जयपुर: राजस्थान में जारी सियासी संकट के बीच बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) कांग्रेस के विरोध में मजबूती से आ गई है. बीएसपी ने अपने विधायकों को व्हिप जारी करते हुए निर्देश दिया है कि विधानसभा में किसी भी तरह के ‘अविश्वास प्रस्ताव’ या किसी भी तरह की कार्यवाही में कांग्रेस के खिलाफ वोट करें. पार्टी ने ये व्हिप अपने छह विधायकों आर गुढ़ा, लखन सिंह, दीप चंद, जेएस अवाना, संदीप कुमार और वाजिब अली को जारी किया है. बता दें कि साल 2018 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी के छह विधायक चुनाव जीते थे और बाद में वे सभी कांग्रेस में शामिल हो गए.
विधायकों ने उल्लंघन किया तो अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा- सतीश चंद्र मिश्रा
बीएसपी के जनरल सेक्रेट्री एससी मिश्रा ने कहा, "सभी छह एमएल को अलग अलग और एक साथ नोटिस भेजा गया है और साफ किया गया है कि बीएसपी एक नेशनल पार्टी है, इसलिए जबतक बीएसपी का राष्ट्रीय स्तर पर मर्जर नहीं होता, तब तक वहां 6 विधायकों का राज्य स्तर पर किसी तरह का कोई मर्जर नहीं हो सकता. अगर वो इसका उल्लंघन करते हैं तो उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा.''
बता दें कि अभी तक ये तय नहीं हो पाया है कि राजस्थान में विधानसभा का सत्र कब बुलाया जाएगा. कांग्रेस लगातार राज्यपाल से इसकी मांग कर रही है कि राज्य में विधानसभा का सत्र बुलाया जाए. रविवार को राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि वे उम्मीद करते हैं कि राज्यपाल कलराज मिश्र जल्द ही विधानसभा सत्र का बुलाने का आदेश देंगे.
राजस्थान में राष्ट्रपति शासन की मांग कर चुकी हैं मायावती
इससे पहले बीएसपी सुप्रीमो राजस्थान की गहलोत सरकार पर निशाना साध चुकी हैं. उन्होंने मांग की थी कि राजस्थान में राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए. बीएसपी प्रमुख मायावती ने कहा था, ''राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पहले दल-बदल कानून का खुला उल्लंघन व बीएसपी के साथ लगातार दूसरी बार दगाबाजी करके पार्टी के विधायकों को कांग्रेस में शामिल कराया. अब जग-जाहिर तौर पर फोन टेप कराके इन्होंने एक और गैर-कानूनी व असंवैधानिक काम किया है.''
राजस्थान मामले में कल सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट राजस्थान मामले पर सोमवार को सुनवाई करेगा. सुनवाई सुबह 11 बजे शुरु होगी. कोर्ट को यह तय करना है कि राजस्थान हाई कोर्ट पायलट खेमे के विधायकों की याचिका पर सुनवाई कर सकता था या नहीं? स्पीकर ने अर्ज़ी दायर कर कहा है कि हाई कोर्ट ने विधायकों की अयोग्यता के मसले पर उनके फैसले से पहले सुनवाई कर के उनके अधिकार क्षेत्र का हनन किया है. उधर स्पीकर के सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाने के बाद हाई कोर्ट ने भी फिलहाल अपना फैसला टाल दिया है. ऐसे में राजस्थान की राजनीतिक रस्साकशी में सुप्रीम कोर्ट की भूमिका अहम हो गई है.
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