राजस्थान में इस साल यानी 2023 के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में एक तरफ जहां सभी पार्टियों ने प्रदेश की जनता को अपने पाले में लाने की तैयारी शुरू कर दी है. वहीं दूसरी तरफ राज्य के प्रमुख समुदायों के लोगों ने भी अपने वर्चस्व को लेकर प्रदर्शन शुरू कर दिया है.
हाल ही में राजस्थान की राजनीति में धमक रखने वाले जाट समुदाय ने एक बड़ी जनसभा आयोजित की थी. अब जाट के बाद अपनी मांगों को लेकर राज्य के ब्राह्मण समाज भी मुखर हो गए हैं. उन्होंने अपनी एकजुटता दिखाते हुए जयपुर के विद्याधर नगर स्टेडियम में पहली बार शक्ति प्रदर्शन किया.
दरअसल रविवार, 19 मार्च को राजस्थान की राजधानी जयपुर में ब्राह्मण समाज ने महापंचायत का आयोजन किया था. इस महापंचायत में लाखों की संख्या में लोगों की भीड़ देखी गई. यहां ना सिर्फ प्रदेश बल्कि देशभर से ब्राह्मण समाज के लोग जुटे थे.
क्यों जुटे थे लाखों ब्राह्मण, क्या है उनकी मांग
इस महापंचायत में शामिल ब्राह्मण समाज की मांग है कि मुसलमानों की तरह हिंदुओं के लिए भी धार्मिक बोर्ड बनाया जाए. देश में सभी जाति-धर्म के लोगों के लिए समान कानून-व्यवस्था लागू करने और सभी जाति-धर्म के लोगों के विकास के लिए समानता बरतने की भी मांग की गई.
इसके अलावा ब्राह्मण समुदाय के लोगों ने अपने लिए ईडब्ल्यूएस के तहत आनुपातिक आरक्षण की भी मांग की है. मंच पर मौजूद समाज के नेताओं ने कहा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण के 10 फीसदी कोटे में से 5 फीसदी आरक्षण ब्राह्मणों को दिया जाना चाहिए
इस ब्राह्मण महापंचायत में राज्य के मुख्यमंत्री ब्राह्मण समुदाय के किसी व्यक्ति को बनाए जाने की मांग उठाई गई है. इसके साथ ही बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों से मांग की गई है कि आने वाले विधानसभा चुनावों में 30-30 टिकट ब्राह्मणों को दें.
बीजेपी से लेकर कांग्रेस तक, कई बड़े नेता रहे मौजूद
जयपुर विद्याधर नगर स्टेडियम में हुई ब्राह्मण महापंचायत ब्राह्मण समुदाय के कई बड़े नेता भी शामिल हुए थे. इन नेताओं में लोकसभा सांसद रामचरण बोहरा, कांग्रेस नेता रघु शर्मा, केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी, सीपी जोशी, पुष्पेन्द्र भारद्वाज और रामलाल शर्मा शामिल हैं.
इस सम्मेलन में ब्राह्मण समुदाय के अलावा भी कुछ नेताओं को बुलाया गया था. इनमें से बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा की पत्नी, पूर्व मंत्री गोलमा देवी और उपनेता राजेन्द्र राठौड़ शामिल है मौजूद रहे.
ब्राह्मण महापंचायत के मंच पर क्या हुआ?
इस महापंचायत को विधिवत पूजा-अर्चना, हवन-पूजन और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शुरू किया गया. इस सम्मेलन की खास बात ये रही कि इस मंच को राजनीतिक नहीं बनाया गया. यहां सभी पार्टियों के कुछ नेता तो मौजूद थे लेकिन देशभर से पधारे धार्मिक गुरुओं और प्रबुद्ध वर्ग के लोगों को भी जगह दी गई थी.
यह देश भर का पहला ऐसा ब्राह्मण महापंचायत था जिसके कार्यक्रम में देश-विदेश में मौजूद ब्राह्मण समाज के लोगों ने भी भागीदारी की. ब्राह्मण महापंचायत के दौरान मंच पर सिर्फ संत महात्माओं को ही जगह दी गई. लेकिन बाद में वहां कुछ अतिथियों को भी मंच पर आकर अपनी बात रखने का मौका दिया गया. यहां सभी नेता बारी-बारी से संबोधन दे रहे थे.
