झंडा ऊंचा रहे हमारा. ये झंडा तो तिरंगा है लेकिन थामने वाले हाथ राजनीतिक हैं. तो मुकाबला भी राजनीतिक ही हो गया है. बीजेपी के राष्ट्रवाद को चुनौती देने के लिए अब अरविंद केजरीवाल ने भी वही राह पकड़ ली है. दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने राज्य का बजट पेश किया है. बजट में अच्छी-खासी रकम तिरंगा फहराने के लिए रखी गई है.


इसमें कहा गया है कि पूरी दिल्ली में 500 जगहों पर बड़े-बड़े तिरंगे लगाए जाएंगे. इससे लोगों के मन में देशभक्ति की भावना बढ़ेगी. बात सिर्फ तिरंगे की नहीं है. यहां तक कि केजरीवाल ने अपने बजट को देशभक्ति बजट बता दिया है. इसमें यह भी कहा गया है कि राज्य के सभी स्कूलों में देशभक्ति का पाठ पढ़ाने के लिए अलग से पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा. और ऐसा करने वाला दिल्ली देश का पहला राज्य होगा.


दरअसल, दिल्ली पर छह साल तक राज करने के बाद अरविंद केजरीवाल की महत्वाकांक्षा फिर से हिलोह ले रही हैं. पिछले दिनों गुजरात के सूरत में एक कामयाबी उन्हें हाथ भी लगी है. अब वे एक साथ देश भर में कई जगहों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. उन्हें भी पता है कि यह चुनावी जीत हासिल करने के लिए उन्हें राष्ट्रवाद और बहुसंख्यकों की भावना का सहारा लेना होगा.


दिल्ली के बुजुर्गों को अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर के दर्शन करवाने ले कर जाएंगे- अरविंद केजरीवाल


इसलिए केजरीवाल ना सिर्फ राष्ट्रभक्ति का बीजेपी का हथियार हड़पने में जुट गए हैं, बल्कि हिंदुत्व के खिलाफ भी नहीं दिखना चाहते. केजरीवाल जानते हैं कि बीजेपी को जो भी दस टक्कर देता दिखेगा, अल्पसंख्यक या मोदी विरोधी वोट उसके पास अपने आप जाएंगे. इसलिये वह बड़ा विकल्प तो चाहता है, लेकिन उसके मन में बैठ गया है कि राष्ट्रवाद और हिंदुत्व पर सिर्फ़ बीजेपी ही मुखर है, ऐसे लोगों क रिझाने के लिए केजरीवाल का यह दांव दिलचस्प है.



वैसे अन्ना आंदोलन के दौरान भी भारत माता की तस्वीर और जय के साथ ही तिरंगा तो उन्होंने खूब चमकाया ही था. अब बजट के दौरान केजरीवाल ने खास तौर पर कहा कि वे दिल्ली के बुजुर्गों को अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर के दर्शन करवाने ले कर जाएंगे.


अरविंद केजरीवाल ने कहा कि, “मैं बीजेपी से पूछना चाहता हूं कि तिरंगा भारत में नहीं फहराया जाएगा तो क्या पाकिस्तान में फहराया जाएगा? इसका विरोध करने से मुझे बहुत दुख हुआ.”


अरविंद ने खुद को बताया था हनुमान का भक्त 


दिल्ली चुनाव के पहले भी उन्होंने बीजेपी की रामभक्ति के मुकाबले अपनी हनुमान भक्ति पेश की थी. हनुमान चालिसा का पाठ कर खुद को हनुमान भक्त बताया था. दिल्ली में तो उनका यह दाव कामयाब भी रहा, लेकिन देखना है कि दूसरे राज्यों में जनता राम मंदिर बनवाने वालों को तरजीह देती है या उसके मुफ्त दर्शन करवाने वालों को.


सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि, “मुझे यह समझ नहीं आ रहा कि जब से यह ऐलान किया गया है, तब से भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के लोग इसका विरोध क्यों कर रहे हैं? इसमें विरोध करने वाली क्या बात है? यह तो अच्छा कदम है. इसमें तो साथ देना चाहिए और तारीफ करनी चाहिए. देशभक्ति की बात पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. देश हम सबका है, भारत हम सबका है. चाहे कोई बीजेपी से हो, चाहे कांग्रेस से हो, आम आदमी पार्टी से हो या किसी भी पार्टी से हो, देश हम सभी का है. सीएम ने कहा कि केंद्र सरकार ने जब-जब अच्छे काम किए, हमने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर साथ दिया.”


उन्होंने आगे कहा, मुझे याद है कि 2014 में प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत का ऐलान किया था. तब स्वच्छ भारत अभियान में भाग लेने के लिए मैं खुद झाड़ू लेकर एक झुग्गी बस्ती के अंदर सफाई करने गया था. मुझे याद है कि जब उन्होंने योगा का कार्यक्रम का ऐलान किया था, मैं खुद चटाई लेकर इंडिया गेट पर योगा करने के लिए गया था. जब-जब भारत की बात आती है, हमारे लिए कोई बीजेपी नहीं है, कोई कांग्रेस नहीं है, कोई आम आदमी पार्टी नहीं है, हमारे लिए हमारा देश है, भारत माता है."


उन्होंने कहा, "इसलिए मुझे समझ नहीं आया कि जब हमने कहा कि हम पूरे दिल्ली के अंदर तिरंगे फहराएंगे, तो भारतीय जनता पार्टी वालों ने इसका विरोध क्यों किया? कांग्रेस वालों ने इसका विरोध क्यों किया? ये कहते तिरंगे नहीं होने चाहिए? तिरंगे क्यों नहीं होने चाहिए? भारतीय जनता पार्टी से पूछना चाहता हूं कि यह तिरंगा भारत में नहीं फराएगा तो क्या पाकिस्तान में फहराएगा? हमारे देश का तिरंगा दिल्ली में नहीं फहराएगा, तो क्या इस्लामाबाद में फहराएगा. इस विरोध से मुझे बड़ा दुख हुआ.”


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