Rajasthan Politics: राजस्थान कांग्रेस के नेता और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट (Sachin Pilot) सोमवार (17 अप्रैल) को जयपुर (Jaipur) में सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल हुए. जयपुर में ही सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot), पार्टी प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा (Sukhjinder Singh Randhawa) और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने सरकार के कामकाज का फीडबैक लेने के लिए विधायकों के साथ वन-टू-वन बैठक की. हालांकि, सचिन पायलट इस बैठक में नहीं पहुंचे. जानिए इस मामले से जुड़ी बड़ी बातें.


1. सचिन पायलट की विधानसभा सीट टोंक भी आज वन-टू-वन बैठक के लिए निर्धारित थी, लेकिन पूर्व उपमुख्यमंत्री जयपुर के शाहपुरा में कार्यक्रम में शामिल हुए. उन्होंने इस बारे में जानकारी देते हुए ट्वीट किया, "परमानंद धाम, खोरी शाहपुरा (जयपुर) में आयोजित महायज्ञ में सम्मिलित हुआ एवं देश-प्रदेश की प्रगति और सभी लोगों के जीवन में खुशहाली व सुख-समृद्धि की कामना की." 


2. इस दौरान सचिन पायलट ने एनडीटीवी से कहा कि मैं यहां किसी व्यक्ति या कांग्रेस सरकार के खिलाफ नहीं हूं. मैं वसुंधरा राजे के समय हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ हूं. मैं इस बारे में लंबे समय से बात कर रहा हूं. जब (राजस्थान) सरकार को तीन साल हुए मैंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर हस्तक्षेप करने के लिए कहा था, कि हमें जांच करनी चाहिए. अब चुनाव कुछ ही महीने दूर हैं, मैं नहीं चाहता कि लोग आएं और कहें कि हमने इतना शोर मचाया, लेकिन भ्रष्टाचार के खिलाफ कुछ नहीं किया. 


3. शाहपुरा के बाद सचिन पायलट झुंझुनू जिले के तिबा गांव में पहुंचे. पूर्व डिप्टी सीएम ने यहां कहा कि जब वसुंधरा राजे की सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे तब कांग्रेस पार्टी विपक्ष में थी. हमारा मानना था कि इसकी जांच होनी चाहिए. हमने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखी थी. हमारी सरकार को 4 साल हो गए हैं, मैंने बहुत चिट्ठियां लिखीं, लेकिन कुछ नहीं हुआ इसलिए मैंने अनशन किया. इसपर जांच होनी चाहिए ताकि हमारी कथनी-करनी में फर्क न हो. 


4. उन्होंने कहा कि वह भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं कर सकते और उन्होंने किसी व्यक्ति विशेष का विरोध नहीं किया है. उन्होंने कहा कि मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी पहल जारी रखूंगा. मैं राजनीतिक रूप से इसका विरोध करता हूं, लेकिन सम्मान के साथ.


5. सचिन पायलट ने ये भी कहा कि राज्य सरकार को शहीद हुए जवानों के परिवारों के लिए नियमों में ढील देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि राज्य को पुलवामा में शहीद हुए जवानों की पत्नियों की बात सुननी चाहिए थी. मैं सरकार का हिस्सा नहीं हूं. अगर हम बड़े लोगों के लिए कानून बदल सकते हैं, तो सैनिकों के परिवारों के प्रति सहानुभूति हो सकती है. हमें नियमों में ढील देनी चाहिए और उन्हें उचित नौकरी देनी चाहिए. 


6. दूसरी ओर सीएम अशोक गहलोत ने पार्टी प्रभारी के साथ कामकाज को लेकर विधायकों का फीडबैक लिया. सीएम ने ट्वीट किया कि राजस्थान के मिशन 2030 और उसमें महंगाई राहत कैंप के बारे में मुझे विधायक रामलाल जाट, रघु शर्मा, राकेश पारीक, सुरेश टाक व हरीश मीना से उपयोगी सुझाव प्राप्त हुए. मुझे विश्वास है कि ये विचार क्षेत्र के प्रत्येक व्यक्ति तक 'बचत-राहत-बढ़त' को सुनिश्चित करेंगे. सीएम ने कई और विधायकों से भी मुलाकात की. इसके बाद सीएम ने राजस्थान इन्टरनेशनल सेन्टर के लोकार्पण कार्यक्रम में शिरकत की.


7. इसी बीच राजस्थान के मंत्री राजेंद्र सिंह गुढा ने झुंझुनू में कहा कि पायलट साहब आप चिंता मत करना, मैं आपको बताना चाहता हूं कि राजस्थान के सभी धर्म-जाति और बिरादरी का नौजवान आपके पीछे खड़ा है. मैं चुनौती देना चाहता हूं कि अगर मां का दूध पिया है तो पायलट साहब पर अनुशासन की कार्रवाई कर के बताओ.


8. पूर्व उपमुख्यमंत्री के खेमे के एक और विधायक राकेश पारीक ने कहा कि अगर पार्टी आलाकमान अशोक गहलोत और सचिन पायलट को साथ लाता है तो राजस्थान में कांग्रेस को सत्ता में लौटने से कोई नहीं रोक सकता. मसुदा (अजमेर) के विधायक और पायलट के वफादार पारीक ने कहा कि राहुल गांधी और पार्टी आलाकमान ने गहलोत और पायलट दोनों को कांग्रेस की संपत्ति बताया है. अगर पार्टी उन्हें साथ लाकर चुनाव लड़ती है तो कांग्रेस को फिर से विधानसभा चुनाव जीतने से कोई नहीं रोक सकता. 


9. नए प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय के बाहर पारीक ने कहा कि उन्होंने पार्टी के राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, राज्य इकाई के प्रमुख गोविंद सिंह डोटासरा और मुख्यमंत्री गहलोत को अपने निर्वाचन क्षेत्र के बारे में फीडबैक दिया है. उन्होंने कहा कि मैंने उन्हें अजमेर में सचिन पायलट के प्रभाव के बारे में बताया. वह अजमेर से सांसद रह चुके हैं और वहां उनके समर्थकों की बड़ी संख्या है. पारीक ने कहा कि उन्होंने तीनों नेताओं को उस क्षेत्र में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए सरकार और पार्टी संगठन स्तर पर किए जाने वाले कार्यों के बारे में बताया.


10. अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच राजनीतिक खींचतान 2018 से है जब राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद दोनों मुख्यमंत्री पद के इच्छुक थे, लेकिन पार्टी आलाकमान ने तीसरी बार गहलोत को शीर्ष पद के लिए चुना. हाल ही में दोनों नेताओं ने एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी भी की थी. जिसके बाद कांग्रेस नेतृत्व को हस्तक्षेप करना पड़ा था. राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं.


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