Rajashtan Political Crisis: राजस्थान (Rajasthan) में जारी राजनीतिक खींचतान के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने सोमवार को कहा कि राजनीति ‘गुणा-भाग’ का खेल है, जहां जो दिखता है वो होता नहीं है और जो होता है वो दिखता नहीं है. ये बयान उन्होंने राजधानी जयपुर में आयोजित इन्वेस्टर समिट (Invester Summit) के एक कार्यक्रम में दिया.
अशोक गहलोत ने कहा कि कई न्यूज चैनलों ने अपने विचार के मुताबिक खबरें चलाई जिससे उनकी (न्यूज चैनलों) छवि का नुकसान हुआ और किसी का कोई फायदा भी नहीं हुआ. राजनीति गुणा और भाग का खेल होता है. कई बार जो दिख रहा होता है वह सच नहीं होता है और जो नहीं दिख रहा होता है वही सच होता है.
राजस्थान में क्यों बवाल हुआ था?
25 सितंबर को मुख्यमंत्री आवास पर कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक बुलाए जाने से राजनीतिक संकट पैदा हो गया था. इस बैठक को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद चुनाव के लिए गहलोत की संभावित उम्मीदवारी के मद्देनजर राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की कवायद के रूप में देखा गया था. राजस्थान में इस बैठक के लिए एआईसीसी महासचिव अजय माकन और राज्यसभा में विपक्ष के तत्कालीन नेता मल्लिकार्जुन खड़गे पर्यवेक्षक के रूप में सीएलपी की बैठक के लिए भेजे गये थे. लेकिन गहलोत गुट के विधायकों ने बगावत कर दी थी.
आलाकमान की बैठक में नहीं आए थे विधायक
25 सितंबर को नया सीएम चुने जाने की बैठक शुरू होने से कुछ घंटे पहले गहलोत के वफादार विधायकों ने राजस्थान के संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर समानांतर बैठक की थी और सीएलपी बैठक का बहिष्कार कर दिया था. गहलोत गुट के विधायकों का कहना था कि जुलाई 2020 में राजनीतिक संकट के दौरान जिन लोगों ने गहलोत गुट का समर्थन किया था उनमें से ही किसी को सीएम चुना जाए न कि सचिन पायलट को.
जुलाई 2020 में क्या हुआ था?
जुलाई 2020 में तत्कालीन डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने 18 अन्य कांग्रेसी विधायकों के साथ सीएम अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत कर दी थी. जिसके चलते राज्य में राजनीतिक संकट पैदा हो गया था. जिस वजह से सीएम आवास पर बुलाई गई विधायक दल की बैठक नहीं हो सकी थी.
अशोक गहलोत ने क्यों मांगी थी माफी
अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने गुरुवार को नई दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से मुलाकात कर विधायक दल की बैठक में एक पंक्ति का प्रस्ताव पारित नहीं कर पाने के लिए माफी मांगी थी. उन्होंने संकट की नैतिक जिम्मेदारी ली और घोषणा करते हुए कहा कि वह पार्टी के अध्यक्ष का चुनाव नहीं लड़ेंगे.
अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के दिल्ली (Delhi) से लौटने के बाद उन्होंने पिछले कुछ दिनों से सामान्य कामकाज और नियमित रुप से काम करते हुए संकेत दिया था कि वह राज्य के सीएम बने रहेंगे.