नई दिल्ली: भारत-चीन के बीच सीमा विवाद और तनाव के बीच सरकार ने एक और बड़ा फैसला लिया है. इस बार फैसला रेलवे मंत्रालय ने लिया है. रेलवे उपक्रम डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कारपोरेशन लिमिटेड ने चीनी फर्म बीजिंग नेशनल रेलवे रिसर्च एंड डिज़ाइन इंस्टीट्यूट ऑफ सिग्नल एंड कम्युनिकेशन कंपनी लिमिटेड के साथ चल रहे कॉन्ट्रैक्ट को रद्द कर दिया है.
दरअसल, इस चीनी कंपनी को कानपुर से दीन दयाल उपाध्याय रेलवे सेक्शन के बीच 417 किमी के सेक्शन में सिग्नलिंग और टेलीकॉम का काम दिया गया था. ये काम 471 करोड़ रुपये का था. जून 2016 में ये काम इस चीनी फार्म को कॉन्ट्रैक्ट के तहत दिया गया था. लेकिन रेलवे के मुताबिक, कॉन्ट्रैक्ट दिए जाने के 4 साल बीत जाने पर भी अभी तक सिर्फ 20 फीसदी काम ही चीनी कंपनी कर पाई थी. काम बेहद धीमी गति से किया जा रहा था.
कल यानी 17 जून को ही प्रधानमंत्री मोदी ने चीन को चेतावनी देते हुए कहा था कि चीन की धोखेबाजी और कायराना हरकत की कीमत उसे चुकानी होगी. इसके बाद सबसे पहले संचार मंत्रालय ने चीनी कंपनी के संचार से जुड़े उपकरणों के इस्तेमाल पर न केवल रोक लगाई बल्कि चीनी कंपनी को मिले टेंडर भी रद्द करने के निर्देश जारी कर दिए. इसके अलावा प्राइवेट सर्विस प्रोवाइडर्स को भी चीनी उपकरणों को इस्तेमाल से हटाने के निर्देश दिए गए. दो चीनी कंपनियों को खास तौर पर निशाने पर लिया गया. इसके पीछे वजह, इन कंपनी के जरिए डेटा चोरी और जासूसी के आरोप भी लगाना माना जा रहा है.
अब रेलवे ने भी चीनी कंपनी के 471 करोड़ के करार को रद्द कर दिया है. रेलवे के इस कदम को भारत -चीन के बीच चल रहे तनाव से जोड़कर देखा जा रहा है. बेहद धीमी गति से काम किया जा रहा था. कॉर्पोरेशन की तरफ से जवाब मांगने पर संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा था. इस पर रेलवे ने बड़ी करवाई करते हुए चीनी फर्म का कॉन्ट्रैक्ट रद्द किया है. हालांकि, रेलवे ने कॉन्टैक्ट रद्द करने की वजह, चीनी फर्म का लापरवाही भरा रवैया बताया है.
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