Rajasthan Election 2023 News: राजस्थान की राजनीति में जाति का फैक्टर काफी अहम है. इसमें सबसे ज्यादा दबदबा जाट का है. माना जाता है कि जाट वोटर जिस पार्टी की तरफ गया, उसके लिए सत्ता तक पहुंचना आसान हो जाता है. जाट वोट के महत्व को देखते हुए हर दल ने इस फैक्टर का काफी ध्यान रखा है और उम्मीदवारों का चयन भी इसी हिसाब से किया गया है.


कांग्रेस की बात करें तो उसने 200 में से 36 सीटों पर जाट प्रत्याशी उतारे हैं, जबकि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 31 सीटों पर जाट उम्मीदवारों को टिकट दिया है. टिकट के बाद अब दोनों पार्टियां चुनाव प्रचार के दौरान भी इस फैक्टर को उछाल रही हैं और इसे भुनाने में लगी हैं. इसी फॉर्मूले पर दूसरे दल भी चलते दिख रहे हैं.


इस तरह कांग्रेस उठा रही जाट का मुद्दा


कांग्रेस ने जाट वाटरों को लुभाने के लिए जाट महासभा की जातिगत जनगणना वाली मांग को अपने मेनिफेस्टो में शामिल किया ही है. कांग्रेस हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा समेत कई अन्य जाट नेताओं से यहां जनसभाएं करा रही है. कांग्रेस ने जाट महासभा के 40 जाट टिकट की मांग पर ध्यान देते हुए 36 प्रत्याशियों को टिकट दिया. राहुल गांधी से लेकर मल्लिकार्जुन खरगे तक कांग्रेस के तमाम बड़े नेता अपनी रैलियों में जातिगत जनगणना कराने की बात कह रहे हैं.


बीजेपी की तरफ से मोदी के हाथ कमान


कांग्रेस के जाट आधारित कैंपेन के बीच बीजेपी भी इस वर्ग के वोटरों को लुभाने के लिए तमाम कोशिशें कर रही है. इसकी कमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद संभाल ली है. पीएम मोदी ने जाटलैंड में हुई एक जनसभा में जाट समाज को आरक्षण की याद दिलाई और कांग्रेस पर भी हमला बोला.


अन्य दलों ने भी मारी एंट्री


कांग्रेस और बीजेपी के बीच जाटलैंड में राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी), हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) और दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) भी कूद गई है और जाट वोटरों को लुभाने में लगी है. आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी भरतपुर से पार्टी के उम्मीदवार के लिए कई जनसभा कर चुके हैं. हालांकि आरएलडी का कांग्रेस से गठबंधन है.


जाट वोट बैंक पर इतना फोकस क्यों?


दरअसल, राजस्थान में सबसे ज्यादा वोट जाटों (करीब 14 प्रतिशत) का है. यहां के नागौर. भरतपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर व जयपुर के आसपास की कई सीटें ऐसी हैं जहां जाट वोटर नतीजों को पलटने की ताकत रखते हैं. कुल मिलाकर जाट वोट बैंक करीब 65 सीटों पर हावी है. यही वजह है कि हर दल जाट वोट पर फोकस करता है.


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