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राज की बात: अरविंद केजरीवाल सरकार का सीसीटीवी लगाने का वादा, दिल्ली पुलिस के लिए बना वरदान
केजरीवाल ने अपने घोषणापत्र में दिल्ली को सीसीटीवी से आच्छादित करने का वादा किया था. काम देर से शुरू हुआ. बीच में चाइनीज़ कैमरे लगाने को लेकर राजनीति भी हुई. मगर सौ बात की एक बात कि इसके नतीजे सकारात्मक आ रहे हैं.
![राज की बात: अरविंद केजरीवाल सरकार का सीसीटीवी लगाने का वादा, दिल्ली पुलिस के लिए बना वरदान Raj ki Baat Arvind Kejriwal Government Poll manifesto for CCTV become useful for Delhi Police राज की बात: अरविंद केजरीवाल सरकार का सीसीटीवी लगाने का वादा, दिल्ली पुलिस के लिए बना वरदान](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2020/07/06174117/arvind-kejriwal-wate_082719100816.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
आज के राज की बात की आख़िरी खबर थोड़ा -फ़ील गुड- वाली. आपको दिखाते हैं और सुनाते हैं ऐसी कहानी जो आपको थोड़ा चौंकाएगी. थोड़ा गुदगुदाएगी भी... बेहद तल्ख और अकूत नकारात्मक बयानों वाले दो ध्रुव कैसे एक दूसरे के पूरक बन रहे हैं. सियासत अपनी जगह. प्रशासनिक रस्साकशी दूसरी तरफ... मगर जब कुछ हुआ तो दोनों पक्षों के और जनता के फ़ायदे में जा रहा है.
हम बात कर रहे हैं नई राजनीति का दावा करके सत्ता में आई अरविंद केजरीवाल सरकार की. साथ ही केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन दिल्ली पुलिस की. उनके बीच की रार की.. तकरार की. मगर अभी हालात कुछ यूँ हो गए हैं कि केजरीवाल की निगाहों से दिल्ली पुलिस तमाम केस हल कर रही है. कैसे...इस राज से पर्दा उठाएँ... इससे पहले याद करिये...
दिल्ली के हम मालिक हैं. दिल्ली पुलिस हमारी नहीं सुनती. हमारे हाथ में पुलिस दो हम दिल्ली को अपराधमुक्त कर देंगे. दिल्ली की ठुल्ली पुलिस.......दिल्ली पुलिस का ठुल्ला... ये सब शब्द कभी होते थे आम आदमी पार्टी सुप्रीमो और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के... तो दिल्ली पुलिस भी अरविंद केजरीवाल और उनके पार्टी के प्रति बेहद तल्ख रवैया रखती थी. लगातार आरोपों और आप के धरना-प्रदर्शनों के चलते सीएम केजरीवाल के ख़िलाफ़ एफआईआर भी दर्ज की गई.
इन सब रार-तकरार के बीच से निकलकर खबर ये आई है कि दिल्ली सरकार ने जो वादा किया था सीसीटीवी कैमरे लगाने का..उसका सफ़र तो अभी लंबा है, लेकिन जो काम हुआ है, उससे ही नतीजे सकारात्मक आने लगे हैं. इससे सबसे ज्यादा फ़ायदा उठा रही है दिल्ली पुलिस. प्रदेश की क़ानून-व्यवस्था पर नज़र बनाए रखने के साथ-साथ कोई भी अपराध होने पर अपराधियों तक पहुँचने में केजरीवाल के ये सीसीटीवी कैमरे दिल्ली पुलिस की भरपूर मदद कर रहे हैं.
अभी चाहे आपने टीवी और सोशल मीडिया पर रिंकू शर्मा की हत्या का फ़ुटेज हो या फिर सुंदरनगरी इलाक़े में बच्चे का अपहरण, इन सभी मसलों का हल दिल्ली पुलिस ने सीसीटीवी फ़ुटेज के माध्यम से किया. न सिर्फ जानकारी, बल्कि अदालत में सुबूत भी ऐसे पुख्ता इन फ़ुटेज की वजह से मिल रहे हैं कि सजा भी लोगों को मिल सकेगी.
केंद्र-दिल्ली और केजरीवाल व दिल्ली पुलिस के बीच तनातनी के बीच ये एक ऐसी खबर है, जिसे सुनकर आपको थोड़ा सुकून मिलेगा. दरअसल, केजरीवाल ने अपने घोषणापत्र में दिल्ली को सीसीटीवी से आच्छादित करने का वादा किया था. काम देर से शुरू हुआ. बीच में चाइनीज़ कैमरे लगाने को लेकर राजनीति भी हुई. मगर सौ बात की एक बात कि इसके नतीजे सकारात्मक आ रहे हैं.
दिल्ली सरकार के सूत्रों के मुताबिक़, अब तक राज्य में दो लाख 10 हज़ार सीसीटीवी कैमरे लगाए जा चुके हैं. इनमें से एक लाख 28 हज़ार कैमरे सड़कों और गलियों में लगे हैं तो बाक़ी स्कूलों में लगाए गए हैं. ख़ास बात है कि ये कैमरे जिस भी लोकेशन में लगाए जा रहे हैं, वो उस इलाक़े के लगभग सभी कोणों को कवर कर रहे हैं.
नतीजा यह हो रहा है कि आपराधिक वारदात करने वाले एक-एक नहीं कई कैमरों में वारदात को अंजाम देने से लेकर भागने तक क़ैद हो रहे हैं. हर एंगल से उनके आने से पुलिस को फ़ायदा यह हो रहा है कि अपराधियों को शक के आधार पर भी बचने का मौक़ा नहीं मिल रहा. दिल्ली पुलिस के जाँच से जुड़े सूत्रों का कहना था कि इन कैमरों में आने वाली तस्वीरें इतनी स्पष्ट हैं कि किसी की भी पहचान आसानी से हो रही है. साथ ही कई एंगल से आने के कारण ये ज्यादा सटीक भी हैं.
इन्हीं सीसीटीवी के चलते अब 26 जनवरी को हुए बवाल या दंगे के अपराधियों की भी तस्दीक़ हो सकी. चाहे, लालक़िला हो या फिर आईटीओ सभी लोकेशन पर हुड़दंगियों की पहचान आसानी से हो पा रही है. वैसे तो दिल्ली पुलिस तमाम व्यापारिक संगठनों और आरडब्ल्यूए से सीसीटीवी लगाने की अपील करती है. मगर इनका मेंटेनेंस और खर्च देखकर लोग शिद्दत से इसे नहीं कर रहे थे. मगर दिल्ली सरकार के इस कदम से निश्चित ही क़ानून-व्यवस्था के मोर्चे पर ज़रूर राहत मिल सकती है.
तो आख़िर में बस बशीर बद्र याद आते हैं.. दुश्मनी जमकर करो, लेकिन ये गुंजाइश रहे के कभी हम दोस्त बन जाएं तो शर्मिंदा न हों...
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