जयपुर: राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच सियासी तनाव किसी से छुपा नहीं है. 2018 में विधानसभा चुनाव के बाद से ही दोनों के बीच तनाव झलकता रहता था. लेकिन इस बार SoG के एक नोटिस ने पायलट को इतना खफा कर दिया कि उन्होंने कांग्रेस छोड़ने का मन बना लिया है. पायलट कांग्रेस का दामन छोड़ बीजेपी में जा सकते हैं. उन्होंने अपने साथ कांग्रेस के 30 विधायकों के साथ होने का दावा किया है. यहां आपको समझाते हैं कि आखिर क्या है एसओजी की जांच, कैसे शुरू हुआ ये विवाद...
क्या है SoG की जांच
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लंबे समय से बीजेपी पर खरीद फरोख्त का आरोप लगा रहे हैं. विधायकों की खरीद फरोख्त मामले की जांच के लिए राज्य सरकार ने स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप का गठन किया. इस मामले में एसओजी ने एसओजी ने एक साथ दो नोटिस मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को बयान दर्ज कराने के लिए थमा दिए. एसओजी के एडिशनल एसपी ने ये नोटिस 10 जुलाई को दिए, जिसमें उन्होंने कहा कि वो पायलट का सीआरपीसी की धारा 160 के तहत बयान दर्ज करना चाहते हैं.
बाताया जा रहा है, इस नोटिस ने सचिन पायलट को नाराज कर दिया जिसे गहलोत के इशारे पर भेजा गया है, क्योंकि गृह विभाग उन्हीं के पास है. पायलट ने खुद को अपमानित महसूस किया. इसके बाद पायलट ने दावा किया कि उन्हें 30 विधायकों का समर्थन हासिल है और करीब 20 दिल्ली-एनसीआर के विभिन्न स्थानों पर हैं. यहीं पर यह भी माना जा रहा है कि पायलट राज्य में पीसीसी अध्यक्ष बने रहने के लिए यह सब कर रहे हैं और सरकार से बाहर होना चाहते हैं, जहां मुख्यमंत्री उनका अपमान कर रहे हैं. इस तरह एसओजी के नोटिस ने गहलोत और पायलट के संबंधों में आखिरी कील ठोक दी.
इस मामले में गहलोत ने रविवार को स्पष्टीकरण देते हुए ट्वीट किया, "कांग्रेस ने शिकायत की थी कि बीजेपी पैसा देकर विधायकों को लुभाने की कोशिश कर रही है, जिसपर एसओजी ने मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, चीफ व्हिप और अन्य कुछ मंत्रियों व विधायकों को बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस दिए हैं. लेकिन कुछ मीडिया संस्थान तथ्य को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत कर रहे हैं."
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