राज की बातः गुजरात निकाय चुनाव में मिली जीत के बाद इन चुनावी राज्यों में बिसात बिछा रहे हैं अरविंद केजरीवाल
Raj Ki Baat: दिल्ली से जुड़े इलाक़े नोएडा, ग़ाज़ियाबाद और यूपी के बड़े शहरों पर आम आदमी पार्टी का फ़ोकस ज्यादा है. औद्योगिक विस्तार और रोज़गार को भी वह बिजली से जोड़ेगी और दिल्ली में सब कुछ ठीक कर देने के दावे के साथ केजरीवाल की पार्टी यूपी में भी जड़ें जमाने की जुगत में है.
![राज की बातः गुजरात निकाय चुनाव में मिली जीत के बाद इन चुनावी राज्यों में बिसात बिछा रहे हैं अरविंद केजरीवाल Raj ki baat after the victory in Gujarat civic elections Arvind Kejriwal s aap moves these states ANN राज की बातः गुजरात निकाय चुनाव में मिली जीत के बाद इन चुनावी राज्यों में बिसात बिछा रहे हैं अरविंद केजरीवाल](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2020/02/11205601/aap.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Raj Ki Baat: सूरत के निकाय चुनाव में सफलता के बाद आम आदमी पार्टी की जगी हुई महत्वाकांक्षायें इस बार पंजाब ही नहीं उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी गुल खिलाने की तैयारी कर रही हैं. अरविंद केजरीवाल दिल्ली के फ़ार्मूले पर उत्तर प्रदेश में सेंधमारों की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन उत्तराखंड में बीजेपी को उसकी ही रणनीति से चुनौती के लिए भी बिसात बिछानी शुरू कर दी है. राज़ की बात में आपको यूपी में केजरीवाल की रणनीति और पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में बीजेपी को उसकी ट्रिक से जो बिसात बिछाई जा रही है, उसको बताएँगे.
दिल्ली में बिजली हाफ़, पानी माफ़ ने केजरीवाल को विजयी बनाया. एक बार नहीं बल्कि तीन-तीन बार इसी फ़ार्मूले के सहारे आप ने देश की राजधानी में अपना परचम फहराया. लगातार तमाम राज्यों में विस्तार के लिए आतुर आप को पंजाब में तो अच्छी सफलता मिली. सत्ता के क़रीब तक पहुंची, लेकिन अन्य राज्यों में वह चारों खाने चित हो गई. इधर, दिल्ली में भी केजरीवाल की सरकार को समस्या आने लगी तो उन्होंने इसी राज्य में फ़ोकस किया. उन्हें लगा कि नई सियासी फसल बोने के चक्कर में कहीं दिल्ली की उनकी लहलहाती सियासत को ही कोई काट न ले जाए. कुछ दिन शांति धारण करने के बाद अब आम आदमी पार्टी ने फिर से पैर पसारने की योजना को अमली जामा पहनाना शुरू किया है.
यूपी में दिल्ली का फॉर्मूला
राज की बात ये कि उत्तर प्रदेश में तो बिजली हाफ़, पानी माफ़ के अपने सुपरहिट फ़ार्मूले को लेकर वह संजय सिंह के नेतृत्व में उतरने जा रही है. संजय सिंह लगातार यूपी में ही ज़ोर लगाए हैं. कई प्रशासनिक अधिकारी जो हाशिये पर थे या हटा दिए गए, वो झाड़ू पर सवार होकर अपनी दमित इच्छाओं की पूर्ति का मार्ग ढूढ़ रहे हैं. इसके अलावा बीजेपी के असंतुष्टों में भी सेंधमारी की कोशिशें हो रहीं हैं.
उत्तराखंड में आप को दिख रहा है भविष्य
वहीं, पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में आप बेहद आक्रामक है. पंजाब की तरह उत्तराखंड में उसे भविष्य की संभावनायें ज्यादा नज़र आ रहीं हैं. यहां पर आप ने बीजेपी की तरह दूसरे दलों के मज़बूत स्तंभों को तोड़कर लाने की बिसात बिछाई है. जिस तरह से पश्चिम बंगाल में तृणमूल के बड़े दिग्गजों को पार्टी में शामिल करा पूरी फिजां बदल दी, वैसा ही कुछ आप भी यहां करना चाहती है.आप के वरिष्ठ सूत्रों के मुताबिक़ उत्तराखंड में तो कांग्रेस के क़रीब 40 फ़ीसद असंतुष्ट नेता पार्टी में आने को तैयार बैठे हैं. वहीं, बीजेपी में भी हाशिये पर चले गए कुछ पाकेट में प्रभाव रखने वाले नेता भी लगातार संपर्क में हैं.
पहाड़ की सियासत में उथल-पुथल की कोशिश
राज की बात ये कि आप ने उम्मीदवारों के चयन से लेकर संगठन के गठन तक में इन्हें ज़िम्मेदारी देने का फ़ार्मूला तैयार कर लिया है. खासतौर से जिन क्षेत्रों में बीजेपी और कांग्रेस से थोड़ा भी दागी उम्मीदवार होगा, वहां पर आप ज्यादा आक्रामक तरीक़े से जुटेगी. उनके सामने अपेक्षाकृत बेहतर छवि वाले प्रत्याशी को उतार कर पहाड़ की सियासत में उथल-पुथल की कोशिश की जाएगी. हालाँकि, आप को सबसे बड़ी दिक़्क़त सैनिकों के बीच पैठ. बनाने में हो रही है. इसके लिए उत्तराखंड का सेना पृष्ठभूमि से जुड़ा कोई बड़ा चेहरा अपने पक्ष में लाने की कोशिश की जाएगी.
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