Raj Ki Baat: बीजेपी ने कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दिया. पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी ने कांग्रेस को पूरे देश में सिकोड़ कर रख दिया. सबसे ज्यादा समय तक राज करने वाली सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को सबसे बुरे दौर में पहुंचा दिया. देश ही नहीं प्रदेशों से भी कांग्रेस लगातार कभी चुनाव तो कभी सियासी प्रबंधन की वजह से परास्त होती रही. इसलिए, पूरे देश में एक दलीय व्यवस्था का स्वाद चखने वाली कांग्रेस अब किसी भी क़ीमत में बीजेपी का क़िला दरकाने में लगी है. इसके लिए उसके सामने सबसे बड़ा लक्ष्य है बीजेपी को हर जगह हराना, चाहे उसमें कांग्रेस को खुद कितना भी नुक़सान दिख रहा हो.


राज की बात में आपको बताते हैं कि 'हम तो डूबेंगे, सनम साथ तुमको भी ले डूबेंगे' वाले इस प्लान की. कांग्रेस का मानना है कि तात्कालिक नुक़सान ज़रूर उसे होगा, लेकिन दीर्घकालिक रणनीति के लिहाज़ से किसी भी तरह से बीजेपी की हार सबसे अहम है. इसके लिए जहां वह बीजेपी के वोटबैंक को कमजोर कर सकती है, वहां वो करने की कोशिश में है. इसके लिए वह जहां पर मज़बूत थी, वहां भी सहयोगियों के सामने झुकने को तैयार है, ताकि बीजेपी के खिलाफ मोर्चेबंदी तगड़ी हो. साथ ही मुद्दों में भी वह बीजेपी के समांतर ही चलने के लिए केसरिया पार्टी की चाल चलने से भी गुरेज़ नहीं कर रही है.


'बीजेपी को मात देने वाली चाल चलें'


पश्चिम बंगाल में कांग्रेस का स्थानीय नेतृत्व किसी भी क़ीमत में ममता की हार चाहता है. कांग्रेस के प्रदेश के नेता मानते हैं कि ममता के राज में कांग्रेस का उद्भव असंभव है. बीजेपी से भी उनकी रार बहुत है, लेकिन ममता का मज़बूत होना कांग्रेस के अस्तित्व के लिए ख़तरनाक है. इसीलिए राज्य में कांग्रेस किसी भी क़ीमत में ममता को हराने वाली रणनीति पर चल रही थी. मगर कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश नेताओं की इस रणनीति को ख़ारिज कर हर हाल में बीजेपी को हराने वाली रणनीति पर चलने को कहा है.


इतना ही नहीं, बग़ल के राज्य असम में कांग्रेस ने किसी भी तरह जीत सुनिशचित करने के लिए बदरुद्दीन अजमल तक की पार्टी से समझौता किया है. मगर मुद्दा असम में गो तस्करी को बनाया जा रहा है. ये स्थापित करने की कोशिश की जा रही है कि असम में सर्वानंद सोनोवाल सरकार में बांग्लादेश के लिए गोतस्करी बढ़ गई है. बांग्लादेश सीमा से जुड़े दोनों ही राज्यों में इस तरह से एक में जीत के लिए तो दूसरे में बीजेपी को नुक़सान पहुंचाने के लिए ये रणनीति कांग्रेस ने अपनाई है.


पुदुचेरी में डीएमके के साथ समझौता 


राज की बात तो ये भी है कि जिस पुदुचेरी में कांग्रेस मुख्य पार्टी होती थी, वहां भी बीजेपी की संभावनायें प्रवाल देखते हुए बड़ा दांव खेला है. पुदुचेरी में कुल 33 विधानसभा सीटें हैं. इनमें से तीन विधायक केंद्र नामित करता है. यहां पर जो कांग्रेस गठबंधन में हमेशा 20 के क़रीब सीटें लड़ती थी, उसमें वह डीएमके को लगभग अपने बराबर लेकर आई है. समझौते में आमतौर पर कांग्रेस तमिलनाडु में कम सीटों पर लड़ती थी और डीएमके को ज्यादा होती थीं, वहां पुदुचेरी में कांग्रेस के पास ज्यादा सीटें होती थीं.


अभी स्थिति और पलटी है. तमिलनाडु में तो डीएमके ज्यादा सीटों पर लड़ ही रही है, बल्कि पुदुचेरी में भी डीएमके को 13 सीटें दी हैं और खुद सिर्फ दो ज्यादा यानी 15 सीटों पर लड़ रही है. ये बड़ा ख़तरा है. क्योंकि स्ट्राइक रेट ज्यादा डीएमके का हुआ तो यहां भी कांग्रेस छोटे भाई की भूमिका में आ जाएगी.


मतलब ये समझिये कि कांग्रेस की प्राथमिकता फ़िलहाल जीत से ज्यादा बीजेपी का खेल बिगाड़ना है. किसी भी जीत से बीजेपी को दूर रखने में ही कांग्रेस अपनी विजय देख रही है. उसका मानना है कि मोदी-शाह की जोड़ी को रोके बग़ैर कांग्रेस का भविष्य नहीं हो सकता, इसलिए खुद को कमतर करके भी बीजेपी की लाइन छोटी होती है तो कांग्रेस को गुरेज़ नहीं.


राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की आज AIIMS में हो सकती है बाईपास सर्जरी, पिछले हफ्ते हुए थे अस्पताल में भर्ती


एक साल बाद तब्लीगी जमात मरकज खुला, शब-ए-बारात पर 50 लोगों ने नमाज अदा की