जयपुर: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंदिर के पुजारी की हत्या की जांच सीआईडी-सीबी से कराने का निर्देश दिया है. गहलोत ने इस पूरे मामले की जांच सीआईडी-सीबी के पुलिस अधीक्षक विकास शर्मा की देखरख में करवाए जाने के निर्देश दिए हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आरोप लगाया कि यह निंदनीय है कि बीजेपी ने दो परिवारों के बीच भूमि विवाद से हुई सपोटरा के बुकना गांव की दुखद घटना को मीणा और वैष्णव समाज के बीच जातीय रूप देने की कोशिश की गई. इससे राजस्थान की छवि अनावश्यक रूप से धूमिल हुई है.
"घटना कोई जातीय संघर्ष नहीं"
एक बयान में मुख्यमंत्री ने कहा कि यह घटना कोई जातीय संघर्ष नहीं था, न ही कोई पूर्व योजना थी. यह जमीन के टुकड़े पर कब्जे को लेकर दो परिवारों के बीच का झगड़ा था, जो इस दुखद घटना में बदल गया.
मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि इस घटना से एक दिन पहले छह अक्टूबर को जमीन के विवाद को लेकर गांव के लोगों की पंचायत भी हुई थी, जिसमें मीणा समाज के लोगों का बाहुल्य था. मीणा समाज और अन्य लोग पुजारी बाबूलाल वैष्णव के साथ थे और बहुसंख्यक मीणा समाज की पंचायत ने भूमि के संबंध में बाबूलाल वैष्णव और राधागोपालजी मंदिर के हक में ही अपनी सहमति व्यक्त की थी.
"कांग्रेस ने हमेशा पुजारियों के हितों की पैरवी की"
मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस सरकार मंदिर के अधीन आने वाली जमीनों पर पुजारियों के हितों के संरक्षण के लिए हमेशा प्रयासरत रही है. साल 1991 में तत्कालीन बीजेपी की सरकार ने एक आदेश जारी कर मंदिर माफी की जमीनों पर पुजारियों के नाम राजस्व रिकॉर्ड से हटाने के निर्देश दिए थे. वहीं कांग्रेस चाहे सरकार में रही हो या विपक्ष में उसने सदैव मंदिर की जमीन के संबंध में पुजारियों के हितों की पैरवी की.
बता दें, जमीन विवाद में पुजारी वैष्णव को बुधवार को कथित तौर पर आग लगा दी गयी जिनकी गुरुवार को एसएमएस अस्पताल में मौत हो गयी. आरोप है कि मंदिर के पास की खेती जमीन पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे लोगों ने पुजारी पर पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दी थी.
ये भी पढ़ें
राजस्थान में पुजारी को जिंदा जलाये जाने के विरोध में सहारनपुर में प्रदर्शन, लोगों में आक्रोश
UP: गोंडा में रामजानकी मंदिर के पुजारी को मारी गोली, जमीनी विवाद को लेकर हमला, दो हिरासत में