मंच पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव भी पहुंचे और उनके भाषण ने हर किसी का ध्यान आकर्षित किया जिसके बाद राजस्थान बीजेपी के गलियारों में इस नए नाम को लेकर चर्चाएं तेज हो गई है.
अश्विनी वैष्णव ने क्या कहा?
महापंचायत में अतिथि के रूप में आमंत्रित रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संबोधन शुरू करते हुए कहा, 'मुझे सर या अश्विनी जी नहीं कहें बल्कि अश्विनी भाई कहकर संबोधित करें.' उन्होंने वहां मौजूद लोगों से धर्म बचाने के लिए एकता दिखाने की भी अपील की. अश्विनी वैष्णव ने कहा, 'जो एकता आपने दिखाई, इस एकता को बनाये रखिये. उन्होंने यह भी कहा कि भगवान परशुराम पर डाक टिकट जारी हुआ है. यह सब आप की एकता का परिणाम है.'
इसके अलावा उन्होंने राज्य के सभी मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने का भी मांग रखी. अश्विनी ने ये भी कहा कि राजस्थान विधानसभा में ब्राह्मण विधायकों की संख्या और ज्यादा होनी चाहिए.
उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी साधा किया है जिसमें वह जय परशुराम के नारे लगाते नजर आ रहे हैं. इसके साथ वह कहते नजर आ रहे हैं, 'एक नहीं, दो नहीं, तीन नहीं, दस नहीं बल्कि 82 रेलवे स्टेशनों का वर्ल्ड क्लास निर्माण करवाया जायेगा. सोशल मीडिया पर लोग अश्विनी वैष्णव के इस वीडियो पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं.'
कार्यक्रम में अश्विनी वैष्णव आगे कहते हैं राज्य में आगे चलकर अजमेर, अलवर, असलपुर, जोबनेर, आबू रोड, बालोतरा, बांदीकुई, चित्तौड़गढ़, दौसा सहित अन्य जगहों पर विश्व स्तरीय रेलवे स्टेशन का निर्माण किया जायेगा. उन्होंने कहा कि दस साल पहले रेल बजट में राजस्थान को 600 करोड़ रुपए मिलते थे. अब राजस्थान को 9532 करोड़ रुपए का अनुदान मिल रहा है.
बीजेपी खेमे में नए राजनीतिक समीकरण नजर आए
राजस्थान में जितने ब्राह्मण नेता हैं वो बीजेपी से खफा हैं. इसलिए ऐसा माना जाता है कि वहां पर गुटबाजी हो रही है. दरअसल रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव सूबे के जोधपुर से आते हैं. इसी क्षेत्र से एक अन्य केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत भी बीजेपी के दिग्गज नेता हैं. लेकिन उनके होते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के इस तरह के भाषण को देखते हुए तो ये साफ नजर आ रहा है कि चुनाव से पहले बीजेपी खेमे के भीतर नए राजनीतिक समीकरण बन सकते हैं.
रेलमंत्री अश्विनी ने ब्राह्मण महापंचायत के जोरदार भाषण से पार्टी के अंदर अपनी राजनीतिक क्षमता को उजागर कर दिया है. बता दें कि वैष्णव पहले आईएएस रहे हैं और कई अहम पदों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं.
ब्राह्मण सीएम की मांग का चुनाव पर क्या हो सकता है असर
राजस्थान में कुल आबादी का 7 से 7.5 फीसदी हिस्सा ब्राह्मण समुदाय का है. लेकिन आखिरी बार इस राज्य में इस समुदाय का मुख्यमंत्री 33 साल पहले बना था. ऐसे में चुनाव से पहले पार्टी अगर ब्राह्मण समुदाय के लोगों की मांग नहीं पूरी करती तो वह 7 प्रतिशत मतदाताओं को नाराज कर सकती है.
वहीं दूसरी तरफ इस राज्य में ब्राह्मणों से ज्यादा मुस्लिमों और जाटों का वोट बैंक है लेकिन राज्य के मुख्यमंत्री जाट समाज का नहीं बन पाया है. और मुस्लिम सूबे का केवल एक मुख्यमंत्री बन पाया है.
