(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Rajasthan News: बीजेपी नेताओं के केस वापस लेने पर अपनों से घिरी गहलोत सरकार, गुस्साए विधायक ने सीएम को लिखा खत
Rajasthan News: राजस्थान सरकार ने बीजेपी नेताओं के खिलाफ दर्ज दस साल पुराने वापस लेने का फैसला किया है. इस फैसले ने राजस्थान के कांग्रेस नेताओं को नाराज कर दिया है.
Rajasthan News: राजस्थान के बीजेपी नेताओं के खिलाफ दर्ज केस वापसी पर सियासी सद्भाव सन्देश देने की कवायद अब खुद अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) सरकार को भारी पड़ती नजर आ रही है. कांग्रेस (Rajasthan Congress) के कई नेता और पायलट समर्थक अब खुलकर गहलोत सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांगोद से विधायक भरत सिंह कुंदनपुर (Bharat Singh) ने राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत को एक पत्र लिखकर इस फैसले पर एतराज जताते हुए मुकदमे वापस नहीं लेने की मांग की है.
पत्र के जरिये विधायक भरत सिंह ने कहा साल 2012 में तत्कालीन भाजपा के 4 विधायकों पर कोटा जिले में नेशनल हाईवे पर जाम लगाने के कारण मुकदमा दर्ज किया गया था. इस प्रकार के केस वापस लेकर सरकार विधायकों को यदि राहत प्रदान कर रही है तो आम आदमी पर भी प्रदेश में इस तरह के दर्ज सभी मुकदमे वापस लिए जाए. उन्होंने कहा कि इस मामले में खास बात ये है कि राजस्थान सरकार ने बीजेपी के करीब चार दर्जन नेताओं के खिलाफ चल रहे दस साल पुराने मामलों को वापस लेने के लिए हाईकोर्ट में अर्जी दी है जबकि खुद कांग्रेस के कई ऐसे नेता हैं जिन पर दस साल से ज्यादा अर्से से मुकदमे चल रहे हैं.
अपनी ही सरकार से नाराज कांग्रेस नेता
इस मामले में राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट भी मांग कर चुके हैं कि सड़कों पर लाठी खाने वाले और जेल जाने वाले कांग्रेसी नेताओं के मुकदमे भी सरकार वापस ले. ऐसे ही एक पायलट समर्थक नेता सुरेश मिश्रा का कहना है कि कांग्रेस के लिए लाठियां खाने वाले नेता केस वापसी के लिए दर दर भटक रहे हैं. वहीं सरकार भाजपा नेताओं के केस वापस ले रही है.
क्या कहना है बीजेपी का?
इस मामले को लेकर बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया (Gulab Chand Kataria) का कहना है कि कांग्रेस के जो नेता ऐसी बात कह रहे हैं ये वो लोग हैं जिन्हें सरकार में भागीदारी नहीं मिली या वो सरकार से नाराज हैं. केस वापस लेना सरकार की सतत प्रक्रिया है और इसके लिए अदालत की मंजूरी लेनी पड़ती है.
ये है मामला
दरअसल अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) सरकार के कार्यकाल के दौरान अक्टूबर 2012 में कोटा-झालावाड़ सड़क की जर्जर की हालत को लेकर भाजपा नेताओं ने नेशनल हाईवे पर खैराबाद में 4 घंटे जाम लगाया था. उस समय मोड़क थाना पुलिस ने ओम बिरला (Om Birla), चन्द्रकान्ता मेघवाल और भवानी सिंह राजावत सहित करीब 49 भाजपा नेताओं को आरोपी बनाया था और चालान भी पेश किया था. अब इस मामले को वापस लेने की प्रक्रिया चल रही है.
केस वापस लेने के लिए राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) ने हाईकोर्ट से मंजूरी मांगी है. बता दें कि, साल 2021 में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने ये आदेश दिया था कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज मामलों की वापसी के लिए हाईकोर्ट से अनुमति लेनी होगी. वहीं कांग्रेस सरकार के इस फैसले से भले ही भाजपा के इन नेताओं को राहत मिल जायेगी, लेकिन पार्टी ने अपनों को भी नाराज कर दिया है.
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