नई दिल्ली: अगले महीने रिटायर हो रहे सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जस्ती चेलमेश्वर ने कहा कि वह कुछ मुद्दों और मूल्यों के लिए खड़े हुए. उन्होंने कहा कि जहां उन्होंने देखा कि गलत हो रहा है वहां वह खड़े हुए और उसमें व्यवस्था में किसी के प्रति उनका कोई निजी विरोध नहीं था. न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने शुक्रवार को अपनी विदाई समारोह में कहा, "मैं कुछ मुद्दों और मूल्यों के लिए खड़ा हुआ. जब कभी मैंने देखा कि गलत हो रहा है तो मैं खड़ा हुआ. सवाल उठाया. अगर कुछ संदेहपूर्ण है तो उसकी जांच कर संशोधन किया जाना चाहिए. व्यवस्था में मेरा किसी से निजी विरोध नहीं था."


जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि वकीलों की युवा पीढ़ी ने संस्थान में लोकतांत्रिक व्यवस्था बनाने में उनका समर्थन किया लेकिन प्रतिष्ठिति संवैधानिक वकीलों और कानूनविदों ने हर तरफ से उन पर हमले किए. अपने अंतिम कार्य दिवस शुक्रवार को उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय की परंपरा के अनुसार चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के साथ पीठ साझा किया.


संवेदनशील मामलों के आवंटन समेत सर्वोच्च न्यायालय की कार्यप्रणाली और उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति के मसले पर 65 वर्षीय न्यायमूर्ति चेलमेश्वर का दीपक मिश्रा के साथ मतभेद बना रहा. सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठ न्यायाधीशों के द्वारा 12 जनवरी को प्रेसवार्ता करने में वह सबसे आगे थे. चेलमेश्वर 22 जून को रिटायर हो रहे हैं. सर्वोच्च न्यायालय में अगले हफ्ते से गर्मियों की छुट्टी हो रही है इसलिए शुक्रवार का दिन चेलमेश्वर के लिए सुप्रीम कोर्ट में आखिरी कार्यदिवस था.