राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 के अंत मे होने हैं, ऐसे में राजनीतिक दलों के बीच नेतृत्व को लेकर जोर आजमाइश शुरू हो चुकी है. बीजेपी में चल रही अंतर कलह को देखते हुए पार्टी चुनाव से पहले प्रदेश में किसी नए चेहरे को सामने ला सकती है. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को केंद्र सरकार में शामिल करने पर विचार किया जा सकता है. जिससे राज्य में नए नेतृत्व की राह खुल सके और बीजेपी में चल रही कलह को खत्म किया जा सके. हालांकि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे इन दिनों काफी एक्टिव हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष समेत अन्य नेताओं से लगातार मुलाकात कर रही हैं. 


मुख्यमंत्री चेहरे पर चुनाव लड़ने का विचार नहीं
राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस के खिलाफ बीजेपी एक मजबूत टीम खड़ी करने के लिए प्रदेश में अपने पार्टी नेतृत्व को बदलना चाहती है. इससे पहले गृहमंत्री अमित शाह का राजस्थान दौरा हुआ था, उस दौरान अमित शाह ने मुख्यमंत्री के चेहरे के बिना चुनाव लड़ने की बात कही थी. उन्होंने ये साफ किया था कि आने वाला चुनाव पीएम मोदी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. 


पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के समर्थकों ने 8 मार्च को उनके जन्मदिन के दौरान शक्ति प्रदर्शन कर केंद्रीय नेतृत्व से मांग की थी कि पूर्व सीएम राजे को मौका दिया जाए. बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने कहा कि, अगर मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया जाता है तो इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि वसुंधरा को सीएम बनाया जाएगा. ऐसे में वो सिर्फ ये कर सकती हैं कि केंद्र में उन्हें जो भी जगह मिले, उसे स्वीकार करें और अपने बेटे का राजनीतिक भविष्य सुरक्षित करें. पार्टी को यह भी लगता है कि राजे को केंद्र में भेज देने से पार्टी राज्य के नेताओं की अंतर्कलह पर लगाम लगाकर कांग्रेस को हराने पर ध्यान केन्द्रित कर पाएगी. 


राजे समर्थकों का अलग दावा 
ज्ञानदेव आहूजा ने एक बयान जारी कर कहा कि मैं वसुंधरा राजे को जन्मदिन की बधाई देना चाहता हूं और उनके समर्थकों से यह निवेदन करना चाहूंगा कि वे पूर्व मुख्यमंत्री को वापस मुख्यमंत्री बनाने की मुहिम की बजाय किसी नए व्यक्ति या नेता को यह मौका दें. वहीं वसुंधरा गुट के भवानी सिंह राजावत ने कहा कि, राजस्थान में अबकी बार वसुंधरा राजे को कमान संभाला देनी चाहिए. हाई कमान को अगर ये सद्बुद्धि आ गई तो वसुंधरा के नेतृत्व में बीजेपी प्रदेश में 180 से ज्यादा सीटों पर प्रचंड बहुमत से जीतेगी.


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