जयपुर: अब राजस्थान में CBI जांच के लिए एजेंसी को पहले राज्य सरकार से मंजूरी लेनी होगी. अशोक गहलोत सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर कहा है कि भारत सरकार को दिल्ली विशेष पुलिस गठन (सीबीआई) के डीएसपीई कानून 1946 की धारा तीन के तहत किसी अपराध की जांच के लिए अब राज्य सरकार की पूर्व सहमति लेनी होगी.


गहलोत सरकार के इस फैसले पर बीजेपी ने कड़ी आपत्ति जताई है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा, ‘‘राजस्थान में अप्रत्यक्ष आपातकाल साफतौर पर दिखता है.''


पूनिया ने आगे कहा, ''राज्य सरकार ने जिस तरीके से एसओजी और एसीबी का दुरूपयोग किया और जब सीबीआई का डर लगा तो मैं आज देख रहा था कि रविवार के दिन एक आदेश जारी होता है कि अब सीबीआई सीधे सीधे किसी मामले की जांच नहीं करेगी उसको राज्य सरकार की सहमति लेनी होगी. इसका मतलब दाल में कुछ काला है.’’


अधिकारियों के अनुसार इस कानून के तहत आने वाले अपराधों में अब राज्य सरकार की 'सामान्य सहमति' मान्य नहीं होगी बल्कि मामले दर मामले के आधार पर सहमति लेनी होगी. राज्य सरकार के गृह विभाग इस बारे में एक अधिसूचना जारी की है. अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह रोहित कुमार सिंह ने कहा, ‘‘इसके प्रशासनिक प्रावधान तो पहले ही थे इसे कल को अधिसूचित किया गया.’’


अधिसूचना में कहा गया है कि दिल्ली विशेष पुलिस गठन कानून (डीएसपीई) 1946 की धारा तीन के तहत आने वाले किसी भी अपराध की जांच के लिए मामले दर मामले के आधार पर राजस्थान सरकार से पूर्व सहमति लेनी होगी. अधिकारियों के अनुसार इससे पहले जून 1990 में भी राजस्थान सरकार ने भारत सरकार को इस तरह की 'सामान्य सहमति' देने से इनकार किया था.