Tonk Assembly: राजस्थान की राजधानी जयपुर से करीब 100 किलोमीटर दूर टोंक शहर मौजूद है. ये एक विधानसभा सीट है, जिसे टोंक विधानसभा सीट के तौर पर जाना जाता है. 2018 में जब राज्य में विधानसभा चुनाव हुए, तो ये सीट काफी मशहूर हो गई. इसकी वजह ये थी कि यहां से कांग्रेस के सीएम इन वेटिंग सचिन पायलट जीतकर विधायक बने. टोंक विधानसभा एक बार फिर चर्चा का विषय बनी हुई है, लेकिन इसकी वजह से सचिन पायलट नहीं हैं. 


दरअसल, टोंक विधानसभा की चर्चा की वजह बनने के पीछे बीजेपी और असदुद्दीन ओवैसी शामिल हैं. राजस्थान विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी अपनी पार्टी एआईएमआईएम के साथ कूद गए हैं. यहां पहले से ही कांग्रेस बनाम बीजेपी था और अब ओवैसी भी कहीं न कहीं राज्य में कुछ सीटें हासिल करना चाहते हैं. ओवैसी की वजह से पैदा हुई हलचल का असर सचिन पायलट पर भी पड़ने वाला है, क्योंकि टोंक में मुस्लिम आबादी अच्छी-खासी है.


बिधूड़ी को बनाया टोंक जिले का प्रभारी


वहीं, राजस्थान बीजेपी के जयपुर दफ्तर से एक तस्वीर सामने निकलकर आई. इसमें राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष सीपी जोशी के साथ दक्षिण दिल्ली से बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी को बैठक करते हुए देखा गया. दरअसल विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सांसद रमेश बिधूड़ी को टोंक जिले का चुनाव प्रभारी नियुक्त किया है. बीजेपी की तरफ से ये फैसला ऐसे समय पर लिया गया है, जब पिछले हफ्ते ही संसद में उन्होंने बीएसपी सांसद दानिश अली पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. 


एआईएमआईएम ने बिधूड़ी की तैनाती का जताया विरोध


टोंक में बिधूड़ी की तैनाती से राजस्थान की सियासत गर्म हो गई है. बिधूड़ी के संसद के विवादित बयान को आधार बनाकर एआईएमआईएम ने उनके विरोध का ऐलान कर दिया है. विवादों में आने के बावजूद बीजेपी टोंक में बिधूड़ी की सियासी डिप्लॉयमेंट कर रही है तो इसके बड़े चुनावी मायने भी हैं. टोंक में करीब 2 लाख वोटर हैं. इस विधानसभा सीट पर करीब आधे वोटर मुस्लिम और गुर्जर समुदाय से हैं. 


क्या रहा 2018 विधानसभा चुनाव का हाल? 


साल 2018 में हुए राजस्थान विधानसभा चुनाव में सचिन पायलट को टोंक विधानसभा सीट से 1 लाख 9 हजार वोट मिले. यहां से बीजेपी ने यूनूस खान को टिकट दिया, जो सिर्फ 54 हजार 841 वोट ही हासिल कर पाए. पायलट भले ही गुर्जर समुदाय से आते हों, लेकिन मुस्लिम वोटरों ने भी जमकर उनके पक्ष में वोट किया और यही वजह रही कि मुस्लिम बहुल सीट पर बीजेपी का मुस्लिम उम्मीदवार भी हार गया. 


बिधूड़ी की चुनने की क्या वजह है? 


बीजेपी ने बेहद सोची-समझी रणनीति के तहत बिधूड़ी को राजस्थान भेजा है. रमेश बिधूड़ी गुर्जर समुदाय से आते हैं. टोंक समेत राजस्थान की करीब 40 सीटों पर गुर्जर समुदाय नतीजों को प्रभावित करने की क्षमता रखता है. बिधूड़ी को जिम्मेदारी सौंपकर बीजेपी एक तीर से दो निशाने साधने की फिराक में है. एक तरफ गुर्जर वोटरों को सियासी संदेश दे रही है तो दूसरी तरफ पायलट के किले में सेंध लगाने की कोशिश है. हालांकि कांग्रेस टोंक में बिधूड़ी की चुनौती को नकार रही है.


एआईएमआईएम की नजर मुस्लिम वोटर्स पर


टोंक में बीजेपी गुर्जर वोटरों को साधने में लगी है तो मुस्लिम वोटरों पर ओवैसी की पार्टी की नजर है. दो दिन पहले ही हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने ऐलान किया कि एआईएमआईएम राजस्थान में चुनाव लड़ेगी. राजस्थान की जिन 40 सीटों पर ओवैसी की नजर है, उनमें टोंक भी शामिल है. माना जा रहा है कि राजस्थान एआईएमआईएम के महासचिव काशिफ जुबेरी टोंक से चुनाव लड़ सकते हैं. 


यही वजह है कि मुस्लिम वोटरों को साधने के लिए बिधूड़ी के बयान को हवा देने की कोशिश तेज है. हालांकि कांग्रेस एआईएमआईएम की इस रणनीति को बीजेपी के प्लान का हिस्सा बता रही है. कांग्रेस भले ही टोंक में एआईएमआईएम और बीजेपी की चुनौती से इनकार कर रही है. लेकिन सियासत में 1 और 1 दो नहीं ग्यारह होता है और अगर ऐसा हुआ तो टोंक में पायलट की मुश्किल बढ़ सकती है. 


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