नई दिल्ली: राजस्थान में कांग्रेस सरकार के ऊपर छाए संकट के बादलों पर भारतीय जनता पार्टी 'इंतजार करो और देखो' की मुद्रा में है. पार्टी सूत्रों ने रविवार को कहा कि अगली कार्रवाई की योजना पर निर्णय लेने से पहले बीजेपी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच शक्ति प्रदर्शन के परिणाम का इंतजार करेगी.


गहलोत ने सोमवार को कांग्रेस विधायकों की बैठक बुलाई है जिसमें इस बात के स्पष्ट संकेत मिलने की उम्मीद है कि गहलोत और पायलट को कितने विधायकों का समर्थन प्राप्त है. माना जा रहा है कि राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष पायलट बीजेपी के कुछ नेताओं के संपर्क में हैं लेकिन बीजेपी सूत्रों ने इस बारे में कुछ भी कहने से इनकार किया है कि उसकी पायलट से कोई बात हुई है या नहीं.


पायलट अभी दिल्ली में हैं और उन्होंने खुले तौर पर पार्टी के खिलाफ असंतोष प्रकट किया है. पायलट का दावा है कि उन्हें कांग्रेस के 30 विधायकों और कुछ अन्य निर्दलीय सदस्यों का समर्थन प्राप्त है. बीजेपी के एक नेता ने कहा कि ऐसा लगता है कि पायलट ने अपना मन बना लिया है और वह गहलोत के नेतृत्व के साथ जाने को तैयार नहीं हैं.


राजस्थान विधानसभा की सीटों का गणित


राजस्थान विधानसभा में 200 सीटें हैं. बहुमत के लिए 101 सीटों की जरूरत है. कांग्रेस के पास 107 विधायक हैं. बीजेपी के पास 72 और अन्य के पास 21 विधायक हैं.


सियासी ड्रामे में ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया की एंट्री


इस सियासी ड्रामे में पुराने कांग्रेसी रहे ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया की भी एंट्री हो गई है. सिंधिया ने सचिन पायलट की नाराजगी को जायज बताते हुए कहा कि कांग्रेस में टैलेंट की कद्र नहीं होती. उन्‍होंने अपने पुराने सहयोगी को याद करते हुए कहा, ''सचिन पायलट को भी राजस्‍थान सीएम द्वारा साइडलाइन और सताया जाता देख दुखी हूं. यह दिखाता है कि कांग्रेस में प्रतिभा और क्षमता की कद्र नहीं है.''


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