नई दिल्लीः कोरोना महामारी के प्रकोप को रोकने के लिए देशभर में लॉकडाउन लगाया गया था. लॉकडाउन के कारण तकरीबन दो महीने से भी ज्यादा समय से देशभर में कई उद्योग और व्यापार ठप पड़ गए थे. इसके साथ ही लॉकडाउन ने मजदूर वर्ग को सबसे ज्यादा प्रभावित किया था. देशभर से कई हिस्सों में रोजी रोटी कमाने गए मजदूर लॉकडाउन में काम ना होने के कारण भूखे रहने को मजबूर थे. वहीं कई मजदूरों ने पैदल ही घर का सफर शुरू कर दिया था. इन मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए रेलवे ने कई राज्यों के बीच श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई थी.


भारतीय रेलवे ने एक मई से अब तक 2,570 श्रमिक विशेष ट्रेनों से 32 लाख प्रवासी कामगारों को उनके घरों तक पहुंचाया है. भारतीय रेलवे की ओर से आधिकारिक आंकडों में यह जानकारी दी गई है. श्रमिक विशेष ट्रेनें मुख्यत: राज्यों के अनुरोध पर चलाई जा रही हैं. जो लॉकडाउन के कारण फंसे प्रवासी कामगारों को उनके गृह राज्यों तक भेजना चाहते हैं. रेलवे इन ट्रेनों को चलाने के कुल खर्च का 85 फीसद खर्च खुद वहन कर रही है शेष राशि राज्य दे रहे हैं.


बता दें कि रेलवे की ओर से जारी आंकड़ों में कुल 2 हजार 570 ट्रेनों में से 505 रेलगाड़ियां अपने गंतव्य तक अभी नहीं पहुंची हैं. शेष 2,065 रेलगाडियों ने अपनी यात्राएं पूरी कर ली है. रेलवे के आंकडों के अनुसार उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 1 हजार 246 श्रमिक विशेष रेलगाड़ियां पहुंची हैं. इसके बाद बिहार में 804 और झारंखड में 124 रेलगाड़ियां पहुंची हैं। वहीं गुजरात ने 759, महाराष्ट्र ने 483 और पंजाब ने 291 श्रमिक विशेष रेलगाड़ियों से प्रवासी कामगारों को रवाना किया है.


गौरतलब है कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के चलते हजारों की संख्या में प्रवासी कामगार पैदल, साइकिलों से अथवा अन्य साधनों से अपने घरों के लिए रवाना होने लगे थे. विभिन्न सड़क दुर्घटनाओं में अनेक प्रवासी कामगारों की मौत भी हुई थी. इसके बाद रेलवे ने एक मई से कामगारों को उनके गृह राज्यों तक पहुंचाने के लिए श्रमिक विशेष रेलगाड़ियों का परिचालन शुरू किया.


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