कोटा: राजस्थान के कोटा का जेके लोन अस्पताल फिर से विवादों में आ गया है. इसकी वजह 24 घंटे के भीतर नौ नवजात बच्चों की मौत है. पीड़ित परिवारों का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही ने बच्चों की जान ली है लेकिन अस्पताल प्रबंधन की दलील कुछ और है.


जेके लोन अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ एससी दुलारा ने बताया कि तीन बच्चे मृत लाए गए थे. तीन को जन्मजात बीमारी थी और तीन की मौत दिमाग में पानी भरने से हुई है. इस मामले में अस्पताल की लापरवाही नहीं है. अस्पताल के दावे की जांच के लिए जिला कलेक्टर ने अस्पताल प्रबंधन से जांच रिपोर्ट तलब की है.


राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने कहा, “9 नवजात शिशुओं ने अपनी जान गंवाई है, जिनमें से 3 को मृत लाया गया. मैंने निर्देश जारी किए हैं कि किसी भी परिस्थिति में किसी भी नवजात शिशु का जीवन नहीं खोना चाहिए. सीएम और सरकार इस मुद्दे को बहुत गंभीरता से ले रही है.


पिछले साल हुई थी 100 बच्चों की मौत
जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले पिछले साल दिसंबर में जेके लोन अस्पताल चर्चा में आया था, जब यहां पर 100 बच्चों की मौत हो गई थी. बच्चों की मौत के बाद गहलोत सरकार की खूब किरकिरी हुई थी. सरकार की तरफ से दावा किया गया था कि भविष्य में नवजातों के लिए सिस्टम को दुरुस्त किया जाएगा.


सरकार कह रही है कि वो गंभीर है लेकिन उसकी गंभीरता जमीन पर नहीं दिख रही. इसी बात को आधार बनाकर अब बीजेपी, गहलोत सरकार पर हमलावर है. विपक्ष के हमले के बीच गहलोत सरकार को इस सवाल का जवाब भी देना होगा कि आखिरी एक ही अस्पताल हर साल नवजात बच्चों की मौत की वजह से सुर्खियों में क्यों आता है?


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