 1990 के दशक से ही सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर था. उस पर एक दर्जन से अधिक टेरर केस दर्ज हैं और वह दो बार दोषी ठहराया गया. 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें खालिस्तानी आतंकवादियों के साथ मिलकर 1990 के दशक की शुरुआत में आतंकी हमलों की योजना बनाने का दोषी ठहराया था. उस पर मुंबई में 2002-03 के विस्फोटों में भी मामला दर्ज किया गया था, और 2016 में मुंबई की एक कोर्ट ने 10 साल की सजा सुनाई. उसने दोनों सजाएं पूरी कीं और 2017 में रिहा हो गया. इससे पहले उसके बेटे शमील नाचन को एनआईए ने महाराष्ट्र आईएसआईएस मॉड्यूल से जुड़े आतंकी मामले में गिरफ्तार किया था.