Rajsthan Election 2023: राजस्थान विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद राजनीतिक दलों में जुबानी जंग तेज हो गई है. सूबे के मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने बीजेपी में कथित तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया को दरकिनार किए जाने को लेकर तंज कसा है. उन्होंने कहा है कि 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद 2020 में उसे गिराने की कोशिश की गई थी, जिसका विरोध वसुंधरा राजे ने किया था. इसी वजह से बीजेपी उन्हें दरकिनार कर रही है.


गुरुवार (19 अक्टूबर) को गहलोत दिल्ली के कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया से मुखातिब थे. गहलोत ने तंज कसा, "वसुंधरा राजे को लेकर बीजेपी का रुख उनका आंतरिक मामला है लेकिन मैं कहना चाहूंगा कि प्लीज वसुंधरा को मेरी वजह से सजा ना दें.


2020 में हुई थी सरकार गिराने की कोशिश


इसके पीछे के घटनाक्रम का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जुलाई 2020 में तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट (कांग्रेस नेता) के नेतृत्व में 22 विधायकों ने विद्रोह करना शुरू किया था. हालांकि हालात को संभाल लिया गया था और अंत में बागी विधायकों ने सरकार का समर्थन जारी रखा था.


गहलोत ने इशारे-इशारे में कहा कि इस विद्रोह और सरकार को गिराने की साजिश किसी और ने नहीं बल्कि बीजेपी ने रची थी. लेकिन सूबे में पार्टी के दो बड़े नेताओं वसुंधरा राजे सिंधिया और कैलाश मेघवाल ने सरकार गिराने का समर्थन नहीं किया था. बीजेपी पर तंज कसते हुए अशोक गहलोत ने कहा कि संभवतः इस वजह से वसुंधरा राजे को दरकिनार किया जा रहा है.


गहलोत ने अपने और सचिन पायलट गुट के समर्थकों के बीच गुटबाजी के दावों को भी खारिज किया और कहा कि पार्टी राजस्थान में एकजुट है और उम्मीदवारों के चयन को लेकर कोई टकराव नहीं है.


वसुंधरा के समर्थक कर रहें CM उम्मीदवार घोषित करने की मांग 


आपको बता दें कि राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी और कांग्रेस के बीच राजनीतिक रस्साकशी शुरू हो गई है.सूबे के मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने को लेकर बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व से लगातार मांग की जा रही है. दरअसल 2018 से लेकर आज तक कभी कांग्रेस की ओर से अशोक गहलोत तो बीजेपी की ओर से वसुंधरा राजे ने सबसे ज्यादा मुख्यमंत्री के तौर पर सरकार का नेतृत्व किया है. पिछली बार 2018 से पहले वसुंधरा राजे सिंधिया के मुख्यमंत्री रहते उनके खिलाफ पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराज़गी सामने आयी थी. आरोप लगे थे कि उन्होंने जनभावनाओं को दरकिनार किया था. 2018 विधानसभा चुनाव की हार का ठीकरा भी उन्हीं के सर फोड़ा गया था.


एक बार फिर जब राज्य में चुनाव हो रहे हैं तो उन्हें ही दोबारा मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की मांग की जा रही है. वसुंधरा के समर्थकों ने वसुंधरा राजे समर्थन मंच का भी गठन किया है, जिसके ज़रिए उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की मांग की जा रही है.


BJP का रुख


हालांकि बीजेपी की ओर से वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह ने स्पष्ट कर दिया है कि  एक पद पर एक ही व्यक्ति को लंबे समय तक बनाए रखना पार्टी की परिपाटी नहीं रही है. जिन्हें जो जिम्मेदारी मिलती है, उसे बख़ूबी निभाते हैं. उन्होंने उम्मीद जताई है कि वसुंधरा को भी पार्टी की ओर से जो जिम्मेदारी दी जाएगी, वह उसका पालन करेंगी.


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