जयपुर: राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार और राज्यपाल कलराज मिश्र के बीच गतिरोध जारी है. इस बीच कैबिनेट ने विधानसभा सत्र बुलाने के लिए एक बार फिर संशोधित प्रस्ताव को बुधवार रात मंजूरी दी. इस प्रस्ताव को राजभवन भेज दिया गया है.


प्रस्ताव में 14 अगस्त से सत्र बुलाने का प्रस्ताव किया गया है. सूत्रों का कहना है कि इससे सत्र के लिए 21 दिन के स्पष्ट नोटिस की अनिवार्यता पूरी हो जाएगी जिस पर राज्यपाल कलराज मिश्र बार-बार जोर दे रहे हैं.


राज्य कैबिनेट की बैठक बुधवार शाम मुख्यमंत्री निवास में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में हुई जिसमें संशोधित प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी. राज्यपाल सरकार के प्रस्ताव को कुछ बिंदुओं के साथ तीसरी बार लौटा चुके हैं.


राज्यपाल से मिले विधानसभा अध्यक्ष
राजस्थान में चल रहे सियासी घमासान के बीच राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष डॉ सी पी जोशी ने बुधवार शाम राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात की.


राजभवन के प्रवक्ता के अनुसार राज्यपाल मिश्र ने डा. जोशी को उनके जन्म दिवस की बधाई दी और स्वस्थ व सुदीर्घ जीवन के लिए शुभकामनाएं देते हुए भगवद् गीता की प्रति भेंट की. वहीं जोशी ने राज्यपाल को श्री नाथजी का दुपट्टा ओढ़ाकर प्रसाद भेंट किया.


क्या बोले सीएम गहलोत?


इससे पहले दिन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी राजभवन पहुंचकर राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात की थी. गहलोत ने राज्य में जारी राजनीतिक गतिरोध की ओर संकेत करते हुए कहा कि ‘‘यह लड़ाई हम जीतेंगे.’’ इसके साथ ही गहलोत ने कहा कि उनकी सरकार स्थायी व मजबूत है.


गहलोत ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार के सहयोग से, बीजेपी के षडयंत्र से, धनबल के प्रयोग से राज्य की कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने का षड्यंत्र चल रहा है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह जो माहौल बना है, उससे चिंता करने की जरूरत नहीं है. हमारी सरकार स्थायी और मजबूत है.’’


राज्यपाल ने पूछे ये सवाल-
राज्यपाल ने सरकार से पूछा है कि वह अल्पावधि के नोटिस पर सत्र आहूत क्यों करना चाहती है, इसे स्पष्ट करे. इसके साथ ही राज्यपाल ने सरकार से कहा है कि यदि उसे विश्वास मत हासिल करना है तो यह जल्दी यानी अल्पसूचना पर सत्र बुलाए जाने का कारण हो सकता है. राजभवन द्वारा तीसरी बार फाइल लौटाए जाने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बुधवार को राज्यपाल से मिले.


राजभवन की ओर से जारी बयान के अनुसार विधानसभा सत्र आहूत करने संबंधी सरकार की ‘‘पत्रावली को पुनः प्रेषित करके यह निर्देशित किया गया है कि अल्प अवधि के नोटिस पर सत्र आहूत करने का क्या ठोस कारण है इसे स्पष्ट किया जाये तथा यह भी स्पष्ट किया जाए कि वर्तमान असामान्य व विषम परिस्थिति में अल्प अवधि के नोटिस पर सत्र क्यों बुलाया जा रहा है.’’


इसमें आगे कहा गया है, ‘‘यह भी उल्लेखनीय है कि यदि इस सत्र में राज्य सरकार को विश्वास मत हासिल करना है तो ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ (एकदूसरे से दूरी बनाने) के साथ अल्प कालीन सत्र बुलाया जाना संभव है, जो कि अल्पसूचना पर सत्र बुलाये जाने का युक्तियुक्त कारण हो सकता है.’’


राजभवन की ओर से सरकार को एक और सलाह 21 दिन के नोटिस पर सदन का नियमित मानसून सत्र बुलाने की दी गयी है. बयान के अनुसार, ‘‘उपरोक्त परिस्थिति में उचित होगा कि राज्य सरकार वर्षाकालीन सत्र जैसे नियमित सत्र को के 21 दिन के नोटिस पर बुलाये.’’


राजभवन की ओर दूसरी बार पत्रावली सरकार को लौटाने का जिक्र करते हुए कहा गया है कि राज्य सरकार ने मंगलवार को पत्रावली राजभवन को पुनः भेजी गई परन्तु सरकार द्वारा माननीय राज्यपाल महोदय द्वारा पूर्व में मांगी गई जानकारी का कोई भी स्पष्ट व सकारण उत्तर नहीं दिया गया.


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