नई दिल्ली: अर्थव्यवस्था पर मोदी सरकार घिरती नजर आ रही है. बीजेपी के दिग्गज नेता यशवंत सिन्हा के बाद अब मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने फेसबुक पर लंबा चौड़ा पोस्ट लिखकर मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठाए हैं. राज ठाकरे ने नोटबंदी को बड़ी भूल बताया है.


राज ठाकरे ने क्या लिखा?
राज ठाकरे ने अपने फेसबुक पर लिखा, ''जैसा आप बोते हैं वैसा ही काटते हैं. ये बीजेपी के लिए सच साबित हुआ है. बीजेपी ने भ्रामक मीडिया कैंपेन चलाकर आम आदमी के साथ छल किया, अब सोशल मीडिया का वही हथियार बीजेपी पर उल्टा पड़ रहा है. 2014 का चुनाव जीतने के लिए नैतिकता और सिद्धांत का त्याग किया गया."


वादे पूरे करना तो दूर उन्हें जुमला बताया़
उन्होंने आगे लिखा, ''लोगों की भावनाएं भड़काने के लिए हर हथकंडे अपनाए गए. जिन लोगों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई उनका अपमान किया गया. विरोध की आवाज दबा दी गई. अगर सरकार अच्छा काम करती तब जनता इसे नजरअंदाज कर देती. वादे पूरे करने की बात तो छोड़ दीजिए सबसे ज्यादा दुखद ये है कि उन वादों को चुनावी जुमला बताया गया.''


नोटबंदी बड़ी भूल, क्या जनता 'सेवक' से सवाल नहीं पूछ सकती?
नोटबंदी को बड़ी भूल बताते हुए राज ठाकरे ने लिखा, ''नोटबंदी बड़ी भूल साबित हुई, लोगों की नौकरियां चली गई और महंगाई बढ़ गई लेकिन सरकार पर कोई सवाल नहीं उठा पाया. प्रधानमंत्री कहते हैं कि वो जनता के नौकर हैं और जनता राजा है. अगर ऐसा है तो क्या राजा को सरकार की नाकामी पर सवाल उठाने का हक नहीं है.''


बीजेपी के अंदर से भी उठी आवाज, यशवंत सिन्हा ने उठाए सवाल
एक अंग्रेजी अखबार के लिए यशवंत सिन्हा ने लिखा, ''प्रधानमंत्री दावा करते हैं कि उन्होंने काफी करीब से गरीबी को देखा है, उनके वित्त मंत्री इस बात के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं कि देश का हर नागरिक भी गरीबी को करीब से देखे.''


उन्होंने आगे लिखा, ''वित्त ने अर्थव्यवस्था की जो हालत की है उसके खिलाफ अगर मैं अभी नहीं बोलूंगा तो मेरे देश के प्रति कर्तव्य के साथ धोखा होगा. मुझे पता है मैं जो कह रहा हूं इससे बीजेपी के कई लोग भी सहमत होंगे, जो डर की वजह से बोल नहीं पा रहे.''


मोदी सरकार पर हमला क्यों हो रहा है?
विपक्ष लगातार अर्थव्यस्था को लेकर मोदी सरकार को निशाने पर ले रहा है. अब पहली बार बीजेपी के अंदर से भी आवाज उठी है. इसका मुख्य कारण गिरती विकास दर और बढ़ती महंगाई है. पहली तिमाही में विकास दर 5.7 रही जो तीन साल में सबसे नीचे है. इसके साथ लगातार बढ़ते पेट्रोल डीजल की कीमतें भी लसरकार के लिए सिर दर्द बनी हुई हैं. रोजगार को लेकर भी सरकार विपक्ष के निशाने पर है.