औरंगाबाद: महाराष्ट्र में राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस ने अब राज्य के एक प्रमुख शहर औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर करने के लिये मुहिम छेड़ दी है. इस मुहिम के तहत सरकारी बसों की पट्टियों में गंतव्य के तौर बताने के लिये लिखे गये औरंगाबाद को पोत कर उसकी जगह संभाजीनगर लिखा जा रहा है. अब तक ये मुद्दा शिवसेना उठाती आई थी लेकिन इस मुद्दे को अब राज ठाकरे ने हाईजैक कर लिया है. विपरीत विचाराधारों वाली पार्टियों के साथ सत्ता में होने की वजह से शिवसेना अब इस मसले पर आक्रमकता नहीं दिखा पा रही.


गुरुवार को मुंबई से जब एक सरकारी बस औरंगाबाद जाने के लिए निकली तो एमएनएस के कार्यकर्ताओं ने उसे रुकवा दिया. गंतव्य की जानकारी देने वाली पट्टी पर से उन्होंने औरंगाबाद की जगह संभाजीनगर कर दिया. मराठवाड़ा का शहर औरंगाबाद का नाम मुगल शहंशाह औरंगजेब के नाम से पड़ा है. औरंगजेब शहंशाह बनने से पहले मुगल सल्तनत के लिए यहां का सूबेदार और यहीं पर उसका मकबरा है. शिवसेना चाहती थी कि शहर का नाम बदल कर छत्रपति शिवाजी के बेटे छत्रपति संभाजी के नाम पर कर दिया जाए जिनकी औरंगजेब ने हत्या करवा दी थी.


औरंगाबाद के नामकरण का विवाद करीब 30 साल पुराना है और तबसे लगातार ये चुनावी मुद्दा बनता आया है. 1988 में दिवंगत शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने पहली बार औरंगाबाद को संभाजीनगर करने की मांग की थी. उसके बाद आज तक शिवसेना इस शहर को संभाजीनगर के नाम से उल्लेख करती है. शिवसेना के मुखपत्र सामना के औरंगाबाद संस्करण में भी इस शहर को संभाजीनगर लिखा जाता है. साल 1995 में शहर का नाम परिवर्तित करने का प्रस्ताव महानगरपालिका ने राज्य सराकार को भेजा था, लेकिन 2001 में तत्कालीन कांग्रेस-एनसीपी की सरकार ने उसे खारिज कर दिया.


अब जल्द ही औरंगाबाद में महानगरपालिका के चुनाव होने जा रहे हैं और फिर एक बार नामकरण का मुद्दा गर्मा गया है. शिवसेना की इस मसले पर चुप्पी का फायदा राज ठाकरे उठाते नजर आ रहे हैं. कांग्रेस और एनसीपी नामांतरण के खिलाफ है और यही कारण है कि उनकी मदद से मुख्यमंत्री बनने वाले उद्धव ठाकरे इस मुद्दे को लेकर नरम हैं. शिवसेना के हिंदुत्व के मुद्दे पर नरम पड़ने के बाद राज ठाकरे अब हर उस मुद्दे को उठा रहे हैं जो पिछले साल तक शिवसेना के मुद्दे माने जाते थे.