सचिन पायलट नहीं तो कौन? राजस्थान CM की रेस में सबसे आगे चल रहे अशोक गहलोत के ये सिपहसालार
Rajasthan Congress Crisis: जाहिर सी बात है कि पायलट अगर सीएम नहीं बनते हैं तो गहलोत के किसी करीबी को ही राजस्थान की जिम्मेदारी मिल सकती है.
Rajasthan Congress Crisis: राजस्थान का सियासी पारा एक बार फिर काफी ज्यादा ऊपर चढ़ा हुआ है. कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के बहाने फिर से अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) बनाम सचिन पायलट (Sachin Pilot) की लड़ाई सामने आई है. कांग्रेस आलाकमान का प्लान था कि अशोक गहलोत को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया जाए और 2018 से नाराज चल रहे सचिन पायलट को राजस्थान की जिम्मेदारी सौंपी जाए. हालांकि ऐसा फिलहाल हो नहीं पाया और गहलोत ने पर्दे के पीछे से अपना शक्ति प्रदर्शन कर बता दिया कि राजस्थान के असली 'राजा' फिलहाल वही हैं.
इस सबके बीच एक सवाल बार-बार सामने आ रहा है कि अगर पायलट नहीं तो राजस्थान की कमान किसे सौंपी जा सकती है. जाहिर सी बात है कि पायलट अगर सीएम नहीं बनते हैं तो गहलोत के किसी करीबी को ही राजस्थान की जिम्मेदारी मिल सकती है. इसके लिए पहले सियासत के जादूगर अशोक गहलोत का पूरा गणित समझना होगा.
अशोक गहलोत का शक्ति प्रदर्शन
हमेशा से ही अशोक गहलोत की चाल कुछ ऐसी होती है कि सामने वाले को पता भी नहीं चलता. जब पार्टी आलाकमान ने सचिन पायलट का नाम सीएम पद के लिए आगे रखा और विधायक दल की बैठक बुलाई गई तो गहलोत का असली दांव सामने आया. विधायक दल की बैठक से ठीक पहले पायलट के खिलाफ विद्रोह छिड़ गया. गहलोत समर्थक 90 विधायकों ने अपने इस्तीफे की पेशकश कर दी, जिससे गहलोत ने दिल्ली में बैठे अपने नेतृत्व को ये साफ मैसेज दे दिया कि पायलट के मुकाबले राजस्थान में उनका कद अब भी काफी बड़ा है.
राजस्थान में कांग्रेस के पास 200 विधानसभा सीटों में से 108 सीटें हैं. जिनमें से करीब 92 विधायक अब भी गहलोत की पकड़ में हैं, वहीं सचिन पायलट के पाले में महज 16 विधायकों का समर्थन नजर आता है. यानी राजस्थान के बिग बॉस हर हाल में अशोक गहलोत ही हैं. तमाम राजनीतिक भूचाल के बावजूद गहलोत विधायकों को टूटने नहीं देते हैं, इसी को उनकी जादूगरी कहा जाता है.
अब कहा जा रहा है कि अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन कर सकते हैं, लेकिन मुख्यमंत्री पद वो इसी शर्त पर छोड़ेंगे कि सचिन पायलट को सीएम नहीं बनाया जाएगा. फिलहाल जो हालात हैं उनसे ये साफ है कि पायलट कोई भी डील क्रैक करने की हालत में नहीं हैं, वहीं गहलोत के हाथ में पूरी सरकार की डोर है. ताकत को देखते हुए गहलोत का ही पलड़ा भारी है.
अगर पार्टी आलाकमान उनकी ये शर्त मंजूर कर लेती है तो गहलोत जिसे चाहेंगे वही राजस्थान का अगला मुख्यमंत्री बनेगा.
कौन हो सकता है अगला मुख्यमंत्री?
अब अशोक गहलोत के नामांकन के बाद राजस्थान में सियासी भूचाल के झटके और ज्यादा महसूस किए जा सकते हैं. क्योंकि दोनों ही सूरत में बवाल होना लगभग तय है. बात अगर अगले मुख्यमंत्री चेहरे की करें तो इस लिस्ट में तीन नाम सबसे आगे नजर आते हैं. सबसे पहला नंबर गहलोत के करीबी और विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी का आता है. बताया गया कि गहलोत के इशारों पर सीपी जोशी ने ही पायलट के खिलाफ बगावत का बिगुल बजाने का काम किया. कहा ये भी जा रहा है कि गहलोत ने सीपी जोशी के नाम का सुझाव दिया है.
शांतिलाल धारीवाल
सीपी जोशी के अलावा दूसरा नंबर गहलोत के करीबी शांतिलाल धारीवाल का आता है. धारीवाल उन नेताओं में शामिल हैं जिन्हें सचिन पायलट का धुर विरोधी माना जाता है. तीन बार के विधायक और एक बार सांसद रह चुके धारीवाल को गहलोत की शील्ड की तरह माना जाता है. यही वजह है कि जब सचिन पायलट को सीएम बनाने की बात हुई तो धारीवाल ने पायलट की टीम से ओपनर के तौर पर बैटिंग की. फ्रंटफुट पर खेलते हुए धारीवाल ने सचिन पायलट को गद्दार बताया और कहा कि राजस्थान को पंजाब नहीं बनने देंगे.
गोविंद सिंह डोटासरा
राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का नाम भी सीएम पद की रेस में शामिल है. डोटासरा भी गहलोत के सुझाये गए नामों में एक हैं. बताया गया कि डोटासरा ने पार्टी विधायकों को एक प्रस्ताव पास करने का सुझाव दिया, जिसमें सीएम पद के चुनाव के लिए सोनिया गांधी को अधिकृत करने की बात कही गई थी, लेकिन विधायकों ने उनकी बात नहीं मानी. दिल्ली आने से पहले गहलोत ने गोविंद सिंह डोटासरा से लंबी बातचीत भी की थी.
इन बड़े नामों के अलावा राजपूत समुदाय से आने वाले प्रताप सिंह खाचरियावास भी सीएम पद की रेस में बताए जा रहे हैं. बताया गया कि विधायकों के एक बड़े खेमे को सीपी जोशी के घर ले जाने में खाचरियावास की बड़ी भूमिका रही. उन्होंने हाल ही में बयान दिया कि बीजेपी सरकार गिराने की साजिश कर रही है और इसे बचाने के लिए एक-एक कार्यकर्ता को सड़क पर उतरना होगा. खास बात ये है कि खाचरियावास वही नेता हैं जिन्होंने पायलट के साथ मिलकर गहलोत के खिलाफ बगावत की थी और हरियाणा गए थे, बाद में वो गहलोत के कहने पर लौट गए. कहा गया कि गहलोत ने ही उन्हें पायलट खेमे के साथ प्लांट किया था. प्रताप सिंह खाचरियावास के बाद महेश जोशी का नाम भी रेस में बताया जा रहा है. गहलोत के करीबियों में उनका नाम भी टॉप-5 में आता है.
कार्रवाई की भी लटक रही तलवार
अब भले की अशोक गहलोत के ये करीबी नेता सीएम पद की रेस में चल रहे हों, लेकिन इनकी मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं. शांतिलाल धारीवाल, सीपी जोशी, महेश जोशी और प्रताप सिंह खाचरियावास के खिलाफ अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोनिया गांधी को रिपोर्ट सौंपी है. राजस्थान में विधायकों ने जो कुछ किया, उसके सूत्रधार यही तीनों नेता बताए गए हैं. अब इन नेताओं के खिलाफ क्या एक्शन लेना है ये सोनिया गांधी तय करेंगीं.
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