नई दिल्लीः देश को आर्थिक तरक्की की राह और रफ्तार पर ले जाने के लिए सरकार की तरफ से नित नई कोशिशें जारी हैं. कोशिश है कि देश में निवेश बढ़े, विकास मेक इन इंडिया वाला हो जिससे देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत हो और बेरोजगारी का ग्राफ भी नीचे गिरे. आज राज की बात में हम तरक्की को रफ्तार देने वाली एक ऐसी ही राज की बात आपको बताने जा रहे हैं जिससे देश में एक नई इंडस्ट्री खड़ी होने जा रही है. ये वो राज की बात है जिसको जानने के बाद रोजगार को लेकर चिंतित वर्ग थोड़ी राहत की सांस ले पाएगा.


अलग अलग सेक्टर्स मे होने वाले उत्पादन के बाद उसे देसी और विदेशी ग्राहकों तक पहुंचाने में कंटेनर्स की भूमिका बहुत होती है, लेकिन क्या आपको पता है कि इन्हें भारत में लाने का खर्च कितना ज्यादा है और इसी आयात के बोझ के बीच से नई इंडस्ट्री की संभावनाओं का सिरा खुलने जा रहा है.


दरअसल, जितनी मात्रा में हर साल भारत को अच्छी क्वालिटी के स्टील कंटेनर्स की आवश्यकता है उसका एक बड़ा हिस्सा हमें चीन से आयात करना पड़ता है. एक कंटेनर की कीमत लगभग साढ़े 3 लाख की होती है और भारत में लगभग साढ़े 3 लाख से 4 लाख कंटेनर्स को हर साल आयात किया जाता है. मतलब आप समझ सकते हैं कि कितनी बड़ी संख्या में कंटेनर्स का आयात भारत में हो रहा है और कितनी बड़ी राशि कंटेनर्स के आयात में लग रही है. बस इसी आवश्यकता में केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत का अवसर बनाने की भूमिका बना दी है.


राज की बात ये है कि गुजरात के भावनगर में कंटेनर इंडस्ट्री को विस्तार देने के लिए काम शुरु हो गया है. रोलिंग सेक्टर के उद्यमियों से बातचीत कर देश में कंटेनर इंडस्ट्री खड़ी करने की दिशा में मज़बूती से कदम बढ़ा दिया गया है. एक नई इंडस्ट्री खड़ी करने के साथ-साथ स्टील निर्माता कंपनियों के लिए भी ख़ासा काम बढ़ने जा रहा है. मतलब उन्हें भी ताकत मिलेगी. ख़ास बात है कि आम बजट में जो पीएम मोदी ने कहा था कि सरकार का काम व्यापार करा नहीं, बल्कि व्यापारी की संभावनाओं को बल देना है, उस दिशा में कदम बढ़ा दिया गया है. सरकार यहां खुद कुछ नहीं बनाएगी, बल्कि निजी क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा, जिससे व्यापार और रोज़गार दोनों को ताकत मिलेगा.


रेलवे कंटेनर कॉर्पोरेशन लिमिटेड, कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया और कंटेनर का निर्माण करने वाली कंपनियों से सरकार ने बातचीत कर ली है. इसके साथ ही साथ देश की स्टील कंपनियों को भी बूस्ट मिलेगा. दरअसल कंटेनर निर्माण के लिए अच्छे स्टील की जरूरत होगी. मतलब ये कि भारत में कंटेनर निर्माण को बढ़ावा मिलने से देश में बनने वाली स्टील की मांग बढ़ेगी. इसका मतलब ये हुआ का कंटेनर उद्योग के साथ ही साथ स्टील इंडस्ट्री की हालत भी मजबूत होगी.


कंटेनर उद्योग को देश में खड़ा करने के इस प्लान की सबसे बड़ी बात ये है कि सरकार को कोई खर्च भी नहीं करना पड़ेगा और देश में 1 लाख करोड़ की इंडस्ट्री खड़ी हो जाएगी और लगभग 1 लाख रोजगार के अवसर भी सामने आ जाएंगे. सरकार के सहयोग से ही देश को एक नई इंडस्ट्री मिल जाएगी और स्टील इंडस्ट्री को भी बुलंदी मिल जाएगी.


तो प्लान जमीन पर उतरना शुरु हो गया है और इस परिणाम बहुआयामी हैं. पहला ये की आयात में कमी आएगी और चीन को एक और आर्थिक झटका लगेगा. दूसरा ये कि निजी निवेश में बढोत्तरी होगी और आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी रफ्तार मिलेगी और तीसरा ये कि देश में बड़ी संख्या में रोजगार का सृजन हो पाएगा. और ये काम उस दौर में शुरु हो रहा है जिस दौर में इनलैंड वाटरवेज पर भी तेजी से काम चल रहा है.


मतलब साफ है कि अंतर्देशीय जल परिवहन को बढ़ावा देने के दौर में कंटेनर्स की जरूरत बढ़ेगी और इसका सीधा फायदा भी देश की अर्थव्यवस्था को मिलेगा. मतलब ये कि कंटेनर्स की निर्माण के देशी प्लान से पूरी अर्थव्यवस्था का फायदा मिलने जा रहा है.


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