वेद का जिक्र करते हुए CM अशोक गहलोत ने केंद्र को दी नसीहत, कहा- किसानों के धैर्य का इम्तिहान नहीं लें
ऋगवेद का जिक्र करते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि मोदी सरकार किसानों के धैर्य का इम्तिहान नहीं ले.
जयपुर: ऋगवेद की एक ऋचा का जिक्र करते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किसानों के मुद्दे पर मोदी सरकार को नसीहत दी है. उन्होंने कहा कि केंद्र किसानों के धैर्य का इम्तिहान नहीं ले.
गहलोत ने कहा, ''कांग्रेस पार्टी किसानों के संघर्ष में उनके साथ खड़ी है लेकिन किसान बिलों का समर्थन कर चुके सदस्यों की कमेटी से उन्हें उम्मीद नहीं है. मोदी सरकार को किसानों के धैर्य का इम्तिहान लेने के बजाय तीनों काले कृषि कानून वापस लेने चाहिए.''
उन्होंने आगे कहा, '' 'क्षेत्रस्य पतिना वयं हितेनेव जयामसि.' ऋगवेद की इस ऋचा का अर्थ है कि किसान के हित से ही हमारा कल्याण होता है. राजनीति के लिए धर्म का सहारा लेने वाली भाजपा को हमारे धार्मिक ग्रंथों में लिखी बातों का भी अनुकरण करना चाहिए.''
केंद्र सरकार को तुरंत तीनों कृषि कानूनों को वापस लेकर अन्नदाता को राहत देनी चाहिए। 12 जनवरी को मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित वैदिक सम्मेलन में मोहनलाल सुखाड़िया विवि,उदयपुर के संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. नीरज शर्मा ने यह ऋचा, इसका अर्थ बताया था।यह ऋग्वेद मंडल 4 सूक्त 57 की ऋचा है। 2/2
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) January 13, 2021
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा, ''केंद्र सरकार को तुरंत तीनों कृषि कानूनों को वापस लेकर अन्नदाता को राहत देनी चाहिए. 12 जनवरी को मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित वैदिक सम्मेलन में मोहनलाल सुखाड़िया विवि,उदयपुर के संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. नीरज शर्मा ने यह ऋचा, इसका अर्थ बताया था.यह ऋग्वेद मंडल 4 सूक्त 57 की ऋचा है.''
''क्षेत्रस्य पतिना वयं हितेनेव जयामसि।'' ऋगवेद की इस ऋचा का अर्थ है कि किसान के हित से ही हमारा कल्याण होता है। राजनीति के लिए धर्म का सहारा लेने वाली भाजपा को हमारे धार्मिक ग्रंथों में लिखी बातों का भी अनुकरण करना चाहिए। 1/2
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बता दें कि तीन नए कृषि कानूनों को लेकर किसान दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 49 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं. इस बीच मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानून के अमल पर रोक लगा दी. साथ ही गतिरोध खत्म करने के ख्याल से चार सदस्यों की एक कमेटी गठित की है.
किसान संगठनों को कमेटी के सदस्यों को लेकर आपत्ति है. नेताओं का कहना है कि ये सदस्य नए कृषि कानूनों के हिमायती रहे हैं ऐसे में उनसे कैसे न्याय की उम्मीद की जा सकती है.