'महंगे गिफ्ट दिए, ताकि यात्रियों की समस्या न उठाएं', इस सांसद ने उठाए रेलवे पर सवाल; जानें क्या मिला जवाब?
रेल मंत्रालय के मुख्य प्रवक्ता ने बताया कि ये उपहार मूलतः राइट्स के कर्मचारियों को देने के लिए बनवाया गया था. बीते 25 अप्रैल को राइट्स का 50वां स्थापना दिवस था.
बिहार के आरा से भारतीय मार्क्सवादी लेनिनवादी पार्टी के सांसद सुदामा प्रसाद ने रेलवे पर एक बड़ा आरोप लगाते हुए रेलवे की स्टैंडिंग कमेटी के अध्यक्ष सी एम रमेश को एक पत्र लिखा है. सुदामा प्रसाद ने आरोप लगाया है कि रेलवे ने अपने पीएसयू राइट्स और आरवीएनएल के माध्यम से स्टैंडिंग कमेटी से जुड़े सांसदों को सोने के सिक्के और चांदी के ब्लॉक गिफ्ट किए हैं. सुदामा प्रसाद ने ये गिफ्ट रेलवे को वापस भिजवा दिए हैं.
सुदामा प्रसाद ने आरोप लगाया कि स्टैंडिंग कमेटी के सांसदों का काम है कि वो रेल यात्रियों की सुविधाओं के पक्ष में काम करें, लेकिन रेलवे ने इतने महंगे गिफ्ट सांसदों को प्रभावित करने के लिए दिए हैं ताकि सांसद यात्रियों की सुविधाओं में हो रही गड़बड़ी को संसद में रेखांकित ना करें.
क्या है पूरा मामला
रेलवे की संस्था राइट्स ने संसद की स्थायी समिति (रेलवे) के सांसदों का एक स्टडी टूर कराया था. स्टैंडिंग कमेटी का सदस्य होने के नाते सुदामा प्रसाद भी इस टूर का हिस्सा थे. ये टूर 31 अक्टूबर से 7 नवंबर 2024 के बीच हुआ था. ये यात्रा बेंगलुरु, तिरुपति से हैदराबाद तक हुई थी. इस यात्रा के दौरान रेलवे की दो बड़ी कंपनियों, आरआईटीईएस और रेल विकास निगम लिमिटेड ने कमेटी के सदस्यों को गिफ्ट दिया. सांसद सुदामा प्रसाद को ये गिफ्ट दो बैग में उनके घर पर ला कर दिया गया था. उस वक्त सुदामा प्रसाद ने उसे खोलकर नहीं देखा. बाद में उन्होंने पाया कि एक बैग में एक ग्राम सोने का सिक्का और दूसरे में 100 ग्राम चांदी का एक ब्लॉक है. सुदामा प्रसाद ने ये गिफ्ट रेलवे को लौटा दिया और अपनी नाराजगी जताई.
स्टैंडिंग कमेटी के अध्यक्ष को लिखे पत्र में क्या कहा
सांसद सुदामा प्रसाद ने अपने पत्र में लिखा कि किसी कार्यक्रम के बाद उपहार देने का चलन है लेकिन ये उपहार शॉल और स्मृति चिन्ह के रूप में होना चाहिए ना कि सोने चाँदी के सिक्कों के रूप में. ये तो सांसदों को प्रभावित करने के लिए दिया गया प्रतीत होता है जो कि अनैतिक है.
कर्मचारियों को बांटने के लिए बनवाए गए थे सोने के सिक्के
रेल मंत्रालय के मुख्य प्रवक्ता ने एबीपी न्यूज को बताया कि ये उपहार मूलतः राइट्स के कर्मचारियों को देने के लिए बनवाया गया था. बीते 25 अप्रैल को राइट्स का 50वां स्थापना दिवस था. इस अवसर पर ये सोने के सिक्के राइट्स के सभी करीब 400 कर्मचारियों को बांटे गए थे.
सांसद सुदामा प्रसाद के आरोप पर रेलवे की प्रतिक्रिया
रेल मंत्रालय के मुख्य प्रवक्ता ने कहा कि हम जो भी काम करते हैं उसकी एक प्रति सूचना और प्रचार के तौर पर सांसदों को देते हैं ताकि जन प्रतिनिधियों को हमारे कामों की जानकारी हो. वैसे भी ये सिक्के भी अपने आप में एक प्रतीक चिन्ह के तौर पर ही बांटे गए थे. इसलिए स्थाई समिति के सांसदों को भी दिए गए. दिए गए एक सोने के सिक्के की कीमत करीब 5 हजार रुपए है. गोल्डन जुबली होने के कारण सोने के सिक्के कर्मचारियों को उनके योगदान के तौर पर इस खास अवसर के स्मृति चिन्ह के तौर पर दिया गया. इन सिक्कों पर भी ये बात अंकित है. चाँदी के सिक्के पर नई संसद बिल्डिंग का चिन्ह अंकित है.