जयपुर: कोरोना ने पूरे देश में क़हर बरपा रखा है लेकिन अब इसकी जांच को लेकर भी सवालिया निशान लगने लगे है. राजस्थान से लेकर देश को राजधानी दिल्ली तक हो रही कोरोना जांच की रिपोर्ट संदेह के दायरे में आने लगी है और ऐसा सिर्फ़ आम लोगों के साथ ही नहीं बल्कि ख़ास लोगों के साथ भी हो रहा है.
सांसद हनुमान बेनीवाल की कोरोना जांच के बाद क्या हुआ?
राजस्थान की नागौर सीट से सांसद हनुमान बेनीवाल की कोरोना जांच की जो रिपोर्ट आई है उससे तो ये साफ़ हो चुका है कि या तो जांच का तरीक़ा या फिर रिपोर्ट बनाने की प्रक्रिया कही ना कही दोषपूर्ण है. सांसद बेनीवाल की लोकसभा सत्र से पहले लोक सभा सचिवालय के माध्यम से कोरोना जांच 11 सितम्बर को दिल्ली में हुई.
सैम्पल देकर बेनीवाल जयपुर आ गए और इसके बाद उन्हें 13 सितम्बर को लोक सभा सचिवालय से ये बताया गया कि वो कोरोना पॉज़िटिव हैं. यहां ये बताना भी ज़रूरी है कि बेनीवाल को अगस्त महीने में कोरोना संक्रमण हो चुका था और वो क़रीब दस दिन तक जयपुर के आर यूएचएस अस्पताल में भर्ती रहकर इलाज भी करवा चुके थे. इसके बाद कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद बेनीवाल को अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया.
लेकिन इसके बाद बेनीवाल को दिल्ली में हुई जांच को रिपोर्ट जब पॉज़िटिव आयी तो उन्होंने 13 सितम्बर को जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल में अपनी कोरोना जांच फिर से करवाई और 14 सितम्बर को इस जांच की जो रिपोर्ट आयी वो बेहद चौकाने वाली रही क्योंकि हनुमान बेनीवाल कोरोना नेगेटिव पाए गए. अब मुश्किल ये कि सांसद बेनीवाल आख़िर खुद को क्या माने? कोरोना पॉज़िटिव या नेगेटिव.
बिना जांच किए ही लोगों को कोरोना संक्रमित करार दिया जा रहा है
हनुमान बेनीवाल तो एक बानगी मात्र है जयपुर में तो कोरोना जांच का सरकारी सिस्टम इतना लचर है कि यहां तो बिना जांच किए ही लोगों को कोरोना संक्रमित करार दिया जा रहा है. बीजेपी नेता और राज्य महिला आयोग पूर्व अध्यक्ष सुमन शर्मा ने कोरोना का कोई सैम्पल तक नहीं दिया लेकिन उनके पति विनय शर्मा के मोबाइल फ़ोन पर सरकारी सिस्टम से संदेश भेजा गया कि आपकी पत्नी सुमन शर्मा कोरोना पॉज़िटिव हैं.
पॉज़िटिव और नेगेटिव को लेकर फंसा पेंच
ओम प्रकाश सोनी जयपुर में रहते हैं और उनकी उम्र है 68 साल के आसपास. थोड़ी तबियत बिगड़ी तो शेखावटी अस्पताल पहुंचे. वहां राजस्थान सरकार के सिस्टम से उनकी कोरोना जांच हुई. नतीजा आया तो ओम प्रकाश को कोरोना संक्रमित बताया गया. इलाज शुरु हो गया लेकिन अगले दिन ओमप्रकाश के बेटे राजेश के मोबाइल फोन पर सूचना आयी कि उनके पिता कोरोना नेगेटिव हैं. ख़ास बात ये है ओम प्रकाश को एक ही दिन में एक ही सैम्पल आईडी से पहले पॉज़िटिव फिर नेगेटिव बताया गया जो बेहद गंभीर बात है.
अब राजस्थान सरकार ने कोरोना जांच फ़ीस को घटकर बारह सौ रुपए किया है लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या जांच के तरीक़े और उस पर आधारित रिपोर्ट को कितना विश्वसनीय माना जाए.