गहलोत से बगावत के बाद इन शर्तों के साथ हुई थी सचिन पायलट की वापसी, क्या दो साल पहले किया वादा पूरा करेंगे राहुल गांधी?
Rajasthan Politics: राहुल गांधी ने 'एक व्यक्ति, एक पद' वाले उदयपुर चिंतन शिविर में किये गये वादे पर कायम रहने की बात याद दिलाई तो अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के तेवर पूरी तरह नरम पड़ गये हैं.
Rajasthan Congress Politics: कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर हलचल तेज है तो वहीं, राजस्थान में सीएम की कुर्सी को लेकर भी सियासत गरम है. अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के अध्यक्ष का चुनाव लड़ने के फैसले के बाद राजस्थान में उनके उत्तराधिकारी को लेकर सियासी गलियारों में चर्चा जोरो पर है. सचिन पायलट (Sachin Pilot) का मामला गहलोत के अध्यक्ष बनने पर अग्निपरीक्षा की तरह है. राहुल गांधी के लिए भी ऐसा अवसर है, जिससे ये साफ होगा कि वो वादे के कितने पक्के हैं. हालांकि पायलट का सीएम बनना लगभग तय ही माना जा रहा है.
सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच सियासी रिश्ते कैसे हैं, ये जगजाहिर है. ऐसी अटकलें थी कि गहलोत सीएम की कुर्सी छोड़ने के लिए ही तैयार नहीं हैं. बाद में राहुल गांधी के इशारे पर वो नरम जरूर पड़े हैं.
गहलोत कैसे पड़े नरम?
अशोक गहलोत का अभी कुछ दिन पहले का रूख कुछ अलग ही था. वह राजस्थान की सत्ता से दूर नहीं होना चाहते थे. अध्यक्ष बनने के साथ ही वो सीएम की कुर्सी पर भी बरकरार रहना चाहते थे, लेकिन जैसे ही राहुल गांधी ने 'एक व्यक्ति, एक पद' वाले उदयपुर चिंतन शिविर में किये गये वादे पर कायम रहने की बात याद दिलाई तो गहलोत के तेवर पूरी तरह नरम पड़ गये. हालांकि इस बात की चर्चा है कि वो राजस्थान की कुर्सी पर सीपी जोशी को बैठाना चाहते हैं. इस बीच शुक्रवार को पायलट और सीपी जोशी के बीच मुलाकात भी हुई है.
2018 के चुनाव में पायलट ने की थी खूब मेहनत!
कांग्रेस में सचिन पायलट युवा चेहरा हैं. उनकी आक्रामक शैली और जमीनी मुद्दों की समझ और बाजियां मारने का हुनर उन्हें दूसरे नेताओं से थोड़ा अलग करता है. 2013 का विधानसभा चुनाव में गहलोत के नेतृत्व में पार्टी ने खराब प्रदर्शन किया था. 2018 के विधानसभा चुनाव में सचिन पायलट ने कांग्रेस की वापसी के लिए खूब मेहनत की और शानदार प्रदर्शन किया. हालांकि पिछली बार के चुनाव में जीत के बावजूद वो गहलोत के सियासी दांवपेच का शिकार हो गए और रेगिस्तान की धरती पर सत्ता की कुर्सी पर बैठने से चूक गए थे. उन्हें डिप्टी सीएम से ही संतोष करना पड़ा था.
राहुल-प्रियंका ने किया था पायलट से वादा?
सियासी गलियारों में ये चर्चा होती रही है कि राहुल गांधी ने सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने का वादा कर रखा है. साल 2020 में सचिन पायलट ने कांग्रेस से बगावत कर ली थी, वो अपने समर्थक विधायकों के साथ हरियाणा चले आए थे. कई दिनों तक ये सियासी ड्रामा जारी रहा था. इस दौरान अटकलें लगाई गईं थी कि राहुल और प्रियंका गांधी ने उनकी कई शर्तें मानते हुए पार्टी में वापसी कराई थी.
राहुल गांधी पूरा करेंगे वादा?
साल 2020 में राजस्थान (Rajasthan) में उस वक्त फ्लोर टेस्ट से ठीक पहले सचिन पायलट (Sachin Pilot) और उनका धड़ा फिर से गहलोत सरकार के पक्ष में आ गया. जिसके बाद से ही पायलट और उनके समर्थक हाईकमान के वादे पूरे करने का बेसब्री से इंतजार में हैं. बहरहाल सचिन पायलट और सीपी जोशी दो नाम ऐसे हैं, जिनमें से किसी एक को सीएम की कुर्सी की जिम्मेदारी मिल सकती है. सीपी जोशी गहलोत के करीबी समझे जाते हैं, तो वहीं, राहुल और प्रियंका चाहेंगे कि सचिन पायलट को ये जिम्मेदारी दी जाए, ताकि वो अपना वादा पूरा कर सकें.
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