नई दिल्ली: राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश संदीप मेहता और अभय चतुर्वेदी की खंडपीठ के समक्ष एक नाबालिग गर्भवती ने गर्भ नहीं रखने की इच्छा जताई. कोर्ट ने 26 सप्ताह का गर्भ होने की वजह से एमडीएम अस्पताल के तीन स्त्री रोग विशेषज्ञों के मेडिकल बोर्ड को जांच कर रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं. मामले में अगली सुनवाई 27 मई को होगी.


याचिका पर सुनवाई करते हुए HC ने शुक्रवार को राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह एक मेडिकल बोर्ड का गठन करे ताकि वह यह सुनिश्चित कर सके कि पीड़िता के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति देना उसके जीवन के लिए खतरनाक होगा या नहीं. हाईकोर्ट ने मेडिकल बोर्ड को सोमवार तक अपनी रिपोर्ट देने को कहा है.


लड़की के पिता ने हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी जिसमें कहा गया कि उसकी नाबालिग बेटी गायब है और पुलिस उसे ढूंढने में विफल रही है. अदालत के निर्देशों के बाद, पुलिस जांच में पता चला कि लड़की की शादी हो चुकी है. जबकि याचिका के अनुसार लड़की को नाबालिग बताया गया था. पुलिस ने लड़की को अदालत में पेश किया जहां से उसे नारी निकेतन भेज दिया गया.


शुक्रवार को एक प्रार्थना पत्र पेश कर आग्रह किया गया कि लड़की नाबालिग है और उसे गर्भपात करवाने की अनुमति दी जानी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि इस मामले के उपलब्ध रिकॉर्ड को देखते हुए यह निर्देश दिए मेडिकल बोर्ड को बच्चे की मेडिकल जांच करे. साथ ही मेडिकल बोर्ड को मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत इस सुझाव के साथ रिपोर्ट देने को कहा है कि इस स्टेज पर गर्भवती का गर्भपात करवाना सुरक्षित रहेगा?


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