बंगाल की बिसात और बाजी को जीतने के लिए हर तरह के जतन जारी हैं. साम, दाम, दण्ड और भेद आगे की संभावनाओं को भी बंगाल की धऱती पर भेदने की कोशिशें जारी हैं. राज की बात ये है कि कला की धरती बंगाल में कलाकारों का पोलराइजेशन भी सत्ता की हवा को बनाए रखने या बदल डालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.
दरअसल पश्चिम बंगाल चुनाव से पहले बंगाली सिनेमा के कलाकारों का भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने का सिलसिला जारी है. हाल के दिनों में सिनेमा और कला जगत की कई हस्तियों ने भगवा पार्टी का दामन थामा है. चाहे बात बांग्ला फिल्मों की जानी-मानी अभिनेत्री सरबंती चटर्जी की करें या पायल सरकार की, सभी को भगवा रंग भा रहा है और इनकी बड़ी फैन फॉलोइंग अगर अपने सितारों के साथ रुख को बदलती है तो चुनावी परिणाम भी बदलाव की भूमिका लिख सकते हैं. 2019 को लोकसभा चुनाव से अब तक की बात करें तो 1 दर्जन से ज्यादा बंगाली सिनेमा के कलाकार बीजेपी में शामिल हो चुके हैं.
हालांकि यहां पर एक राज की बात भी है. राज की बात ये है कि जहां बंगाली अस्मिता की बात आती है, क्षेत्रवाद की बात आती है तो बंगाली सिनेमा के कलाकार ममता दीदी से जुड़े हुए हैं लेकिन जब बात पेशे की आती है तो उन्हें बीजेपी और बीजेपी की नीतियां ज्यादा मुफीद लगती है. इस पंसद और नापसंद के पीछे भी राज की बात छिपी है. राज की बात ये है कि ममता दीदी भले ही बंगाल और बंगाली हितों को सर्वोपरि रखती हैं लेकिन सिनेमा जगत के लिए वो कुछ खास नहीं कर पाई. खास करना तो छोड़िए बंगाली सिनेमा आई.सी.यू में पहुंच गया है. हालात ये बन गए हैं कि कलाकारों को सामने काम का संकट आ गया है और ओ.टी.टी प्लेटफॉर्म्स आखिरी उम्मीद के तौर पर बचे रह गए हैं. राज की बात ये है कि बंगाली कालकारों का मोह अचानक बीजेपी की तरफ जागने की वजह बंगाली सिनेमा की बदहाली है.
आंकड़ों की बात करें तो जहां बॉलीवुड की ग्रोथ 10 फीसदी प्रतिवर्ष है वहीं बंगाली सिनेमा 33 फीसदी प्रतिवर्ष के हिसाब से गिरावट झेल रहा है. 2019 में बंगाल में 129 बंगाली फिल्में बनीं जो देश में बनी फिल्मों का महज 6 फीसदी हैं और बॉक्स ऑफिस कलेक्शन में इनका योगदान केवल 0.6 फीसदी है.
मतलब साफ है कि ममता बनर्जी के शासनकाल में जो हाल बंगाली सिनेमा के हुए हैं उससे बंगाल के कलाकार परेशान हैं और ये वजह भी है कि उनका रुझान बीजेपी की तरफ बढ़ रहा है. राज की बात ये है कि बीजेपी में शामिल हो रहे कलाकारों को ये उम्मीद है कि बीजेपी अगर सत्ता में आती है तो बंगाली सिनेमा के दिन सुधरेंगे, काम का संकट खत्म होगा और ज्यादा फिल्में बनेंगी तो बंगाल के कलाकरों को भी बॉलीवुड तक का सफर तय करने का मौका मिल पाएगा.
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