राज की बात: तेजी से बदल रहे हैं कश्मीर के हालात, पूरा हो रहा एक संगठन का संकल्प और एक दल का दावा
देश के मस्तक पर अब नया इतिहास लिखा जा रहा है और बीजेपी व RSS के सिद्धान्तों के जमीन पर उतरने का दौर भी जारी है. यकीनन आने वाले वक्त में कश्मीर में स्थानीय बंदिशों की बेड़ियों का नामोनिशान नहीं होगा.
कश्मीर और कश्मीर के हालात तेजी से बदल रहे हैं. भूगोल भी बदल रहा है, इतिहास भी बदल रहा है, पॉलिटिक्स भी बदल रही है और परिसीमन भी बदल रहा है. इन्हीं बदलते हुए हालातों के बीच पूरा हो रहा है एक संगठन का संकल्प और एक दल का दावा. राज की बात ये है कि जम्मू और कश्मीर में इस वक्त जो भी बदलाव हो रहे हैं उनका सीधा संबंध राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सपने और बीजेपी के सियासी दावों और वादों से है.
बीजेपी सरकार हर सपने और सिद्धांत को धरातल पर उतार रही है
एक देश, एक विधान की परिकल्पना तो उसी दिन पूरी हो गई थी जब अनुच्छेद 370 और धारा 35ए को हटा दिया गया था. उसके बाद की कसर बदलावों बयार में पूरी होती नजर आ रही है. दशकों के आतंकवादी और दमनकारी दौर से निकलकर अब देश का मस्तक भाग अपनी पूर्णता की तरफ बढ़ रहा है या यूं कहिए कि प्रचंड बहुमत वाली सत्ता मिलने के बाद बीजेपी सरकार ने हर उस सपने और सिद्धान्त को जमीन पर उतारना शुरु कर दिया है,जिसके लिए उनके नेता ने अपनी शहादत भी दे दी थी.
राजनैतिक और सामाजिक संतुलन में हो रहा है बदलाव
याद कीजिए उस सर्वदलीय बैठक को जिसमें कश्मीर का गुपकार गैंग भी शामिल हुआ था. 370 के नाम पर जिन्होंने राजनैतिक मोर्चा खोल रखा था. बदलते हालात में उनके भी सुर नरम हुए औऱ लोकतंत्र बहाली का उन्होंने भी समर्थन किया. राज की बात ये है कि बदलाव सिर्फ सियासी सोच तक ही सीमित नहीं है. बदलाव समीकरणों से लेकर राजनैतिक और सामाजिक संतुलन तक जारी है.
जनप्रतिनिधित्व का संतुलन बनाए रखने के लिए परिसीमन को नए सिरे से करने का फैसला किया गया है. दरअसल अभी की स्थिति ये है कि जम्मू की जनसंख्या ज्यादा है लेकिन सीटें कम और कश्मीर में जनसंख्या कम है लेकिन सीटें ज्यादा. इस वजह से यहां पर आबादी और प्रतिनिधित्व का संतुलन बिगड़ा हुआ है. जिस पद्धति और परिसीमन पर अभी तक चुनाव हो रहे थे वो हॉरिजेंटल परिसीमन था लेकिन अब ये तस्वीर उलटने जा रही है.
नेपाल की तर्ज पर क्षेत्र का परिसीमन हॉरिजेंटल होगा
राज की बात ये है कि नेपाल की ही तर्ज पर हिमालय की गोद में बसे इस क्षेत्र का परिसीमन अब हॉरिजेंटल होगा यानि कि नक्शे पर उत्तर से दक्षिण.
परिसीमन से इतनी बढ़ेंगी सीटें
- परिसीमन के बाद लगभग 7 सीटें बढ़ेंगी
- 3-4 सीटें होगी एस-एसटी के लिए रिजर्व
- सीटें बढ़ जानें से सीटों और प्रतिनिधित्व का संतुलन होगा बेहतर
2 सीटों पर राष्ट्रपति सदस्यों को मनोनीत किया जाएगा
आरक्षण के साथ ही साथ राज की बात ये है कि कश्मीरी पंडितों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए कम से कम 2 सीटों पर राष्ट्रपति सदस्यों को मनोनीत करेंगे. विचार विमर्श के बाद मनोनयन वाली सीटों की संख्या बढ़ाई भी जा सकती है.
कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास पर हो रहा गंभीर मंथन
परिसीमन और मनोनयन का फॉर्मूला केवल सैद्धान्तिक ही न रह जाए इसके लिए कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास पर भी गंभीरता से काम चल रहा है. कोशिश ये है कि कश्मीरी पंडितों को फिर से यहां बसाया जाए और कश्मीर को अपने असल स्वरूप में लाया जाए. इसीलिये विधानसभा में उनका प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा रहा है ताकि अपने ही देश में निर्वासित होने का दर्द भूलकर घर वापसी के लिए कश्मीरी पंडित तैयार हो सकें.
आने वाले वक्त में नए कश्मीर का होने जा रहा आगाज
असंतुलन को ख़त्म कर कश्मीर से बाहर बेटी के शादी कर लेने पर यहां की नागरिकता खत्म कर देने वाला कानून भी निरस्त किया जा चुका है. यानि कि ये कह सकते हैं कि एक देश में 2 विधान वाले जो भी फॉर्मूले से उनकों एक एक करके इतिहास बनाने का दौर जारी है. देश के मस्तक पर अब नया इतिहास लिखा जा रहा है. इसी इतिहास के साथ भाजपा और आरएसएस के सिद्धान्तों के जमीन पर उतरने का दौर भी जारी है. आने वाले वक्त में जो नया कश्मीर बनने वाला है उसमें कोशिश ये है कि स्थानीय बंदिशों की बेड़ियों का नामोनिशान ढूंढे भी नहीं मिलेगा.
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