राज की बातः केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद पिछले दो हफ्तों में संगठन-सरकार-संघ के बीच जितना चिंतन-मंथन हुआ वह अपने आप में बड़ा वक्तव्य है. यह बताने के लिए अगले साल आने वाले विधानसभा चुनावों और अगले लोकसभा चुनाव से पहले संघ-बीजेपी परिवार को नए सिरे से संगठन-सरकार और राज्यों के समीकरणों में परिवर्तन की जरूरत महसूस हो रही है. राज की बात है कि सात साल केंद्र में रहने के बाद पीएम मोदी अपनी कैबिनेट में मेजर सर्जरी का मन बना चुके हैं.  


मोदी का केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार सिर्फ रस्मअदायगी या कुछ पदों को भरने या खाली करने तक सीमित नहीं रहेगा. कोरोना महामारी के बाद पूरी दुनिया और देश के हालात हर आयाम पर बदले हैं. सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक सभी मोर्चों पर विकट परिस्थियों से देश को सामना करना पड़ रहा है. चूंकि भारत के भीतर नीतिगत स्तर पर कुछ बड़े परिवर्तनों की शुरुआत थी, लिहाजा इन हालात में देश के सामने चुनौतियां भी ज्यादा हैं.


इसमें कोई राज नहीं कि राजनीतिक स्तर पर भी मोदी पीएम बनने के बाद अब तक के सबसे नकारात्मक माहौल का सामना कर रहे हैं. हालांकि, निर्विवाद रूप से मोदी अभी देश के सबसे लोकप्रिय नेता हैं और बड़े वर्ग का भरोसा भी है. मगर कोरोना काल में एक बड़े वर्ग का भरोसा हिल सा गया है और विपक्ष ने जिस तरह का जोरदार हमला बोला है, उसकी काट हालात में बदलाव से हो सकती है.


तो राज की बात इसी बदलाव की. बदलाव राज्यों में संगठन से लेकर सरकार तक भी होने हैं. मंथन-चिंतन का सबब भी यही था. कुछ भी झटके में करने का फायदा न तो राजनीतिक तौर पर होता और न ही प्रशासनिक दक्षता पर उसका असर पड़ता. इसीलिए, राज्यों के समीकरणों और जरूरतों को का आकलन करने के बाद अब पीएम मोदी अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करने जा रहे हैं.


राज की सबसे बड़ी बात यही है कि इस दफा विस्तार या फेरबदल से पहले पीएम ने हर स्तर पर गहन मंत्रणा की है. सभी मंत्रियों को बुलाकर उनके मंत्रालयों की समीक्षा की गई. उनसे कार्यों की प्रगति और देरी पर खरे-खरे सवाल हुए. सबका रिपोर्ट कार्ड भी तैयार हुआ. इतना ही नहीं राज की बात ये है कि मोदी ने पहली बार कैबिनेट विस्तार से पहले अपनी टीम के वरिष्ठ मंत्रियों से उनकी राय भी जानी.


मोदी ने मंत्रियों से दो टूक पूछा कि उनके हिसाब से इस मंत्रिमंडल में किन मंत्रियों को नहीं होना चाहिए. मतलब मंत्रियों की छवि, सक्रियता और दक्षता को लेकर था. यह पहली बार है कि मोदी मंत्रिमंडल विस्तार से पहले अपने पुराने और वरिष्ठ मंत्रियों से भी बातचीत कर रहे हैं. राज की बात ये है कि स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में काम न होने की बात ज्यादातर लोगों ने की है.


वैसे भी कुछ नए चेहरे मसलन सर्वानंद सोनोवाल और ज्योतिरादित्य सिंधिया का आना तय है. उत्तर प्रदेश से कोई प्रखर वक्ता छवि वाला ब्राह्मण चेहरा भी लाना तय है. मगर असली बात तो ये है कि मोदी इस मंत्रिमंडल से किनकी विदाई करने जा रहे हैं. संकेत हैं कि इनमें कुछ बड़े और चौंकाने वाले नाम भी होंगे.