Maharashtra Politics: राज ठाकरे ने बनाया अजित पवार का कार्टून, समझाया NCP का पूरा घटनाक्रम, जानें क्या था इसका मतलब
Raj Thackeray on Ajit Pawar: महाराष्ट्र की मौजूदा राजनीति पर मनसे के प्रमुख राज ठाकरे ने कार्टून बनाकर अपना रिएक्शन दिया. राज्य में फिलहाल राजनीतिक उथल-पुथल का माहौल बना हुआ है.
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में इस वक्त राजनीतिक उथल-पुथल के बीच तमाम राजनेताओं के बयान सामने आ रहे हैं. हालांकि, इस मौके पर मनसे प्रमुख राज ठाकरे खामोश रहे. जब उनसे महाराष्ट्र की राजनीति की मौजूदा स्थिति पर अपने विचार रखने के लिए कहा गया तो उन्होंने अजित पवार का कार्टून बना डाला.
इस कार्टून से उन्होंने यह संकेत दिया कि शरद पवार के पद से इस्तीफा देने के पूरे घटनाक्रम की मुख्य वजह अजित पवार हैं. यह पूरा फैसला उन्हीं पर केंद्रित है. राज ठाकरे जो एक कार्टूनिस्ट भी हैं उन्होंने अभी तक इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की है, सिवाय इसके कि उन्होंने पुणे अंतर्राष्ट्रीय कार्टून महोत्सव का उद्घाटन करते समय खुद इस कार्टून को बनाया.
इससे पहले अजित पवार के बीजेपी में शामिल होने की खबरों के बीच राज ठाकरे ने कहा था कि अजित पवार बीजेपी का समर्थन कर सकते हैं. हालांकि, उन्हें इस वक्त अपने चाचा पर ध्यान देना चाहिए. इस पर अजित ने भी पलटवार किया था और कहा था कि 'जिस तरह राज ठाकरे अपने चाचा पर ध्यान देते थे, उसी तरह मैं भी अपने चाचा पर ध्यान दूंगा'. दरअसल, राज ठाकरे ने मनसे शुरू करने के लिए 2006 में अपने चाचा बालासाहेब की शिवसेना छोड़ दी थी.
शरद पवार ने वापस लिया इस्तीफा
शरद पवार ने शुक्रवार (5 मई) को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एनसीपी (NCP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा वापस लेने की घोषणा की थी. उन्होंने कहा कि मैं आपकी भावनाओं का अपमान नहीं कर सकता. मैं इस्तीफा वापस लेने की आपकी मांग का सम्मान कर रहा हूं. मैं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफे का अपना फैसला वापस लेता हूं.
इस्तीफे के बाद हुआ था हंगामा
दरअसल, शरद पवार ने मंगलवार (2 मई) को एनसीपी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की घोषणा की थी. इसके बाद पार्टी में खलबली मच गई थी. इसके बाद शरद पवार ने एनसीपी का नया अध्यक्ष चुनने के लिए एक समिति का भी गठन किया था. जिसमें उनकी बेटी सुप्रिया सुले, उनके भतीजे अजित पवार, वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल और छगन भुजबल शामिल थे. उनके इस्तीफे के फैसले के बाद काफी बवाल हुआ था.
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