ब्राह्मण समाज के मुख्यमंत्री के नाम जान लीजिए?
राजस्थान में अब तक जितने भी मुख्यमंत्री रहे हैं उनकी लिस्ट देखें तो इनमें पहले ब्राह्मण समुदाय के मुख्यमंत्री हीरालाल शास्त्री थे. इसके बाद जयनारायण व्यास और टीकाराम पालीवाल को सीएम पद सौंपा जा चुका है. वहीं आखिरी बार इस समाज के हरिदेव जोशी मुख्यमंत्री रहे जो 1990 तक तीन बार इस पद पर आसीन रहें.
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के अलावा किस नेता ने क्या कहा
महापंचायत में अतिथि के तौर पर आमंत्रित राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवारी ने जनता को संबोधित करते हुए कहा, 'वक्फ बोर्ड की तर्ज पर हिंदू रिलीजियस एक्ट होना चाहिए.' राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि ब्राह्मण समुदाय को ईडब्ल्यूएस आरक्षण में वो सारे लाभ मिलना चाहिए जो दूसरे आरक्षण में मिलते हैं.
इसके अलावा उन्होंने कहा कि राज्य की सभी मंदिर सरकारों के कंट्रोल में है वे ब्राह्मण समाज को वापस लौटाया जाना चाहिए. जिस तरह मुस्लिमों के लिए वक्फ बोर्ड है, ठीक उसी तरह हमारे लिए भी हिंदू रिलीजियस एक्ट होना चाहिए. उन्होंने कहा कि मंदिरों पर केवल हिंदुओं का अधिकार होना चाहिए.
कुछ दिनों पहले ही हुआ था जाट प्रदर्शन
बता दें कि इससे पहले शक्ति प्रदर्शन के तौर पर राजस्थान में जाट महासम्मेलन हुआ था. दरअसल राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले ‘जाट मुख्यमंत्री’ की वर्षों पुरानी मांग एक बार फिर सुर्खियों में है राज्य की राजस्थान की राजनीति में दखल के बावजूद राजस्थान में जाट समुदाय से कभी मुख्यमंत्री नहीं बन सका है.
इसी से नाराज होकर जाट समुदाय के लोगों ने 5 मार्च को प्रदेश के तमाम जाट नेता, मंत्री-विधायक, पार्टी संगठनों में अहम पदों पर बैठे लोग ‘जाट महाकुंभ’ में जुटे थे. इस महाकुंभ में मंथन किया गया कि राजस्थान में सीएम की कुर्सी और विधानसभा में जाट समाज का मजबूत होने के बाद भी आज तक एक भी जाट सीएम क्यों नहीं दे पा रही है सरकार. यही कारण है कि जाट समुदाय बीजेपी से नाराज भी चल रही है.
अश्विनी वैष्णव के चर्चित भाषण पर यूजर्स की प्रतिक्रिया
1. सोशल मीडिया पर अश्विनी वैष्णव का भाषण वायरल हो रहा है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी ने लिखा, 'देश के कई क्षेत्रों में ओलावृष्टि और बरसात से किसानों की खड़ी फसल बर्बाद हुई है. फसल बीमा के अंतर्गत राहत हो या विशेष योजना, प्रदेश और केंद्र सरकार को अन्नदाता का ध्यान करना होगा.
2. संदीप सौरभ नाम के एक यूजर ने उनके वीडियो पर लिखा, 'ये भाजपा के केंद्रीय मंत्री हैं. देश में बेरोजगारी से लेकर तमाम मुद्दे हैं लेकिन इन्हें अपनी जाति के पंचायत में जाकर ऐसे नारे लगाने में संकोच नहीं हो रहा है?
3. भगत राम नाम के एक यूजर ने लिखा, 'इस वीडियो को मोदीजी को बिल्कुल मत नजर आने देना क्योंकि हमारे देश के पीएम जातिवादी नेताओं को बिल्कुल पसंद नहीं करते. इस वीडियो को देखते ही वो आपको बहुत कोसेंगे और आपसे मंत्री पद भी छीन लेंगे.