जयपुर: राजस्थान में स्वाइन फ्लू से मरने वालों की संख्या 48 हो गई है. इस बीमारी से राज्य में पांच और मौतें हुई हैं. राज्य में अब तक 1000 से अधिक लोग स्वाइन फ्लू से पीड़ित पाए गए हैं. चिकित्सा व स्वास्थ्य विभाग के एक प्रवक्ता ने बताया कि स्वाइन फ्लू से जोधपुर और उदयपुर में दो-दो और बाड़मेर में एक व्यक्ति की मौत हुई है. इससे राज्य में स्वाइन फ्लू से मरने वालों की संख्या 48 पर पहुंच गयी है. प्रवक्ता के अनुसार इस साल 19 जनवरी तक कुल 5061 रोगियों के नमूने लिए गए हैं जिनमें से 1173 नमूने पाजिटिव पाए गए हैं.


मौसमी इन्फ्लुएंजा या स्वाइन फ्लू
एच1एन1 (H1N1) मौसमी इन्फ्लुएंजा एक प्रकार का स्वंय-सीमित वायरल रोग है यह श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारी है, जो ए टाइप के इनफ्लुएंजा वायरस से होती है. यह कण हवा के जरिए या किसी के छूने से दूसरे व्यक्ति के शरीर में मुंह या नाक के जरिए प्रवेश कर जाते हैं. मसलन, दरवाजे, फोन, कीबोर्ड या रिमोट कंट्रोल के जरिए भी यह वायरस फैल सकते
हैं, अगर इन चीजों का इस्तेमाल पहले किसी संक्रमित व्यक्ति द्वारा किया गया हो.

लक्षण:
बुख़ार और खांसी, गला ख़राब, नाक बहना या बंद होना, सांस लेने में तकलीफ़ एवं अन्य लक्षण जैसे बदन दर्द, सिर दर्द, थकान, ठिठुरन, दस्त, उल्टी, बलगम में खून आना इत्यादि भी हो सकते हैं.

माइल्ड स्वाइन फ़्लू के लक्षण (केटेगरी-A)
बुखार, खांसी, सर्दी, शरीर में दर्द होना व थकान महसूस होना.
माइल्ड स्वाइन फ़्लू का इलाज लक्षणों पर आधारित होता है. ऐसे लक्षणों में टेमीफ्लू दवा लेने की या जांच की जरूरत नहीं होती.

मॉडरेट स्वाइन फ़्लू के लक्षण (केटेगरी-B)
इस श्रेणी के मरीजों में माइल्ड स्वाइन फ्लू के लक्षणों के अतिरिक्त तेज बुखार और गले में तेज दर्द होता है या मरीज में माइल्ड स्वाइन फ्लू के लक्षणों के साथ, निम्नलिखित हाई रिस्क कंडीशन है तो रोगी को स्वाइन फ्लू की दवा टैमीफ्लू दी जाती है.
छोटे बच्चे
गर्भवती महिलायें
65 साल या उससे अधिक उम्र के व्यक्ति
फेफड़े कि बीमारी, दिल की बीमारी, गुर्दे की बीमारी, मधुमेह रोग, कैंसर इत्यादि से ग्रसित व्यक्ति.

गंभीर स्वाइन फ़्लू के लक्षण (केटेगरी-C)
इस श्रेणी के लोगों में स्वाइन फ्लू के ऊपर लिखे लक्षणों के अतिरिक्त निम्नलिखित गंभीर लक्षण भी पाए जाते हैं:
सांस लेने में दिक्कत
छाती में तेज दर्द
गफलत में जाना
ब्लड प्रेशर कम होना
बलगम में खून आना
नाखून नीले पड़ जाना

इस श्रेणी से संबंधित सभी रोगियों को अस्पताल में भर्ती करना चाहिये व रोगी को अलग से रखा जाता है, रोगी को स्वाइन फ्लू की दवा टैमीफ्लू दी जाती है और जांच भी जरूरी है.


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