फिल्म निर्माण की वजह से दुनिया भर में मशहूर मायानगरी मुंबई में भले ही कोरोना की वजह से फिल्में बनने की रफ्तार 1 साल तक थमी रही.  लेकिन इस दौर में भी अपराध और सियासत की अति सक्रियता वाली फिल्म यहां चलती रही और ऐसी चली कि पूरे देश की निगाहों को अपनी तरफ खींच कर रखा.


फिल्मी सियासत और क्राइम की कहानियों के बीच किरदार बदलते रहे लेकिन एक ऐसा किरदार रहा जो बार बार सवालों में आया और विवादों मे आया. वो चेहरा था मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह का. हालांकि परमबीर को मुंबई पुलिस कमिश्नर पद से हटाये हुए चंद घंटे हुए हुए हैं लेकिन सवाल ये है कि बड़े बड़े मामलों में जब महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार परमबीर के साथ खड़ी रही तो फिर आखिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि उन्हें छुट्टी देकर होमगार्ड का डीजी बना दिया गया.


आपके जहन में जवाब आ रहा होगा कि मुकेश अंबानी की सुरक्षा के मामले में ये कार्रवाई हुई होगी. अगर आप ऐसा सोच रहे हैं तो फिर आपकी सोच गलत है. आज राज की बात में हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि आखिर अंगद के पैर की तरह पुलिस कमिश्नर के पद पर डटे परमबीर को किसने चलायमान कर दिया और भूमिका कब से बननी शुरु हो गई थी.


राज की बात ये है कि सुशांत केस के बाद टीआरपी स्कैम और टीआरपी स्कैम के बाद सचिन वाजे के मामले को लेकर परमबीर सिंह, उनकी टीम और उनकी कार्रवाई पर सवाल उठे. मुकेश अंबानी के घर के बाहर मिले विस्फोटक की जांच के मुख्य जांचकर्ता सचिन वाजे की गिरफ्तारी के बाद एक बार फिर से मुंबई पुलिस सवालों के घेरे में आई. इसी बीच परमबीर सिंह को पुलिस कमिश्नर पद से हटाने को लोगों ने हालिया केस से जोड़कर देखा. लेकिन राज की बात ये है कि परमबीर सिंह का पद जाने के पीछे न तो सुशांत केस है, न टीआरपी स्कैम है और न ही मुकेश अंबानी की सुरक्षा का मामला.


राज की बात ये है कि परमबीर की छुट्टी के पीछे मुंबई के ही पूर्व पुलिस कमिश्नर, पूर्व मंत्री और बीजेपी सांसद सतपाल सिंह हैं. जी हां सही सुना आपने, सतपाल सिंह. राज की बात ये है कि महाराष्ट्र में सियासी टकराव के बीच शिवसेना की हठधर्मिता की काट बीजेपी ने उसी के अंदाज में ढूंढी है.


राज की बात ये है कि सुशांत केस के बाद सवालों में आई मुंबई पुलिस की भूमिका के बाद से ही सतपाल सिंह को गड़बड़झाले को पकड़ने के मिशन पर लगा दिया गया था. चूंकि सतपाल सिंह लंबे समय तक लॉ एंड ऑर्डर की जिम्मेदारी संभालते रहे और उसके बाद मुंबई पुलिस कमिश्नर बने जिसकी वजह से वहां के पुलिस विभाग में आज भी उनके वफादार मौजूद है. बस उहीं के जरिए सतपाल से ने वो किया जो पहले कदम पर परमबीर सिंह की कुर्सी के लिए खतरा बन गया.


 जानकारी के मुताबिक जिन मामलों का जिक्र पूरे देश में हुआ उन्हीं मामलों को लेकर कई सनसनीखेज और संवेदनशील जानकारियां सतपाल सिंह ने इकट्ठा कर लीं थी और इस बात की भनक शिवसेना को लग गई. राज की बात ये है कि ये जानकारियां इस तरह की हैं जो भविष्य में महाराष्ट्र पुलिस के साथ ही साथ शिवसेना और उनकी सरकार के लिए भी असहज स्थिति खडी कर सकती है. इसीलिए एहतियातन शिवसेना सरकार ने परमबीर सिंह को पद से हटा दिया. ताकि भविष्य में सतपाल सिंह की जुटाई जानकारियों का अगर सियासी इस्तेमाल हो तो काफी हद तक अपना गला फंसने से शिवसेना बचा सके.


कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि जिस शिवसेना के लिए परमबीर सिंह कई बार अपने कर्तव्य और कुर्सी से ज्यादा सियासी आकाओं को तवज्जो देते नजर आए. उन्हीं परमबीर सिंह को शिवसेना ने अपनी सियासत को भविष्य में असहज होने से बचाने के लिए पलक झपकते निपटाकर होमगार्ड विभाग में चलता कर दिया.